जीवन तो दो ............
छू तो लिया हमने
आसमान की बुलंदियों को
और तुम नीचे से
हमारी ही आँखों से
देख रहे हो अंतरिक्ष के
अनसुलझे रहस्यों को
जो तुम्हारी पहुँच से है दूर
पर मैंने पा लिया है
कई बेटों को पछाड़
भर ली ऊँची उड़ान
मैं भी तो बेटी ही हूँ
फिर क्यों मुझ जैसी ही
बेटियों को मार देते हो
जन्म लेने से पहले
जीवन तो दो बेटियों को
कर सकती है वो
हर सपने साकारबेटियों को मार देते हो
जन्म लेने से पहले
जीवन तो दो बेटियों को
कर सकती है वो
हर सपने साकार
बस एक ऊँगली थाम
बेटियाँ हैं अनमोल उपहार
बस जीवन तो दो .........बेटियों को मार देते हो
जन्म लेने से पहले
जीवन तो दो बेटियों को
कर सकती है वो
हर सपने साकार
बस एक ऊँगली थाम
बेटियाँ हैं अनमोल उपहार
बस जीवन तो दो .........
बस एक ऊँगली थाम
बेटियाँ हैं अनमोल उपहार
बस जीवन तो दो .........
छू तो लिया हमने
आसमान की बुलंदियों को
और तुम नीचे से
हमारी ही आँखों से
देख रहे हो अंतरिक्ष के
अनसुलझे रहस्यों को
जो तुम्हारी पहुँच से है दूर
पर मैंने पा लिया है
कई बेटों को पछाड़
भर ली ऊँची उड़ान
मैं भी तो बेटी ही हूँ
फिर क्यों मुझ जैसी ही
बेटियों को मार देते हो
जन्म लेने से पहले
जीवन तो दो बेटियों को
कर सकती है वो
हर सपने साकारबेटियों को मार देते हो
जन्म लेने से पहले
जीवन तो दो बेटियों को
कर सकती है वो
हर सपने साकार
बस एक ऊँगली थाम
बेटियाँ हैं अनमोल उपहार
बस जीवन तो दो .........बेटियों को मार देते हो
जन्म लेने से पहले
जीवन तो दो बेटियों को
कर सकती है वो
हर सपने साकार
बस एक ऊँगली थाम
बेटियाँ हैं अनमोल उपहार
बस जीवन तो दो .........
बस एक ऊँगली थाम
बेटियाँ हैं अनमोल उपहार
बस जीवन तो दो .........
बहुत सुन्दर व सार्थक-सत्य भावाव्यक्ति ....
जवाब देंहटाएं---परन्तु --
कई बेटों को पछाड़
भर ली ऊँची उड़ान
मैं भी तो बेटी ही हूँ |
---बेटों को पछाडने की सोच व प्रवृत्ति द्वंद्वों को जन्म देती है अनुचित है...
--साथ साथ चलना और आगे निकलने की होड में अंतर है ...जो सामाजिक क्लेशों की जन्मदाता है...
----ऋग्वेद का अंतिम मन्त्र है--
" समानी अकूती समामस्तु वो महे.." हम मन, विचार, कर्म से समान हों ...
sarthak prastuti .badhai
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