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बुधवार, 31 अक्टूबर 2012

श्रीमती इंदिरा गाँधी जी का शहीदी दिवस- लौह महिला को शत शत नमन !!!



आज हमारी प्रिय नेता श्रीमती इंदिरा गाँधी जी का शहीदी दिवस है .आज ही के दिन उनके दो अंगरक्षकों ने उनकी हत्या कर डाली थी इस स्थान पर -
October 31 marks the 28th anniversary of Indira Gandhi’s death. Stephen Prins replays a conversation with actor-writer Peter Ustinov, the person who was waiting to interview the Indian Prime Minister when 
she was gunned डाउन-

Indira Gandhi's blood-stained saree and her belongings at the time of her assassination, preserved at the Indira Gandhi Memorial Museum in New Delhi.


इंदिरा जी के जीवन  से  सम्बंधित  जानकारी  जो भी अंतर्जाल पर मौजूद थी मैं जुटा लायी हूँ आप सभी के लिए -[साभार विकिपीडिया से ]
smt.indira gandhi

इंदिरा प्रियदर्शिनी गाँधी (जन्म उपनाम: नेहरू) (19 नवंबर १९१७-31 अक्टूबर 1984) वर्ष 1966 से 1977 तक लगातार 3 पारी के लिए भारत गणराज्य की प्रधानमन्त्री रहीं और उसके बाद चौथी पारी में 1980 से लेकर 1984 में उनकी राजनैतिक हत्या तक भारत की प्रधानमंत्री रहीं। वे भारत की प्रथम और अब तक एकमात्र महिला प्रधानमंत्री रहीं।

इन्दिरा का जन्म 19 नवंबर 1917 को राजनीतिक रूप से प्रभावशाली नेहरू परिवार में हुआ था। इनके पिताजवाहरलाल नेहरू और इनकी माता कमला नेहरू थीं। इन्दिरा को उनका "गांधी" उपनाम फिरोज़ गाँधी से विवाह के पश्चात मिला था। इनका मोहनदास करमचंद गाँधी से न तो खून का और न ही शादी के द्वारा कोई रिश्ता था। इनके पितामह मोतीलाल नेहरू एक प्रमुख भारतीय राष्ट्रवादी नेता थे। इनके पिता जवाहरलाल नेहरू भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन के एक प्रमुख व्यक्तित्व थे और आज़ाद भारत के प्रथम प्रधानमंत्री रहे।
1934–35 में अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने के पश्चात, इन्दिरा ने शान्तिनिकेतनमें रवीन्द्रनाथ टैगोर द्वारा निर्मित विश्व-भारती विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया। रवीन्द्रनाथ टैगोर ने ही इन्हे "प्रियदर्शिनी" नाम दिया था। इसके पश्चात यह इंग्लैंड चली गईं और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय की प्रवेश परीक्षा में बैठीं, परन्तु यह उसमे विफल रहीं, और ब्रिस्टल के बैडमिंटन स्कूल में कुछ महीने बिताने के पश्चात, 1937 में परीक्षा में सफल होने के बाद इन्होने सोमरविल कॉलेज, ऑक्सफोर्ड में दाखिला लिया। इस समय के दौरान इनकी अक्सर फिरोज़ गाँधी से मुलाकात होती थी, जिन्हे यह इलाहाबाद से जानती थीं, और जो लंदन स्कूल ऑफ इकॉनॉमिक्स में अध्ययन कर रहे थे। अंततः 16 मार्च 1942 को आनंद भवन, इलाहाबाद में एक निजी आदि धर्म ब्रह्म-वैदिक समारोह में इनका विवाह फिरोज़ से हुआ
ऑक्सफोर्ड से वर्ष 1941 में भारत वापस आने के बाद वे भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलनमें शामिल हो गयीं।
1950 के दशक में वे अपने पिता के भारत के प्रथम प्रधानमंत्री के रूप में कार्यकाल के दौरान गैरसरकारी तौर पर एक निजी सहायक के रूप में उनके सेवा में रहीं। अपने पिता की मृत्यु के बाद सन् 1964 में उनकी नियुक्ति एकराज्यसभा सदस्य के रूप में हुई। इसके बाद वे लालबहादुर शास्त्री के मंत्रिमंडल में सूचना और प्रसारण मत्री बनीं।[1]
श्री लालबहादुर शास्त्री के आकस्मिक निधन के बाद तत्कालीन कॉंग्रेस पार्टी अध्यक्ष के. कामराज इंदिरा गांधी को प्रधानमंत्री बनाने में निर्णायक रहे। गाँधी ने शीघ्र ही चुनाव जीतने के साथ-साथ जनप्रियता के माध्यम से विरोधियों के ऊपर हावी होने की योग्यता दर्शायी। वह अधिक बामवर्गी आर्थिक नीतियाँ लायीं और कृषि उत्पादकता को बढ़ावा दिया। 1971 के भारत-पाक युद्ध में एक निर्णायक जीत के बाद की अवधि में अस्थिरता की स्थिती में उन्होंने सन् 1975 में आपातकाल लागू किया। उन्होंने एवं कॉंग्रेस पार्टी ने 1977 के आम चुनाव में पहली बार हार का सामना किया। सन् 1980 में सत्ता में लौटने के बाद वह अधिकतर पंजाब के अलगाववादियों के साथ बढ़ते हुए द्वंद्व में उलझी रहीं जिसमे आगे चलकर सन् 1984 में अपने ही अंगरक्षकों द्वारा उनकी राजनैतिक हत्या हुई।
इंदिरा जी की  हत्या  के पीछे  क्या कारण  थे ?

