खून के रिश्ते पानी होते हमने देखे .
हमने लिहाज़ के टूटे बिखरे टुकड़े देखे ;
हमने माँ को गाली देते बेटे देखे .
जिनको गोद उठाकर अब्बा खुश होते थे ;
उनके कारण रोते हमने अब्बा देखे .
जो खाते थे एक रोटी में आधी आधी
भाई ऐसे क़त्ल भाई के करते देखे .
लाये थे लक्ष्मी कहकर जिसको अपने घर
उस लक्ष्मी को आग लगाते दानव देखे .
कोख में कलियों को मसलते माली देखे;
खून के रिश्ते पानी होते हमने देखे .
शिखा कौशिक
gHOR kALIYUG hAI....
जवाब देंहटाएंyahi aaj ka yatharth hai .
जवाब देंहटाएंबहुत सही कहा है बहुत सुन्दर भावात्मक प्रस्तुति -http://shalinikaushik2.blogspot .com
जवाब देंहटाएंआभार ऐसा हादसा कभी न हो
शिखा जी कौशिक के उत्कृष्ट गीत से प्रेरित
जवाब देंहटाएंखून-पानी एक करके धर दिया है ।
गाँव को भी लाश से ही भर दिया है ।
हर जगह अब चल रही खूनी हुकूमत -
खून के आंसू रुला सब हर लिया है ।
खूं-पसीना एक करके बाप पाले-
पड़ा लथ-पथ खून घर में कर दिया है ।
लोथड़े को खून से सींची महीनों -
प्राण पाकर पुत्र ने नौकर किया है ।
खरा खरा सच
जवाब देंहटाएंशिखा जी आपकी यह कविता.. वर्तमान में रिश्तों के जो हाल हैं उनको नंगा करती है और उन पर करारी चोट करती है...
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी पंक्तियाँ...दिल को छू गयीं...
जवाब देंहटाएंअनु
खरी प्रभावशाली रचना...
जवाब देंहटाएंसादर.
So True. आपने भी क्या खूब ,ये पंक्तियां पढवाई हैं ,
जवाब देंहटाएंसुंदर शब्दों का चयन , संयोजन कर के लाई हैं ,
दिल से निकली ,रचना ये मन को हमारे भाई है ..
बहुत बहुत शुभकामनाएं ।
http://madan-saxena.blogspot.in/
http://mmsaxena.blogspot.in/
http://madanmohansaxena.blogspot.in/
खून के रिश्ते अक्सर पानी निकलते हैं ...रिश्ते में अब वो बात नही .आपकी पोस्ट बड़ी भावपूर्ण लगी बधाई
जवाब देंहटाएंprotsahan hetu aap sabhi ka hardik aabhar .
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