.स्त्रियों से भेद भाव ?
नन्ही परी
लगेगी कूल.... बिन्दास बेबी... बालों
को स्टाइलिश लुक...फ़ेशन.... स्टाइल,
ड्रेस, मेकप से
फ़ायदा मिलता
है,..... जबर्दस्त सज-संवर कर
जायें इन्टर्व्यु
में....सुन्दर लड्की
देख कर
लोग आकर्षित
होजाते हैं,
बच्चों के
लिये सुन्दर
डिज़्नी फ़ेन..... नचकैयाओं ,हीरो-हीरोइनों
को सेलिब्रि्टी
की तरह
से पेश
करना , पावर कपल्स
पर रोज-रोज अतिरन्ज़ित
बर्णन ( चाहे दूसरे
रो्ज़ वे
तलाक लेरहे
हों)
------- आखिर ये
सब हमें कहाँ
ले जायगा ?
वहीं, जहां हम
चले जारहे
हैं--सिविल सेवा में भी है स्त्रिओं से भेद भाव, जैसी समाचारॊं की सुर्खियां तो यही कहतीं है,,...यदि हम बचपन से ही यह सब देखते, सुनते, महिमा मन्डित होते, पढते रहेंगे तो सिविल सेवा में भी वही नर-नारी होते हैं, लिन्ग भेद, अहं, हीन भावना देखने को तो मिलेगी ही--वो हम से आगे क्यों ? चाहे पुरुष हो या नारी, ये भागम-भाग व प्रतियोगिता की बात है.... पुरुष-पुरुष भेद भाव दिखता नहीं, जबकि महिला भेद भाव तुरन्त प्रकाश में ला दिया जाता है।
अतः.... स्त्री विमर्श-पुरुष विमर्श, स्त्री या पुरुष प्रधान समाज़ की नहीं अपितु मानव प्रधान समाज़, मानव-मानव विमर्श की बात होनी चाहिए । बराबरी की नहीं, युक्त-युक्त उपयुक्तता के आदर की बात हो तो बात बने ।
आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल 26/3/13 को चर्चा मंच पर राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आपका स्वागत है ,होली की हार्दिक बधाई स्वीकार करें|
जवाब देंहटाएंdhanyavaad ...
जवाब देंहटाएं