गांधी के बाद के वर्ष पंजाब समस्याओं से जर्जर थे. सितम्बर 1981 में जरनैल सिंह भिंडरावाले का अलगाववादी सिख आतंकवादी समूह सिख धर्म के पवित्रतम तीर्थ, हरमंदिर साहिब परिसर के भीतर तैनात हो गया. स्वर्ण मंदिर परिसर में हजारों नागरिकों की उपस्थिति के बावजूद गांधी ने आतंकवादियों का सफया करने के एक प्रयास में सेना को धर्मस्थल में प्रवेश करने का आदेश दिया. सैन्य और नागरिक हताहतों की संख्या के हिसाब में भिन्नता है. सरकारी अनुमान है चार अधिकारियों सहित उनासी सैनिक और 492 आतंकवादी; अन्य हिसाब के अनुसार, संभवत 500 या अधिक सैनिक एवं अनेक तीर्थयात्रियों सहित 3000 अन्य लोग गोलीबारी में फंसे.[13] जबकि सटीक नागरिक हताहतों की संख्या से संबंधित आंकडे विवादित रहे हैं, इस हमले के लिए समय एवं तरीके का निर्वाचन भी विवादास्पद हैं.
इंदिरा गांधी के बहुसंख्यक अंगरक्षकों में से दो थे सतवंत सिंहऔर बेअन्त सिंह, दोनों सिख.३१ अक्टूबर 1984 को वे अपनी सेवा हथियारों के द्वारा 1, सफदरजंग रोड, नई दिल्ली में स्थित प्रधानमंत्री निवास के बगीचे में इंदिरा गांधी की राजनैतिक हत्या की. वो ब्रिटिशअभिनेता पीटर उस्तीनोव को आयरिश टेलीविजन के लिए एक वृत्तचित्र फिल्माने के दौरान साक्षात्कार देने के लिए सतवंत और बेअन्त द्वारा प्रहरारत एक छोटा गेट पार करते हुए आगे बढ़ी थीं. इस घटना के तत्काल बाद, उपलब्ध सूचना के अनुसार, बेअंत सिंह ने अपने बगलवाले शस्त्र का उपयोग कर उनपर तीन बार गोली चलाई और सतवंत सिंह एक स्टेन कारबाईन का उपयोग कर उनपर बाईस चक्कर गोली दागे. उनके अन्य अंगरक्षकों द्वारा बेअंत सिंह को गोली मार दी गई और सतवंत सिंह को गोली मारकर गिरफ्तार कर लिया गया.
Iइन्दिरा गांधी का आखरी भाषण भुवनेश्वर में .
गांधी को उनके सरकारी कार में अस्पताल पहुंचाते पहुँचाते रास्ते में ही दम तोड़ दीं थी, लेकिन घंटों तक उनकी मृत्यु घोषित नहीं की गई. उन्हें अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में लाया गया, जहाँ डॉक्टरों ने उनका ऑपरेशन किया. उस वक्त के सरकारी हिसाब 29 प्रवेश और निकास घावों को दर्शाती है, तथा कुछ बयाने 31 बुलेटों के उनके शरीर से निकाला जाना बताती है. उनका अंतिम संस्कार 3 नवंबरको राज घाट के समीप हुआ और यह जगह शक्ति स्थल के रूप में जानी गई. उनके मौत के बाद, नई दिल्लीके साथ साथ भारत के अनेकों अन्य शहरों, जिनमे कानपुर, आसनसोल और इंदौर शामिल हैं, में सांप्रदायिक अशांति घिर गई, और हजारों सिखों के मौत दर्ज किये गये. गांधी के मित्र और जीवनीकार पुपुल जयकर, ऑपरेशन ब्लू स्टार लागू करने से क्या घटित हो सकती है इस सबध में इंदिरा के तनाव एवं पूर्व-धारणा पर आगे प्रकाश डालीं हैं.


Photo: Humble Tributes on Death Anniversary
Photo: Rahul the Natural Leader

जीवन के अंतिम क्षण  तक
खून की आखिरी  बूँद  शेष  रहने  तक
देश  सेवा  में  संलग्न  लौह  महिला
को  शत  शत  नमन  !!!
शिखा कौशिक



