नहिं बातन आवै ये राजदुलारी
( श्याम सवैया छंद ... छः पंक्तियाँ )
साथ लिए सब गोप सखा, काहे रोकि खड़े हो राह हमारी |
ढीठ बड़े नहिं लाज तनिक, मग छांडि चलौ नहिं देहें गारी |
गारी भले तुम देहु सवै, मटुकी जनि छोड़ेंगे आज तुम्हारी |
माखन ले क्यों चली मथुरा,बरज्यो जब कान्हा-कृष्ण-मुरारी |
चोरी करौ, बरजोरी करौ , वन-बाग फिरौ बनिकें बनवारी |
नचिहौ जो बने वन-मोर लला,माखन मिलिहै नहिं देहें गारी ||
जनि माखन पे टरकाउ भला, दधि-माखन लूटि तौ नीति हमारी |
चोरी कहौ, बरजोरी कहौ ,मटुकी जनि छोड़ेंगे आज तिहारी |
बनिकें वन-मोर नचें हमतौ, यदि पैज की बात रखौ जु हमारी |
फिरिहै जो बनी वन-मोरलिया, हमरे संग-संग वृषभानु दुलारी |
नैन नचाय कही राधा, हम आपुहि आपुन मन की जुहारी |
चोरी करौ, बरजोरी करौ, तुम कौन कहाँ के हौ ठाकुर भारी ||
अपने मन की नहिं बात करौ, तुम सांचुहि आपुन हिय की जुहारी |
झांकि लखौ आपुन हियरे, तौ पैहो हमारी ही छवि सुकुमारी |
कान्हा न कान्हा, राधा न राधा, राधा बिना कंह वन, वनबारी |
बात हि बात भुरइ राधा, मन मोहि लियो मोहन मनहारी |
मन ही मन मुसुकांय सखीं, मन मोहन पे राधा बलिहारी |
बोलें नहीं भरमाउ लला, नहिं बातन आवै ये राज-दुलारी ||
अपने मन की नहिं बात करौ, तुम सांचुहि आपुन हिय की जुहारी |
जवाब देंहटाएंझांकि लखौ आपुन हियरे, तौ पैहो हमारी ही छवि सुकुमारी |
कान्हा न कान्हा, राधा न राधा, राधा बिना कंह वन, वनबारी |
बात हि बात भुरइ राधा, मन मोहि लियो मोहन मनहारी |
मन ही मन मुसुकांय सखीं, मन मोहन पे राधा बलिहारी |
बोलें नहीं भरमाउ लला, नहिं बातन आवै ये राज-दुलारी ||.आपकी पोस्ट सराहनीय है..ऑनर किलिंग:सजा-ए-मौत की दरकार नहीं
सटीक |
जवाब देंहटाएंबधाई ||