शूल बने फूल हैं , चुभन में भी मिठास है ,
है मुदित ह्रदय मेरा , मिला प्रभु का साथ है !
जिस शीश सजना किरीट था उस शीश पर जटा बंधी
चौदह बरस वनवास पर चले प्रिय महारथी ,
मैं भी चली उस पथ पे ही जिस पथ पे प्राणनाथ हैं !
है मुदित ह्रदय मेरा , मिला प्रभु का साथ है !
ये है मेरा सौभाग्य श्री राम की दासी हूँ मैं ,
प्रिय हैं मेरे अमृत सदृश कंठ तक प्यासी हूँ मैं ,
जन्मों-जन्मों के लिए थामा प्रभु का हाथ है !
है मुदित ह्रदय मेरा , मिला प्रभु का साथ है !
वन वन प्रभु के संग चल चौदह बरस कट जायेंगें ,
भैया लखन को साथ ले वापस अयोध्या आयेंगें ,
होगी सनाथ फिर प्रजा जो हो रही अनाथ है !
है मुदित ह्रदय मेरा , मिला प्रभु का साथ है !
शिखा कौशिक 'नूतन '
bahut sundar aadhyatmik prastuti .
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
जवाब देंहटाएंआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा आज मंगलवार (04-06-2013) को तुलसी ममता राम से समता सब संसार मंगलवारीय चर्चा --- 1265 में "मयंक का कोना" पर भी है!
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
प्रभु का साथ मिल जाए तो और क्या चाहिए? सुंदर प्रस्तुति के लिए बधाई !
जवाब देंहटाएंसुंदर अभिव्यक्ति बधाई
जवाब देंहटाएंaabhar aap sabhi ka
जवाब देंहटाएंभावपूर्ण अभिव्यक्ति के लिए बधाई |
जवाब देंहटाएंbhawpurn rachna ...
जवाब देंहटाएंक्या बात है ...सुन्दर ...
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