अविवाहित बेटी का भरण-पोषण अधिकार


अविवाहित बेटी का भरण-पोषण अधिकार 


दंड प्रक्रिया सहिंता १९७३ की धारा १२५ [१] के अनुसार ''यदि पर्याप्त साधनों वाला कोई व्यक्ति -
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[ग] -अपने धर्मज या अधर्मज संतान का [जो विवाहित पुत्री  नहीं है ],जिसने वयस्कता प्राप्त कर ली है ,जहाँ  ऐसी संतान किसी शारीरिक या मानसिक असामान्यता या क्षति के कारण अपना भरण -पोषण करने में असमर्थ है ,..........
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भरण पोषण करने की उपेक्षा करता है  या भरण पोषण करने से इंकार करता है तो प्रथम वर्ग मजिस्ट्रेट ,ऐसी उपेक्षा या इंकार साबित होने पर ,ऐसे व्यक्ति को ये निर्देश दे सकेगा कि वह अपनी ऐसी संतान को ऐसी मासिक दर पर जिसे मजिस्ट्रेट उचित समझे भरण पोषण मासिक भत्ता दे .
और इसी कानून का अनुसरण  करते हुए मुंबई हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति के यू चंडीवाल  ने बहरीन में रहने वाले एक व्यक्ति को उसकी सबसे बड़ी बेटी के भरण पोषण का खर्च देने का आदेश दिया है हालाँकि वह बालिग हो गयी है .अदालत द्वारा १६  अक्टूबर को फैसले में कहा गया कि इस मामले में सबसे बड़ी बेटी न सिर्फ अविवाहित है बल्कि अपनी माँ पर आश्रित है इसलिए वह भरण पोषण का खर्च पाने की हक़दार है .
                                            शालिनी कौशिक 

मंगलवार, 30 अक्टूबर 2012

फ़िल्मी दुनिया को सम्भलना होगा


फ़िल्मी दुनिया को सम्भलना होगा
यूँ तो फ़िल्मी दुनिया एक ऐसी दुनिया है जहाँ केवल तिलस्म ही तिलस्म है .जो दिखाई देता है वह कभी भी सच होगा इस विषय में विद्वान से विद्वान भी अपना सिर खुजाते हुए ही दिखाई देगा फिर भी आज जिसे देखो इसकी चकाचौंध के आगे अँधा हुआ है .योग्य से योग्य युवा इस ओर बढ़ रहे हैं लेकिन चिंता की बात ये नहीं है की योग्यता यहाँ प्रवेश कर रही है बल्कि चिंता यहाँ बढ़ते हुए झूठ ओर अयोग्यता को लेकर है .फ़िल्मी दुनिया के संस्थापकों में से प्रमुख दादा साहब फाल्के ने अपना जीवन ओर तन मन धन लगा इस दुनिया को स्थापित किया राज कपूर जी जैसे शो मैन ने अपनी अनूठी प्रतिभा से बोलीवूड का नाम विश्व में रोशन किया .सत्यजित रे ने अपनी फिल्मों के माध्यम से विश्व में भारतीय फिल्मों का परचम ऊँचा किया ऐसी ही अनूठी प्रतिभाओं से भरी है हमारी फ़िल्मी दुनिया .किन्तु अब अगर कोफ़्त  होती है तो वो यहाँ पर फिल्मों के गिरते स्तर को लेकर है और दिनों दिन ऐसी झूठे प्रचार को लेकर है जो फिल्मों के प्रति रूचि घटा ही रहा है इस वक़्त फिल्मो में कैटरीना कैफ बहुत नाम कमा रही हैं किन्तु सच में कहूं तो उनमे अभिनय प्रतिभा रत्तीभर भी नज़र नहीं आती वे पहली बात तो ये हिंदी फिल्मो में काम कर रही हैं किन्तु हिंदी अंग्रेजी की तरह बोलती  हैं और दुसरे भावशून्य अभिनय कर रही हैं .उन्हें हम ''मक्खन  की टिक्की ''तो कह सकते हैं किन्तु अभिनय में पारंगत नहीं कह सकते वे अपने अभिनय में रानी मुखर्जी ,करीना कपूर ,ऐश्वर्या राय के सम्मुख कहीं नहीं ठहरती .दूसरी एक और अभिनेत्री हैं जिन्हें  न देखना बर्दाश्त होता है न सुनना और वे हैं रीमा लम्बा मतलब फ़िल्मी दुनिया की ''मल्लिका शेरावत'' जिनके बारे में अंतर्जाल से जो जानकारी मिली है वो कुछ यूँ है
Sherawat was born Reema Lamba in RohtakHaryana to a Jat family.[8] Mallika was born in the family of Seth Chhaju Ram, a leading Jat philanthropist.[9] She was born on 24 October, though the year is unknown.[10] She adopted the screen name of "Mallika", meaning "empress", to avoid confusion with other actresses named Reema.[11] "Sherawat" is her mother's maiden name[10] She has stated that she uses her mother's maiden name because of the support that her mother has provided her.[11] Although relations with her family were strained when she entered the film industry,[12] now Sherawat's family have accepted her career choice and reconciled their relations.[9]
Sherawat went to school at Delhi Public School, Mathura Road.[13] She has obtained a degree in philosophy from Miranda HouseDelhi University.[14] During the initial days of her career, she claimed to have come from a very conservative small town family, and that she faced many hurdles from her family in pursuing her career.[15]However, Mallika's family has refuted this as a story created by her to give her an aura of a small town rustic girl who made it big in Bollywood.[12] It has been reported that she was married for a short while to a Jet Airways pilot Captain Karan Singh Gill.[12]

ये न तो काम अच्छा करती हैं न ही बातें .अभी इन्होने कहा था की इनकी शादी की कोई इच्छा नहीं है तो इन्होने ये क्यूं नहीं कहा की दूसरी शादी की नहीं है जबकि पहली शादी भी ये खुद ही तोड़ कर आई हुई है अब बाकी तो शादी टूटने के बारे में या तो ये जानती हैं या कैप्टेन करण सिंह गिल .मुझे दिक्कत केवल ये है की ये सच क्यूं नहीं बोलती और क्यूं यहाँ टिकी रहकर फिल्मों का और हमारा जायका ख़राब कर रही हैं इस दुनिया को अगर टिके रहना है तो यहाँ योग्यता को ही स्थान मिलना चाहिए नहीं तो वो दिन दूर नहीं जब ये दुनिया गहरे सागर में समां जाएगी इस वक़्त की फिल्मे तो इसके डूबने की ही ओर इशारा कर रही हैं
शालिनी कौशिक

