नयन के द्वारे ह्रदय में,
आ बसा है कौन ?
खोल मन की अर्गलायें ,
आ छुपा है कौन ? -----नयन के द्वारे......||
कौन है मन की धरोहर,
यूं चुराए जारहा |
दिले-सहरा में सुगन्धित,
गुल खिलाए जारहा |
कौन सूनी राह पर,
प्रेमिल स्वरों में ढाल कर ;
मोहिनी मुरली अधर धर,
मन लुभाए जारहा |
धडकनों की राह से,
नस नस समाया कौन ?
लीन मुझको कर, स्वयं-
मुझ में समाया कौन | ----नयन के द्वारे ...........||
जन्म जीवन जगत जंगम -
जीव जड़ संसार |
ब्रह्म सत्यं , जगन्मिथ्या ,
ज्ञान अहं अपार |
भक्ति-महिमा-गर्व-
कर्ता की अहं -टंकार |
तोड़ बंधन, आत्म-मंथन ,
योग अपरम्पार |
प्रीति के सुर-काव्य बन,
अंतस समाया मौन ,
मैं हूँ यह या तुम स्वयं हो -
कौन मैं तुम कौन ? -----नयन के द्वारे .....||
.सार्थक भावनात्मक अभिव्यक्ति फाँसी : पूर्ण समाधान नहीं
जवाब देंहटाएंशब्द सुन्दर,भाव कोमल |
जवाब देंहटाएंदे र्ताहे आनन्द पल पल ||
शब्द सुन्दर,भाव कोमल |
जवाब देंहटाएंदे रहे आनन्द पल पल ||
बहुत सुन्दर रचना आभार
जवाब देंहटाएंSADHI HUI RACHNA...AAPKI LEKHNI KA KAYAL HO GAYA...BEHTREEN BHAW PURN.
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