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शुक्रवार, 9 नवंबर 2012

डा श्याम गुप्त की गज़ल---आपने क्या किया....


शम्मे  जलने लगे आप ने क्या किया |
दिल मचलने लगे आप ने क्या किया |

अपनी मासूम दुनिया में खोये थे हम,
चाह में खोगये  आपने  क्या किया  ।

अपनी राहों  में  थे हम,  चले जारहे,
आप क्यों मिल गये आपने क्या किया ।

खुद की चाहत से दिल अपना आबाद  था,
आस बन आ बसे,  आपने क्या किया  ।

जब खिलाये थे वो पुष्प चाहत के तो,
फ़ेर रुख चल दिये आपने क्या किया ।

साथ चलते हुए आप क्यों रुक गये,
क्यों कदम थक गये आप ने क्या किया ।

श्याम ,अब कौन चाहत का सिज़दा करे,
नाखुदा बन गये  आपने क्या किया  ॥

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