सोमवार, 29 अक्टूबर 2012

जाट लड़की ने जीन्स पहनी, तो प्रधान दे जुर्माना'


 लड़की क्या पहनती है बस सारा भारतीय पुरुष समाज इस पर ही अपना ध्यान केन्द्रित किये हुए है .बलात्कार का मुख्य कारण भी लड़की का  पहनावा है .इस पर ये नया फरमान जारी किया गया है -

[नवभारत टाइम्स से साभार ]
                               

                   जाट लड़की ने जीन्स पहनी, तो प्रधान दे जुर्माना'

                                     jat-girls
लखनऊ।। लड़कियों के जीन्स पहनने पर रोक लगा पाने में असमर्थ उत्तर प्रदेश के भारतीय किसान मोर्चा ने अब एक नया फरमान जारी कर दिया है। भारतीय किसान मोर्चा (बीकेएम) ने ऐलान किया है कि जिस गांव में जाट लड़कियां जीन्स पहने दिख जाएंगी, उस गांव के प्रधान को 20 हजार रुपए जुर्माना देना होगा।

बीकेएम चाहता है कि गांव के प्रमुख इस बात की जिम्मेदारी लें कि उनके गांव में कोई लड़की जीन्स न पहने। इस तुगलकी फरमान पर बीकेएम के नैशनल प्रेजिडेंट मन्नू लाल चौधरी ने कहा है, 'यदि कोई भी जाट लड़की जीन्स पहने पाई गई तो गांव के सरपंच को जुर्माना भरना होगा। उन्हें 20 हजार रुपए का दंड भरना होगा।'

शनिवार को बागपत जिले के धिकौली गांव में बीकेएम ने जाटों की मीटिंग बुलाई और यह ऐलान किया। चौधरी ने कहा कि लड़कियां उनके किसी फरमान को नहीं मान रही हैं चाहे वह जीन्स न पहनने का हो या फिर मोबाइल के इस्तेमाल को बंद करने का।

चौधरी का कहना है, 'ये चीजें हमारे बच्चों पर बुरा असर डाल रही हैं और हमें उनके भविष्य पर बुरा असर डालने वाली हर चीज को रोकने का हक है।' चौधरी ने कहा कि हर जाट लड़की पर नजर रखना नामुमकिन है लेकिन गांव का प्रधान उन सबको पहचानता है। इसलिए, यह उसकी जिम्मेदारी है कि वह हमारा फैसला लागू करे। चौधरी ने कहा, 'यदि कोई जाट लड़की जीन्स पहने दिख गई तो हम प्रधान से 20 हजार रुपए बतौर जुर्माना वसूलेंगे।'
वैसे यहां बता दें कि यह कोई पहला तुगलकी फरमान नहीं है जिससे वेस्टर्न यूपी को दो चार होना पड़ रहा है। ऐसे ही फरमान कई गांवों में जारी किए गए हैं। हाल ही में खुद लड़कियों के एक समूह ने यह कसम खाई थी कि वे बड़ों के निर्देशों का पालन करेंगी। लेकिन, इन फरमानों को धता बता देने वाली लड़कियों की संख्या कहीं ज्यादा है।

एक अंग्रेजी अखबार के मुताबिक बागपत की एक अंडरग्रैजुएट स्टूडेंट ने बताया, 'बीकेएम के नेता ये सब पब्लिसिटी के लिए कर रह रहे हैं और वे खुद को भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) से आगे बताना चाहते हैं।' बीकेयू महेंद्र सिंह टिकैत द्वारा बनाई गई किसान यूनियन है। स्टूडेंट ने कहा कि जाट किसान बीकेयू के साथ खड़े होते हैं न कि बीकेएम के और इसलिए मन्नू लाल चौधरी जाटों की अटैंशन पाने के लिए यह सब कर रहा है। जबकि, हम इन सब फरमानों को सीरियसली लेते ही नहीं हैं।

                                  निश्चित रूप से ये फरमान तुगलकी  हैं और ग्लोबल विलेज के रूप में बदलते विश्व   में इनका समर्थन कोई नहीं कर सकता है .
                                           शिखा कौशिक 



शनिवार, 27 अक्टूबर 2012

अन्नपूर्णा


गहरे सांवले रंग पर
गुलाबी सिंदूर ,गोल
बड़ी बिंदी ......
कहीं से घिसी ,कहीं से
सिली हुई साड़ी पहने
अपनी बेटी के साथ ,
खड़ी कुछ कह रही थी
मेरी नयी काम वाली ..
कि मेरी नज़र उस के
चेहरे ,गले और
बाहं पर मार की
ताज़ा -ताज़ा चोट पर
पड़ी ....और दूर तक
भरी गहरी मांग पर भी .....
और पूछ बैठी ,
कितने बच्चे है तुम्हारे ..
सकुचा कर बोली जाने दो
बीबी .....!!!!!
क्यूँ ..!!!. .तुम्हारे ही है .....
या चुराए हुए ...और तुम्हारा
नाम क्या है ,बेटी का भी....
वो बोली नहीं -नहीं बीबी ....
चुराऊँगी क्यूँ भला ..
पूरे आठ बच्चे है ....ये बड़ी है
सबसे छोटा गोद में है .....
पता नहीं मुझे क्यूँ हंसी
आ गयी ........
इसलिए नहीं कि उसके
आठ बच्चे है ....कि
अपने ही बच्चों की भूख
के लिए सुबह से शाम भटकती
"अन्नपूर्णा " और उसकी बेटी
" लक्ष्मी ".....

