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मंगलवार, 16 अक्टूबर 2012

देवी के नौ रूप अर्थात – नारी के नौ रूप-भाव ----डा श्याम गुप्त ....

     देवी के नौ रूप अर्थात – नारी के नौ रूप-भाव 
 

               नारी को सदा ही आदि-शक्ति का रूप माना जाता है | संसार की उत्पत्ति, स्थिति, संसार चक्र की व्यवस्था, व लय .... सभी आदि-शक्ति का ही कृतित्व होता है | इसी प्रकार समस्त संसार व जीवन-जगत एवं पुरुष जीवन –नारी के ही चारों ओर परिक्रमित होता है | आदि-शक्ति या देवी के ये नौ रूप एवं नौ -दिवस ---वस्तुतः  नारी के विभिन्न रूपों व कृतित्वों के प्रतीक ही हैं | यथा----

१- शैलपुत्री --- वृषभ वाहिनी –अर्थात ...नारी बल का प्रतीक है...समस्त प्राणि-जगत व मानव की शक्ति प्रदायक ....पत्नी, माँ, पुत्री, भगिनी, मित्र ...प्रत्येक रूप में नारी- संसार व  पुरुष के लिए शारीरिक, मानसिक व आत्मिक बल प्रदायक होती है |

२-ब्रह्मचारिणी --–अष्टकमल आरूढा, श्वेत वस्त्र धारिणी ----- अर्थात नारी विद्या रूप है ---विद्या ही   शालीनता, तप, त्याग, सदाचार, संयम समयोचित वैराज्ञ प्रदान करती है, ये सभी नारी-शक्ति के मूल गुण हैं | यह ब्रह्म-ज्ञान है | नारी ही अपने विविध रूपों में मानव को, पुरुष को अष्ट-कमल रूपी विविध ज्ञान से युक्त करके उसे संसार में प्रवृत्त भी करती है-----विरत भी कर सकती है |

३-चंद्रघंटा --- मष्तिस्क पर चन्द्र का घंटा रूप –तीन नेत्र व दस भुजाएं, बाघ के सवारी --- स्वर्ण शरीर ---अर्थात तीनों लोकों  दशों दिशाओं में स्थित अपनी त्रिगुणमयी  माया –सत्, तम, रज से नियमित संसार चक्र द्वारा-- बलशाली होते हुए भी शान्ति का उद्घोष ---- नारी ही समस्त संसार में, पुरुष के मन में, जीवन में शारीरिक, मानसिक व आत्मिक शांति स्थापना द्वारा –ज्ञान का तेज, आयुष्य, आरोग्य, सुख, सम्पन्नता व कल्याण का मार्ग प्रशस्त करती है | 

४-कुष्मांडा ---बाघ पर सवार व अष्ट-भुजी --- दुर्गा .. अर्थात ब्रह्माण्ड, ब्रह्म-अंड की सृष्टि --- नारी ही तो सृष्टि की सृष्टा है, जनक - जननी  है | मानव व संसार की रक्षा-सुरक्षा हेतु विविध प्रकार के दुर्ग बनाने में सक्षम, समस्त रोग, शोक आदि निवारक होती है  |

५-स्कन्द माता--- सवारी कमल एवं सिंह दोनों ....पद्मा व सिंह वाहिनी – समस्त प्रकार का कल्याण | है |  ब्रह्म रूप सनत्कुमार को गोद में लिए एवं सूक्ष् रूप में छह सिर वाली देवी भी गोद में | अर्थात नारी पुरुष व संसार के कल्याण हेतु कल्याण हेतु भयानक व दुर्दम्य निर्णय व रूप भी ले सकती है | नारी समस्त जगत व पुरुष की पालक धारक माता भी है | जीवन, जगत व शरीर के षट्चक्रों-विविध क्रियाओं( षटरसों या खटरस—दुनिया के प्रपंच , व्यावहारिक कला, ज्ञान, कर्म  ) की नियामक भी है |

६-कात्यायिनी ---पापियों की नाशक –ऋषियों-मुनियों की सहायक, चार भुजा, सिंह सवारी – नारी का सज्जनों व  ज्ञानियों के प्रति सदा ही सम्मान, प्रेम-भाव रहता है व  उन्हें दुष्ट जनों, पापियों से सदा ही सहायता व संरक्षण उनकी प्राथमिकता होती है |

