शायद ,मैं फेल हो गई!!
जिंदगी के हर इम्तिहान में,
कभी कभी यह सोचकर ,
मन बहुत विचलित हुआ
क्योंकि एक शिक्षित,जागरूक महिला
होने के बावजूद, हरेक को
मैं अपने अनुरूप नही ढाल पाई,
जैसे एक घरेलू,अशिक्षित महिला ने कर दिखाया
मैं किसी अपने पर हुकुम तो नही चला पाई
पर मुझे खुशी है कि
मैं अपने को उनके अनरूप ढाल पाई
मैने तय किया,
हर गम का ,खुशी का सफ़र
उन सब अपनों के साथ
लिए हाथों में अपनों का हाथ
कभी बेटी,कभी बहन,
कभी पत्नी,कभी माँ,
कभी एक दोस्त बनकर,
कभी पास,कभी दूर रहकर
फिर क्या फ़र्क पड़ता है अगर
मैं किसी के लिए फेल हो गई
पूरा पढने के लिए यहाँ क्लिक करें
जिंदगी के हर इम्तिहान में,
कभी कभी यह सोचकर ,
मन बहुत विचलित हुआ
क्योंकि एक शिक्षित,जागरूक महिला
होने के बावजूद, हरेक को
मैं अपने अनुरूप नही ढाल पाई,
जैसे एक घरेलू,अशिक्षित महिला ने कर दिखाया
मैं किसी अपने पर हुकुम तो नही चला पाई
पर मुझे खुशी है कि
मैं अपने को उनके अनरूप ढाल पाई
मैने तय किया,
हर गम का ,खुशी का सफ़र
उन सब अपनों के साथ
लिए हाथों में अपनों का हाथ
कभी बेटी,कभी बहन,
कभी पत्नी,कभी माँ,
कभी एक दोस्त बनकर,
कभी पास,कभी दूर रहकर
फिर क्या फ़र्क पड़ता है अगर
मैं किसी के लिए फेल हो गई
पूरा पढने के लिए यहाँ क्लिक करें
फेल पास तो सबके साथ लगा रहता है|
जवाब देंहटाएंबस सोचें अपना यह मन क्या कहता है |
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंare kya bat hai bhot khub
जवाब देंहटाएंनारी आधा जगत है, युग की आधी शक्ति |
जवाब देंहटाएंनारी का सम्मान हो, ढूढ़ें ऐसी युक्ति ||
bahut badhiya prastuti .badhai
जवाब देंहटाएंsaritajee
जवाब देंहटाएंyahee to baat hai ki naare apane ko kabhe pass nahe maanate, jabaki uasaka sthan bhagavaan se bhe ucha maanaa gayaa hai.badhai
bahut sundar bhavabhivyakti sarita ji .aabhar
जवाब देंहटाएं