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सोमवार, 18 फ़रवरी 2013

पितृभक्ति में श्रवण कुमार माधवी से छोटा होकर भी अधिक याद क्यों किया जाता है ?


माता पिता की सेवा का जब भी नाम आता है तो हमेशा श्रवण कुमार का नाम लिया जाता है।
क्या इसके पीछे भी पुरूषवादी मानसिकता ही कारण बनती है ?
क्या वैदिक इतिहास में किसी लड़की ने अपने माता पिता की सेवा नहीं की ?
अनगिनत लड़कियां ऐसी हुई हैं जिन्होंने अपने माता पिता की प्रतिष्ठा के लिए अपना सब कुछ दाँव पर लगा दिया।
एक लड़की का सब कुछ क्या होता है ?
उसकी इज़्ज़त, उसकी आबरू !
विवाह हो जाए तो पति के लिए उसके नाज़ुक जज़्बात और बच्चे हो जाएं तो अपने लाडलों की ममता !
माधवी ने अपने पिता ययाति की प्रतिष्ठा बचाने के लिए यह सब कुछ गंवा दिया लेकिन किसी से शिकायत तक न की। उसके त्याग और बलिदान के सामने श्रवण कुमार का शारीरिक श्रम कहीं नहीं ठहरता लेकिन फिर भी माधवी का नाम पितृभक्ति में कभी नहीं लिया जाता।
ऐसा क्यों ?



6 टिप्‍पणियां:

  1. आपके द्वारा माधवी का उल्लेख करना अच्छा लगा ऐसा नहीं की नारी शक्ति का कहीं उल्लेख नहीं . माधवी सहित आपको प्रणाम

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  2. dr.sahab ,
    nari ko lekar aapki bhavnayen kabil-e-tareef hain kintu ek bat jo ki sarvbhaumik satya hai vah yah hai ki ullekh rare mamlon ka hi hota hai ladke karte kahan hain maa baap kee shravan kumar ne kee isliye naam ho gaya .ladkiyan to karti hi hain .vaisee aapki shandar prastuti ke liye bhartiy nari kee aur se hardik dhanyawad.

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  3. ----और अनवर जमाल साहब आपको एक दम अचानक माधवी की कथा कहाँ से और क्यों याद आई ....श्रवणकुमार से क्या आपको कोई आपत्ति है ..और श्रवण कुमार का कृतित्व माधवी से छोटा क्यों है ...पत्नी व पत्नी सुख को छोड़ना क्या इतना आसान है...वस्तुतः श्रवण कुमार की कथा सिर्फ पितृ भक्ति हेतु ही नहीं अपितु अत्याचार के विरुद्ध खड़े होने का, चाहे विरोधी अपना ख़ास संबंधी क्यों न हो .. भी प्रकरण है| ये गहन बातें हैं....

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  4. @ डा. श्याम गुप्ता जी ! बात गहन न होती तो हमारे बिना बताए आप समझ ही जाते। हालाँकि आप हमारे बताने के बाद भी नहीं समझ पा रहे हैं।
    1. आपने श्रवण कुमार द्वारा अपनी पत्नी को छोड़ने की बात कही है। आप इस पैमाने से भी नापेंगे तो माधवी श्रवण कुमार से 5 गुना ज़्यादा महान बैठेगी।
    2. श्रवण कुमार ने अपने माता पिता के साथ अन्याय किया। माधवी ने ऐसा कभी नहीं किया। अन्याय के विरूद्ध खड़े होने से ज़्यादा अहम है कभी अन्याय न करना। श्रवण कुमार इसमें भी खरे न उतरे।
    3. अगर माधवी को कभी याद न किया तो क्या कोई और भी न करे ?
    उपेक्षितों को हम याद न करेंगे तो भला और कौन करेगा ?

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  5. Correction
    3. अगर आपने माधवी को कभी याद न किया तो क्या कोई और भी न करे ?

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