धारा ४९८-क भा. द. विधान 'एक विश्लेषण '


विवाह दो दिलों का मेल ,दो परिवारों का मेल ,मंगल कार्य और भी पता नहीं किस किस उपाधि से विभूषित किया जाता है किन्तु एक उपाधि जो इस मंगल कार्य को कलंक लगाने वाली है वह है ''दहेज़ का व्यापार''और यह व्यापर विवाह के लिए आरम्भ हुए कार्य से आरम्भ हो जाता है और यही व्यापार कारण है उन अनगिनत क्रूरताओं का जिन्हें झेलने  को  विवाहिता स्त्री तो विवश है और विवश हैं उसके साथ उसके मायके के प्रत्येक सदस्य.कानून ने विवाहिता स्त्री की स्थति ससुराल में मज़बूत करने हेतु कई उपाय किये और उसके ससुराल वालों व् उसके पति  पर लगाम कसने को भारतीय दंड सहिंता में धारा ४९८-क स्थापित की और ऐसी क्रूरता करने वालों को कानून के घेरे में लिया, पर जैसे की भारत में हर कानून का सदुपयोग बाद में दुरूपयोग पहले आरम्भ   हो जाता है ऐसा ही धारा ४९८-क के साथ हुआ.दहेज़ प्रताड़ना के आरोपों में गुनाहगार के साथ बेगुनाह भी जेल में ठूंसे जा रहे हैं .सुप्रीम कोर्ट इसे लेकर परेशान है ही विधि आयोग भी इसे लेकर , धारा ४९८-क को यह मानकर कि यह पत्नी के परिजनों के हाथ में दबाव का एक हथियार बन गयी है ,दो बार शमनीय बनाने की सिफारिश कर चुका है.३० जुलाई २०१० में सुप्रीम कोर्ट ने भी केंद्र सरकार से धारा ४९८-क को शमनीय बनाने को कहा है .विधि आयोग ने १५ वर्ष पूर्व १९९६  में अपनी १५४ वीं रिपोर्ट तथा उसके बाद २००१ में १७७ वीं रिपोर्ट में इस अपराध को कम्पौन्देबल   [शमनीय] बनाने की मांग की थी .आयोग का कहना  था ''कि यह महसूस किया जा रहा है कि धारा ४९८-क का इस्तेमाल प्रायः पति के परिजनों को परेशान करने के लिए किया जाता है और पत्नी के परिजनों के हाथ में यह धारा एक दबाव का हथियार बन गयी है जिसका प्रयोग कर वे अपनी मर्जी से पति को दबाव में लेते हैं .इसलिए आयोग की राय है कि इस अपराध को शमनीय  अपराधों की श्रेणी  में डालकर उसे सी.आर.पी.सी.की धारा ३२० के तहत शमनीय  अपराधों की सूची में रख दिया जाये.ताकि कोर्ट की अनुमति से पार्टियाँ समझौता कर सकें.''सी.आर.पी.सी. की धारा ३२० के तहत कोर्ट की अनुमति से पार्टियाँ एक दुसरे का अपराध माफ़ कर सकती हैं.कोर्ट की अनुमति लेने की वजह यह देखना है कि पार्टियों ने बिना किसी दबाव के तथा मर्जी से समझौता किया है.
सुप्रीम कोर्ट के अनुसार यदि इस अपराध को शमनीय बना दिया जाये तो इससे हजारों मुक़दमे आपसी समझौते होने से समाप्त हो जायेंगे और लोगो को अनावश्यक रूप से जेल नहीं जाना पड़ेगा.लेकिन यदि हम आम राय की बात करें तो वह इसे शमनीय अपराधों की श्रेणी में आने से रोकती है  क्योंकि भारतीय समाज में वैसे भी लड़की/वधू के परिजन एक भय के अन्दर ही जीवन यापन करते हैं ,ऐसे में बहुत से ऐसे मामले जिनमे वास्तविक गुनाहगार जेल के भीतर हैं वे इसके शमनीय होने का लाभ उठाकर लड़की/वधू के परिजनों को दबाव में ला सकते हैं.इसलिए आम राय इसके शमनीय होने के खिलाफ है.
धारा-४९८-क -किसी स्त्री के पति या पति के नातेदार द्वारा उसके प्रति क्रूरता-जो कोई किसी स्त्री का पति या पति का नातेदार होते हुए ऐसी स्त्री के प्रति क्रूरता करेगा ,वह कारावास से ,जिसकी अवधि ३ वर्ष तक की हो सकेगी ,दण्डित किया जायेगा और जुर्माने से भी दण्डित होगा.
