'चित्र से काव्य तक' प्रतियोगिता अंक -१८
"[चौपाई छंद ]
कन्या करों में कलम सुहाती * बात समझ ये क्यूँ ना आती !
मन में अज्ञान मैल समाया * ज्ञान झाड़ू से हो सफाया !!"
शिक्षित कन्या कुल मान बढाती * नई पीढ़ी शिक्षित हो जाती !
इससे झाड़ू मत लगवाओ * कागज कलम इसे पकडाओ !!"
SHIKHA KAUSHIK
बहुत सराहनीय प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया...!
जवाब देंहटाएंsundar bhaav
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंaap sabhi ka hardik aabhar
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जवाब देंहटाएंचौपाई....
जिसका जैसा भाग्य लिखाहै,वही कर्म का लेखदिखाहै|
कन्या-पुत्र न कोई अंतर,झाडू हो या कलम तदन्तर |
---कवित्त छंद...
"तेरे करने से कुछ होता नहीं कार्य यहाँ,
अप शुभ कर्म न्याय रीति-नीति कीजिये |
होता जिस जातक का जैसा भाग्येश यथा,
होता वही, आप झाडू या कलम दीजिए |
पर होता माता-पिता का भी कुछ धर्म'श्याम,
आप भी संतान हित, निज कर्म कीजिये |
कन्या और पुत्र में न कीजै कोई भेद-भाव,
दोनों को समान-भाव पाल-पोस लीजिए ||
kya aapne dono ''OPEN BOOK ''par dal diye hain yadi nahi to jaroor dal den .
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जवाब देंहटाएंशिक्षित कन्या कुल मान बढाती * नई पीढ़ी शिक्षित हो जाती !
इससे झाड़ू मत लगवाओ * कागज कलम इसे पकडाओ !!"
मनमोहन को ये समझाओ ,कन्या -कर में कलम सुहाती ,
सबका भाग्य सोनिया जी की तरह विकसित नहीं है जो बारवीं पास होके मोहना मन से पानी भरवा रहीं हैं .
जवाब देंहटाएंशिक्षित कन्या कुल मान बढाती * नई पीढ़ी शिक्षित हो जाती !
इससे झाड़ू मत लगवाओ * कागज कलम इसे पकडाओ !!"
मनमोहन को ये समझाओ ,कन्या -कर में कलम सुहाती ,
सबका भाग्य सोनिया जी की तरह विकसित नहीं है जो बारवीं पास होके मोहना मन से पानी भरवा रहीं हैं .
बहुत सार्थक रचना
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