कल अखबारों में अय्यप्पन के बारे में पढ़ा तो आंख की कोर गीली हो गयी ....... निश्छल प्रेम की जो मिसाल उस आदमी ने कायम कर दी उसे दुनिया सदियों तक याद करेगी .......अपनी बीमार गर्भवती बीवी सुधा को घनघोर बारिश में जंगल के ऊबड़ खाबड़ रास्तों पे , पीठ पे लाद के वो आदमी अकेला चालीस किलोमीटर पैदल ले आया ....... जहां उसे एक जीप मिल गयी ....और सुधा को अस्पताल तक पहुचाया जा सका ....खबर है की सुधा तो बच गयी पर बच्चे को नहीं बचाया जा सका ........
उस रात अपनी बीमार मरणासन्न गर्भवती पत्नी को पीठ पे लादे , मूसलाधार बारिश में बिना थके लगातार चलते अय्यप्पन को कौन हौसला दे रहा था ......कौन सा मानसिक संवेग उसे चलाये जा रहा था ......अपनी पत्नी सुधा के प्रति अगाध , अथाह प्रेम ही वो ताकत थी जो उस रात उस मरियल से आदिवासी को सारी रात चलाती रही ..........निश्छल प्रेम की ये गाथा आज के उन नौजवानों के लिए प्रेरणा बन सकती है जो रिश्तों की अहमियत नहीं समझ पाते ...........
Akela Chana: अय्यप्पन और सुधा की प्रेम कथा: एक बार मशहूर हास्य कवि सुरेंद्र शर्मा ने एक चुटकुला नुमा कविता पढी थी एक कवि सम्मलेन में . एक जाट की जाटनी ब...
wakai aisi misaal kam hi dekhne ko milti hai
जवाब देंहटाएंye misal hi hai .
जवाब देंहटाएंएक मिसाल है -अगर कोई समझना चाहे नहीं तो सिर्फ़ एक ख़बर !
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