दंड संहिता में यह अध्याय दंड विधि संशोधन अधिनियम ,१९८३ का ४६ वां जोड़ा गया है और इसमें केवल धारा ४९८-क ही है.इसे इसमें जोड़ने का उद्देश्य ही स्त्री के प्रति पुरुषों  द्वारा की जा रही क्रूरताओं का निवारण करना था .इसके साथ ही साक्ष्य अधिनियम में धारा ११३-क जोड़ी गयी थी जिसके अनुसार यदि किसी महिला की विवाह के ७ वर्ष के अन्दर मृत्यु हो जाती है तो घटना की अन्य परिस्थितयों को ध्यान में रखते हुए न्यायालय यह उपधारना    कर  सकेगा  की उक्त मृत्यु महिला के पति या पति के नातेदारों के दुष्प्रेरण के कारण हुई है.साक्ष्य अधिनियम की धारा ११३-क में भी क्रूरता के वही अर्थ हैं जो दंड सहिंता की धारा ४९८-क में हैं.पति का रोज़ शराब पीकर देर से घर  लौटना,और इसके साथ ही पत्नी को पीटना :दहेज़ की मांग करना ,धारा ४९८-क के अंतर्गत क्रूरता पूर्ण व्यवहार माने गए हैं''पी.बी.भिक्षापक्षी बनाम आन्ध्र प्रदेश राज्य १९९२ क्रि०ला० जन०११८६ आन्ध्र''
विभिन्न मामले और इनसे उठे विवाद
१-इन्द्रराज मालिक बनाम श्रीमती सुनीता मालिक १९८९ क्रि०ला0जन०१५१०दिल्ली में धारा ४९८-क के प्रावधानों को इस आधार पर चुनौती दी गयी थी की यह धारा संविधान के अनुच्छेद १४ तथा २०'२' के उपबंधों का उल्लंघन करती है क्योंकि ये ही प्रावधान दहेज़ निवारण अधिनियम ,१९६१ में भी दिए गए हैं अतः  यह धारा दोहरा संकट की स्थिति उत्पन्न करती है जो अनुच्छेद २०'३' के अंतर्गत वर्जित है .दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा ''धारा ४९८-क व् दहेज़ निवारण अधिनियम की धरा ४ में पर्याप्त अंतर है .दहेज़ निवारण अधिनियम की धारा ४ के अधीन दहेज़ की मांग करना मात्र अपराध है जबकि धारा ४९८-क इस अपराध के गुरुतर रूप  को दण्डित करती है .इस मामले में पति के विरुद्ध आरोप था कि वह अपनी पत्नी को बार बार यह धमकी देता रहता था कि यदि उसने अपने माता पिता को अपनी संपत्ति बेचने के लिए विवश करके उसकी अनुचित मांगों को पूरा नहीं किया तो उसके पुत्र को उससे छीन कर अलग कर दिया जायेगा .इसे धारा ४९८-क के अंतर्गत पत्नी के प्रति क्रूरता पूर्ण व्यवहार माना गया  और पति को इस अपराध के लिए सिद्धदोष किया गया.
2-बी एस. जोशी बनाम हरियाणा राज्य २००३'४६'ए ०सी  ०सी 0779 ;२००३क्रि०ल०जन०२०२८'एस.सी.'में उच्चतम न्यायालय  ने माना कि इस धारा का उद्देश्य किसी  स्त्री का उसके पति या पति द्वारा किये जाने वाले उत्पीडन का निवारण करना था .इस धारा को इसलिए जोड़ा गया कि इसके द्वारा पति या पति के ऐसे नातेदारों को दण्डित किया जाये जो पत्नी को अपनी व् अपने नातेदारों की  दहेज़ की विधिविरुद्ध मांग की पूरा करवाने के लिए प्रपीदित करते हैं .इस मामले में पत्नी ने पति व् उसके नातेदारों के विरुद्ध दहेज़ के लिए उत्पीडन का आरोप लगाया था किन्तु बाद में उनके मध्य विवाद का समाधान हो गया और पति ने दहेज़ उत्पीडन के लिए प्रारंभ की गयी कार्यवाहियों को अभिखंडित करने के लिए उच्च न्यायालय के समक्ष आवेदन किया जिसे खारिज कर दिया गया था .तत्पश्चात उच्चतम न्यायालय   में अपील दाखिल की गयी थी जिसमे यह अभिनिर्धारित किया गया कि परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए मामले में उच्च तकनीकी विचार उचित नहीं होगा और यह स्त्रियों के हित के विरुद्ध होगा.उच्चतम न्यायालय ने अपील स्वीकार कर कार्यवाहियों को अभिखंडित कर दिया.
३- थातापादी वेंकट लक्ष्मी बनाम आँध्रप्रदेश राज्य १९९१ क्रि०ल०जन०७४९ आन्ध्र में इस अपराध को शमनीय निरुपित किया गया है परन्तु यदि आरोप पत्र पुलिस द्वारा फाइल किया गया है तो अभियुक्त की प्रताड़ित पत्नी उसे वापस नहीं ले सकेगी.
