सलाम मदर इण्डिया को -लघु कथा
'विलास .. .. विलास ' बाइक पर विलास के घर के बाहर कुंदन और किशोर दबी जुबान में आवाज लगा रहे थे .फरवरी के महीने की सुबह के चार बज रहे थे . विलास हल्के क़दमों से हाथ में एक थैला लेकर चुपके से घर से निकल लिया .बाइक पर किशोर के पीछे विलास के बैठते ही कुंदन ने बाइक स्टार्ट कर दी .हवा में उड़ते हुए तीनों एक घंटे में शहर के चौराहे पर पहुँच गए .विलास ने घडी में टाइम देखा .पांच बजने वाले थे .कुंदन बोला -''तैयार रहना विलास आज उन दोनों की सारी हेकड़ी निकाल देंगें .'' तभी सामने से स्कूटी पर आती दो छात्राएं दिखाई दी . उनके थोडा आगे निकलते ही कुंदन ने बाइक उनकी स्कूटी के पीछे दौड़ा दी .सड़क पार होते ही स्कूटी ज्यों ही एक गली में मुड़ी कुंदन ने सुनसान इलाका देख अपनी बाइक की रफ़्तार बढ़ा दी और स्कूटी के आगे जाकर रोक दी .तेज ब्रेक लगाने के कारण स्कूटी का संतुलन बिगड़ा और संभलते संभलते भी भी दोनों छात्राएं सड़क पर गिर पड़ी .विलास तेजी से बाइक से उतरा और थैले में से बोतल निकालकर उनकी ओर बढ़ा .बोतल का ढक्कन खोलकर उसमे भरा द्रव सड़क पर गिरी छात्राओं के चेहरों पर उड़ेल दिया .छात्राओं ने चीखकर अपना मुंह ढक लिया पर ये क्या वहां चारो ओर गुलाब जल की खुशबू फ़ैल गयी .विलास ने हाथ में पकड़ी बोतल के मुंह को नाक के पास लाकर सूंघा ..उसमे से गुलाब जल की ही खुशबू आ रही थी .उसने बोतल को ध्यान से देखा .ये तेजाब वाली बोतल नहीं थी .
तभी किशोर जोर से बोला -''....विलास जल्दी भाग .......पुलिस ...पुलिस पुलिस की जीप आ रही है .विलास के हाथ कांप गए बोतल हाथ से छूटकर वही गिर गयी ..विलास बाइक की ओर दौड़ा तभी गली में एक कार आकर रुकी .विलास पहचान गया ये उनकी ही कार थी .कार का गेट तेजी से खुला और एक महिला उसमे से बाहर निकली .विलास उन्हें देखते ही बोला .-''..मम्मी आप ...यहाँ ....!!!'' पीछे से आती पुलिस की जीप भी वहां आकर रुकी .महिला ने विलास के पास आकर एक जोरदार तमाचा उसके गाल पर जड़ दिया और क्रोध में कांपते हुए बोली -''....मैं तेरी मम्मी नहीं .!!''दौड़कर आते पुलिस के सिपाहियों को देखकर तीनों भागने का प्रयास करने लगे पर विफल रहे .विलास की मम्मी ने फिर उन छात्राओं के पास पहुंचकर उन्हें सहारा देकर खड़ा किया ओर उन्हें अपनी कार से डॉक्टर की क्लिनिक तक पहुँचाया .................फिर एक लम्बी सांस लेकर सोचा -'''अगर मैं विलास की गतिविधियों पर ध्यान न देती और तेजाब की बोतल की जगह थैले में गुलाब जल की बोतल न रखती तो आज उसने तो इन कलियों को झुलसा ही डाला था .
shikha kaushik
काश हर माँ मे ऐसा जज़्बा हो।
जवाब देंहटाएंसुन्दर ....यदि ऐसा होने लगे तो ऐसा करने की आवश्यकता ही न रहे...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंगणेशचतुर्थी की हार्दिक शुभकामनाएँ!
har ma aisi i honi c hahiye , padhte padhte dil baith gaya tha jasie hi bootal khol kar dala gaya .......oh par gulab jal padha to thandak bhi pad gayi :)) bahut acchi laghukatha .
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया कहानी है
जवाब देंहटाएंसमाज को दर्पण दिखता बिंब है
prerak laghukatha..
जवाब देंहटाएंसार्थक अभिव्यक्ति। मेरे नए पोस्ट 'समय सरगम' पर आपका इंतजार रहेगा।
जवाब देंहटाएंसार्थक पोस्ट आभार |
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