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सोमवार, 11 मार्च 2013

''चुल्लू भर पानी में डूब मरो ''- विश्वनाथ

   
भारतीय नारी परवीन के दर्द को बयाँ करती पोस्ट -
''चुल्लू भर पानी में डूब मरो ''-विश्वनाथ 

         शालिनी कौशिक ''कौशल ''

3 टिप्‍पणियां:

  1. ये हालात देख कर आदमी शहीद होने के बजाय अपनी जान बचाने के बारे में सोचने लगे हैं. मैदान से भागने वालों को पता था कि लोग उनके मरने के बाद उन्हें अपनी नफ़रत और सियासत का जरिया बना लेंगे.
    इंसान आज इंसान न रहा . वह किसी न किसी पार्टी का कार्यकर्ता बन कर रह गया है.

    उम्दा पोस्ट ka link.

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  2. Please visit:
    ज़ालिमों के दरम्याँ मज़लूम, सौदागर कहलाए रे ! Parveen wife of Ziya ul Haq -
    ये हैं शहादत के सौदागर, मीडिया भी मौन ! लेखक: महेन्द्र श्रीवास्तव पर हमारा कमेन्ट:

    माया मरी न मन मरा, मर मर गए शरीर।
    आशा तृष्णा न मरी, कह गए दास कबीर।।

    http://commentsgarden.blogspot.com/2013/03/parveen-wife-of-ziya-ul-haq.html

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  3. बहुत उम्दा प्रस्तुति...बहुत बहुत बधाई...

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