४-शंकर प्रसाद बनाम राज्य १९९१ क्रि० ल० जन० ६३९ कल० में दहेज़ की केवल मांग करना भी दंडनीय अपराध माना गया .
५- सरला प्रभाकर वाघमारे बनाम महाराष्ट्र राज्य १९९० क्रि०ल०जन० ४०७ बम्बई में ये कहा गया कि इसमें हर प्रकार की प्रताड़ना का समावेश नहीं है इस अपराध के लिए अभियोजन हेतु परिवादी को निश्चायक रूप से यह साबित करना आवश्यक होता है कि पति तथा उसके नातेदारों द्वारा उसके साथ मारपीट या प्रताड़ना दहेज़ की मांग की पूर्ति हेतु या उसे आत्महत्या  करने के लिए विवश करने के लिए की गयी थी .
६- वम्गाराला येदुकोंदाला बनाम आन्ध्र प्रदेश राज्य १९८८ क्रि०ल०जन०१५३८ आन्ध्र में धारा ४९८-क का संरक्षण रखैल को भी प्रदान किया गया है .
७-शांति बनाम हरियाणा राज्य ए०आइ-आर०१९९१ सु०को० १२२६ में माना गया कि धारा ३०४ -ख में प्रयुक्त क्रूरता शब्द का वही अर्थ है जो धारा ४९८ के स्पष्टीकरण  में दिया गया है ........जहाँ अभियुक्त के विरुद्ध धारा ३०४-ख तथा धारा ४९८-क दोनों के अंतर्गत अपराध सिद्ध हो जाता है उसे दोनों ही धाराओं के अंतर्गत सिद्धदोष किया जायेगालेकिन उसे धारा ४९८-क केअंतर्गत पृथक दंड दिया जाना आवश्यक नहीं होगा क्योंकि  उसे धारा ३०४-ख  के अंतर्गत गुरुतर अपराध के लिए सारभूत दंड दिया जा रहा है.
८- पश्चिम बंगाल बनाम ओरिवाल जैसवाल १९९४ ,१,एस.सी.सी. ७३ '८८' के मामले में पति तथा सास की नव-वधु के प्रति क्रूरता साबित हो चुकी थी .मृतका की माता ,बड़े भाई तथा अन्य निकटस्थ रिश्तेदारों  द्वारायह साक्ष्य दी गयी  .कि अभियुक्तों द्वारा मृतका को शारीरिक व् मानसिक यातनाएं पहुंचाई  जाती थी .अभियुक्तों द्वारा बचाव में यह तर्क प्रस्तुत किया गया कि उक्त साक्षी मृतका में हित रखने वाले साक्षी थे अतः उनके साक्ष्य की पुष्टि अभियुक्तों के पड़ोसियों तथा किरायेदारों के आभाव में स्वीकार किये जाने योग्य नहीं है .परन्तु उच्चतम न्यायालय ने विनिश्चित किया कि दहेज़ प्रताड़ना के मामलो में दहेज़ की शिकार हुई महिला को निकटस्थ नातेदारों के साक्षी की अनदेखी केवल इस आधार पर नहीं की जा सकती कि उसकी संपुष्टि अन्य स्वतंत्र साक्षियों द्वारा नहीं की गयी है .
इस प्रकार उपरोक्त मामलों का विश्लेषण यह साबित करने के लिए पर्याप्त है कि न्यायालय अपनी जाँच व् मामले का विश्लेषण प्रणाली से मामले की वास्तविकता को जाँच सकते हैं  और ऐसे में इस कानून का दुरूपयोग रोकना न्यायालयों के हाथ में है .यदि सरकार द्वारा इस कानून को शमनीय बना दिया गया तो पत्नी व् उसके परिजनों पर दबाव बनाने के लिए पति व् उसके परिजनों को एक कानूनी मदद रुपी हथियार दे दिया जायेगा.न्यायालयों का कार्य न्याय करना है और इसके लिए मामले को सत्य की कसौटी पर परखना न्यायालयों के हाथ में है .भारतीय समाज में जहाँ पत्नी की स्थिति पहले ही पीड़ित की है और जो काफी स्थिति ख़राब होने पर ही कार्यवाही को आगे आती है .ऐसे में इस तरह इस धारा को शमनीय बनाना उसे न्याय से और दूर करना हो जायेगा.हालाँकि कई कानूनों की तरह इसके भी दुरूपयोग के कुछ मामले हैं किन्तु न्यायालय को हंस  की भांति   दूध   से दूध   और पानी  को अलग  कर  स्त्री  का सहायक  बनना  होगा .न्यायलय  यदि सही  दृष्टिकोण  रखे  तो यह धारा कहर  से बचाने  वाली  ही कही  जाएगी  कहर   बरपाने  वाली  नहीं क्योंकि  सामाजिक  स्थिति को देखते  हुए  पत्नी व् उसके परिजनों को कानून के मजबूत  अवलंब  की आवश्यकता     है.
शालिनी   कौशिक   [एडवोकेट  ]

