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शनिवार, 19 जनवरी 2013

होशियार रहना...ग़ज़ल...डा श्याम गुप्त


होशियार रहना.... गज़ल....

इस शहर् में आगये होशियार रहना।
यह शहर है यार कुछ होशियार रहना।

इस शहर में घूमते हैं हर तरफ ही,
मौत के साए ज़रा होशियार रहना।

घूमते हैं खट-खटाते अर्गलायें,
खोलना मत द्वार बस होशियार रहना ।

एक दर्ज़न श्वान थे और चार चौकीदार,
होगया है क़त्ल यूं होशियार रहना।

अब न बागों में चहल कदमी को जाना,
होरहा व्यभिचार सब होशियार रहना।

सज-संवर के अब न जाना साथ उनके,
खींच लेते हार , तुम होशियार रहना।

चोर की करने शिकायत आप थाने जारहे,
पीचुके सब चाय अब होशियार रहना।

 क्षत-विक्षत जो लाश चौराहे पर मिली,
काम आदमखोर सा ,होशियार रहना।

वह नहीं था बाघ आदमखोर यारो,
आदमी था श्याम' सब होशियार रहना॥




11 टिप्‍पणियां:

  1. .बहुत सटीक अभिव्यक्ति है विचार अर्थ की,आज के सन्दर्भ की कुटिल परिवेश की




    ,कृपया इसी



    सन्दर्भ में

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    Virendra Sharma ‏@Veerubhai1947
    .फिर इस देश के नौजवानों का क्या होगा ?http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com/2013/01/blog-post_1932.html …
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    Virendra Sharma ‏@Veerubhai1947
    ram ram bhai मुखपृष्ठ रविवार, 20 जनवरी 2013 .फिर इस देश के नौजवानों का क्या होगा ? http://veerubhai1947.blogspot.in/
    Expand Reply Delete Favorite More


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  2. बहुत अच्छी प्रस्तुती
    हेलो जी नमस्ते सनातन वर्ल्ड की पोस्ट
    आप किससे सहमत है आपका वोट चाहिएपर आपका स्वागत हैँ ।

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  3. इस शहर में आ गए होशियार रहना
    यह शहर है यार कुछ होशियार रहना.....!!

    बहुत खूबसूरत....!
    हर शेर मुकम्मल...!

    जवाब देंहटाएं
  4. इस शहर में आ गए होशियार रहना
    यह शहर है यार कुछ होशियार रहना....
    बहुत खूबसूरत....

    जवाब देंहटाएं
  5. धन्यवाद यशोदाजी, प्रतिभा, शिखा,मृदुला व पूनम जी ...प्रसन्न जी और वरुण...आभार

    जवाब देंहटाएं
  6. इस शहर में आ गए होशियार रहना
    यह शहर है यार कुछ होशियार रहना.

    बहुत सुंदर .

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  7. धन्यवाद शालिनी जी, मदन मोहन व अंजू जी ....

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