७-कालरात्रि --- या शुभंकरी –काला शरीर, केश फैले हुए, विकट-स्वरुप, आँखों से अग्नि, अर्धनारीश्वर शिव की तांडव-मुद्रा ... काली रूप ... सदैव शत्रु व दुष्टों की संहारक ...संसार व मानव हेतु कल्याण कारक| नारी का रूप सदैव ही पुरुष व संसार हेतु कल्याणकारी, शुभ कारी ही होता है परन्तु आवश्यकता पडने पर पुरुष, पिता, पुत्र, पति, भ्राता  पर आपत्ति आने पर वही – दुष्ट जनों के लिए दुर्गा रूप, काली रूप रख सकती है.. | यही शक्ति का नारी का काली रूप है |

८-महागौरी –तपस्या से गौर वर्ण प्राप्ति, श्वेत बृषभ आरूढा, श्वेत वस्त्र, डमरू-त्रिशूल धारी, अन्नपूर्णा ---अर्थात नारी पुरुष के लिए त्याग, तपस्या, तप सब कर सकती है...पुरुष की, समस्त  संसार की पालक-पोषक शक्ति है जिसके लिए वह मान करती है, मनाती है, डमरू भी बजाती है और त्रिशूल का भय भी दिखाती है | पुरुष व मानव के हर वय के, जीवन के हर स्तर पर  वही तो अन्नपूर्णा है जो हर प्रकार का धन, वैभव सुख, शान्ति प्राप्ति में सहायक है |
                                

९-सिद्धिदात्री --- कमलासन पर, सुदर्शनचक्र, गदा, कमल,शंख धारी, सरस्वती रूप श्वेत-वर्ण, महाज्ञान सहित सौम्यभाव, मधुर स्वर | विष्णु के ही अनुरूप संसार के समस्त चक्रीय-व्यवस्थाओं की नियामक.... | अर्थात नारी ही तो पुरुष के, जगत के, संसार के समस्त व्यवस्थाओं की नियामक होती है ...वही तो पुरुष को ज्ञान, कर्म व भक्ति रूपी समस्त सिद्धि-प्रसिद्धियों को प्राप्त करने में सहायक होती है, सम्पूर्ण जीवन तत्व व सम्पूर्ण सिद्धि...मोक्ष में सहायक होती है|

        यदि हम इन नवरात्र में नारी के हर वय-रूप की उपेक्षा, उस पर अन्याय, अनाचार, अत्याचार के विरुद्ध अपने सोच, विचार, समर्थन व यथासंभव कदम उठाने हेतु व प्रयत्न करने का निश्चय करें, यही देवी की सच्ची आराधना होगी |

10 टिप्‍पणियां:

  1. महत्वपूर्ण जानकारी के लिये आभार सर।

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  2. ये नौ शिव शक्तियां हैं फिर आज़ाद भारत में आज सुरक्षित नहीं हैं .

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  3. ये नौ शिव शक्तियां हैं फिर आज़ाद भारत में आज सुरक्षित नहीं हैं .नटराज का नारीश्वर भी यहीं हैं .बिग बैंग, शिव का तांडव भी है सृष्टि का किर्येशन भी

    हैं . .

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  4. धन्यवाद कविता जी,प्रदीप जी एवं देवेन्द्र जी ---

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  6. माँ दुर्गा के नौ रूप समझाने का आभार ।

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  7. बहुत ही ज्ञानवर्धक जानकारी , धन्यवाद।

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  8. धन्यवाद राजपूत जी ,आमिर जी ..
    --धन्यवाद वीरेंद्र शर्मा जी....ये नौ शिव की शक्तियां नहीं अपितु स्वयं शक्तिया हैं..... शिव भी इन शक्तियों की आराधना करते हैं .....सही है कि आज़ाद भारत में आज सुरक्षित नहीं हैं ....परन्तु इसका मूल कारण यही है कि नारी स्वयं अपनी शक्तियों एवं उसमें स्थित अपने दायित्वों को भूल चली है ....शक्ति के साथ त्याग, तप, दायित्व भी जुड़े होते हैं ....वही विभिन्न नौ रूप हैं ---.

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