बुधवार, 24 अक्टूबर 2012

भगवान की मर्जी है रेप से प्रेग्नेंसी'-आप क्या सोचते हैं ?

WHAT'YOUR VIEW ?आप क्या सोचते हैं ?

एक अमेरिकी सेनेटर खाप के बाप साबित हुए हैं। सेनेटर ने कहा कि रेप की वजह से अगर कोई महिला प्रेग्नेंट हो जाती है तो यह भगवान की मर्जी है।

इस पर आप क्या सोचते हैं, कॉमेंट करें।

पूरी खबर - http://navbharattimes.indiatimes.com/us-senate-candidate-draws-fire-over-rape-remarks/articleshow/16940055.cms

वॉशिंगटन ।। अमेरिकी सेनेट के रिपब्लिकन उम्मीदवार रिचर्ड मर्डोक ने अपने एक कॉमेंट के जरिए रेप को भगवान की इच्छा से जोड़कर हंगामा खड़ा कर दिया है। इस सेनेटर का कहना है कि रेप के चलते अगर कोई महिला प्रेगनेंट हो जाती है तब भी अबॉर्शन की इजाजत नहीं होनी चाहिए क्यों कि ऐसा भगवान की इच्छा के बगैर नहीं हो सकता।
गौरतलब है कि अमेरिकी सेनेट के सदस्य का यह बयान ऐसे समय आया है जब राष्ट्रपति चुनाव अभियान अपने अंतिम दौर में है। रिचर्ड के इन बयानों की डेमोक्रेटों ने तुरंत निंदा की। इस चुनाव अभियान में महिला मतदाताओं को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। ऐसे में इस बात के तगड़े आसार दिख रहे हैं कि अमेरिकी चुनाव का एक बड़ा मुद्दा रिचर्ड का यह बयान भी बन जाएगा।
सेनेट में डिबेट के दौरान मंगलवार को रिचर्ड ने कहा कि वह मानते हैं प्रेग्नेंसी से जिंदगी की शुरुआत होती है और मां के जीवन को खतरे की स्थिति को छोड़कर बाकी हर स्थिति में वह गर्भपात के खिलाफ हैं। रिचर्ड ने कहा, 'मैं एक लंबे समय से अपने आप से संघर्ष करता रहा हूं, लेकिन अब मैंनें महसूस किया है कि जीवन तो ईश्वर का तोहफा है। मुझे लगता है कि जब जीवन की शुरुआत बलात्कार जैसी भयावह घटना से होती है तो भी यह ईश्वर की इच्छा है।'


                                                                               डॉ शिखा कौशिक 'नूतन'

मंगलवार, 23 अक्टूबर 2012

सोने की लंका में ..... डा श्याम गुप्त

सोने की लंका में, सीता माँ बंदी है ,
रघुबर  के नाम की भी, सुअना पावंदी है |

लंका तो सोने की, सोना ही सोना है ,
सोना ही खाना-पीनी, सोन बिछौना है |
सोने के कपडे-गहने,सोने की बँगला-गाड़ी,
सोने सा मन रखने पर, सुअना पावंदी है ||   सोने की लंका में ....

सोने के मृग के पीछे क्या गए राम जी,
लक्ष्मण सी भक्ति पर भीशंका का घेरा है |
संस्कृति की सीता को, हर लिया रावण ने ,
लक्ष्मण की रेखा ऊपर, सोने की रेखा है ||

अपना  ही चीर हरण, द्रौपदि को भाया है ,
कृष्ण लाचार खड़े,  सोने की माया है |
वंशी के स्वर  में भी, सुर-लय त्रिभंगी है ,
रघुवर के नाम की भी रे नर ! पाबंदी है ||      ...सोने की लंका में ...

अब न विभीषण कोई, रावण का साथ छोड़े ,
अब तो भरत जी रहते, रघुपति से मुख मोडे |
कान्हा  उदास घूमे, साथी न संगी हैं ,
माखन से कौन रीझे, ग्वाले बहुधंधी हैं ||

सोने के महल-अटारी, सोने के कारोबारी,
सोने  के पिंजरे में  मानवता बंदी है |
हीरामन हर्षित चहके, सोने के दाना पानी ,
पाने की आशा में,  रसना आनंदी है  ||     ...सोने की लंका में...

कंस खूब फूले-फले, रावण हो ध्वंस्  कैसे,
रघुवर अकेले हैं लंका में पहुंचें कैसे |
नील और नल के छोड़े पत्थर न तरते अब ,
नाम की न महिमा रही सीताजी छूटें कैसे ||

अब तो माँ सीता तू ही, आशा कीज्योति बाकी ,
जब  जब हैं देव हारे, माँ तू ही तारती |
खप्पर-त्रिशूल लेके बन जा रन चंडी  है ,
भक्त माँ पुकारें , राम की भी रजामंदी है ||    --- सोने की लंका में ..||







विजयदशमी पर्व की हार्दिक शुभकामनायें !


विजयदशमी पर्व की हार्दिक शुभकामनायें !




धर्म पताका फहराने , पापी को सबक सिखाने ,
चली राम की सेना रावण का दंभ मिटाने !
हर हर हर हर महादेव !

रावण के अनाचारों से डरकर  वसुधा है डोली ,
दुष्ट ने ऋषियों के प्राणों से खेली खून की होली ,
सत्यमेव जयते की ज्योति त्रिलोकों में जगाने !
चली राम की सेना ........................
हर हर हर हर महादेव !

तीन लोक में रावण के आतंक का बजता डंका ,
कैसे मिटेगा भय रावण का देवों को आशंका ?
मायावी की माया से सबको मुक्ति दिलवाने !
चली राम की सेना ........................
हर हर हर हर महादेव !

जिस रावण ने छल से हर ली पंचवटी से सीता ,
शीश कटे उस रावण का , करें राम ये कर्म पुनीता ,
पतिव्रता नारी को खोया सम्मान दिलाने !
चली राम की सेना ......
हर हर हर हर महादेव !

एकोअहम के दर्प में जिसने त्राहि त्राहि मचाई ,
उस रावण का बनकर काल आज चले रघुराई ,
निशिचरहीन करूंगा धरती अपना वचन निभाने !   
चली राम की सेना .....................
हर हर हर हर महादेव !

                                                   शिखा कौशिक 'नूतन'