आग दिल में लगी है जलाकर के कर देंगें खाक ,
दुराचारी एक न बचेगा लेते हैं प्रण ये आज !
रहम न करेंगें किसी पर हो चाहे अपना सगा ,
दुष्कर्म जो भी करेगा उसका कटेगा गला ,
खिल पायें कोमल कलियाँ ऐसा बना दें समाज !
आग दिल में लगी है जलाकर के कर देंगें खाक!
सहमे हुए न रहो अब दहला दो दुष्टों का दिल ,
इनको चढ़ा दो फाँसी पर जीने के ये न काबिल ,
लूट न पाए दरिंदा एक भी बेटी की लाज !
आग दिल में लगी है जलाकर के कर देंगें खाक !
हैवानों की मौत बनकर झपटेंगें हम इन्सान ,
कर देंगें टुकड़े इनके तब ही थमेगा तूफ़ान ,
अब न बहो भावना में विचारों में भर लो तेजाब !
आग दिल में लगी है जलाकर के कर देंगें खाक !
जय हिन्द !
शिखा कौशिक 'नूतन '
चेतावनी देती और आज की सटीक रचना
जवाब देंहटाएंसार्थक सोच
वर्तमान का सच
उत्कृष्ट प्रस्तुति
आग्रह है मेरे ब्लॉग में भी सम्मलित हों
bahut jabardast krodh se ot-prot.shandar abhivyakti .badhai
जवाब देंहटाएंआपकी इस रचना में बलात्कारीयों के प्रति जबरदस्त गुस्सा है। शानदार अभिव्यक्ति..... आभार
जवाब देंहटाएंउत्कृष्ट प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंगुस्से को आयाम देती एक सार्थक रचना !!
जवाब देंहटाएंआक्रोश जायज़ है..
जवाब देंहटाएंमगर आहत है मन...कहीं कोई उम्मीद तो दिखे..
अनु
आज इसी आक्रोश की जरूरत है।
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंआक्रोश के साथ चेतावनी पूर्ण रचना
डैश बोर्ड पर पाता हूँ आपकी रचना, अनुशरण कर ब्लॉग को
अनुशरण कर मेरे ब्लॉग को अनुभव करे मेरी अनुभूति को
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