सामान्य जन का सामाजिक परिवर्तन में योगदान
सर्वप्रथम प्रश्न उठता है कि सामान्य जन है कौन? प्रजातंत्र में सभी सामान्य जन हैं, हम सब | अतः हम सभी का कर्तव्य है कि सामाजिक परिवर्तन में हाथ बंटाएं |
कहाँ से प्रारम्भ किया जाय ? यह एक यक्ष-प्रश्न है | कहीं से भी करें |कोइ भी एक कार्य हाथमें लेलीजिये और प्रारम्भ कर दीजिए | क्या करें औरकैसे, कब ...यह सोचते तो काम होगा ही नहीं | गोस्वामी तुलसी दास जी ने कहा है .." सकल पदार्थ हैं जग माँही, करमहीन नर पावत् नाहीं |"...
आवश्यकता है हम सब को काम में जुट जाने की | छोटे-छोटे कार्यों... पौधे लगाना, गरीब बच्चो को पढ़ाना या किताब, कापी, खाना-कपड़ा बांटना, उपलब्ध कराना, गर्मी में प्याऊ लगबाना, चींटियों को आटा डालना, पर्यावरण-प्रदूषण के बारे में ज्ञान फैलाना, अकर्मण्यता, आलस , अंधविश्वास आदि की रूढियां व हानियाँ के बारे में बच्चों व अन्य को बताना-समझाना ; महिला व प्रौढ़ शिक्षा अभियान व अन्य सरकारी योजनाओं के बारे में सबको बताना व ज्ञान का प्रचार आदि| अन्य राहें तो अपने आप मिलती जायेंगीं --आप प्रारम्भ तो करें |
व्यक्ति ही तो समाज व राष्ट्र की इकाई होता है| यदि प्रत्येक इकाई अपना कार्य सुचारू रूप से करे, निष्ठा से करे तो निश्चय ही वह समाज व राष्ट्र के निर्माण में भरपूर योगदान कर सकता है |
सर्वप्रथम प्रश्न उठता है कि सामान्य जन है कौन? प्रजातंत्र में सभी सामान्य जन हैं, हम सब | अतः हम सभी का कर्तव्य है कि सामाजिक परिवर्तन में हाथ बंटाएं |
कहाँ से प्रारम्भ किया जाय ? यह एक यक्ष-प्रश्न है | कहीं से भी करें |कोइ भी एक कार्य हाथमें लेलीजिये और प्रारम्भ कर दीजिए | क्या करें औरकैसे, कब ...यह सोचते तो काम होगा ही नहीं | गोस्वामी तुलसी दास जी ने कहा है .." सकल पदार्थ हैं जग माँही, करमहीन नर पावत् नाहीं |"...
आवश्यकता है हम सब को काम में जुट जाने की | छोटे-छोटे कार्यों... पौधे लगाना, गरीब बच्चो को पढ़ाना या किताब, कापी, खाना-कपड़ा बांटना, उपलब्ध कराना, गर्मी में प्याऊ लगबाना, चींटियों को आटा डालना, पर्यावरण-प्रदूषण के बारे में ज्ञान फैलाना, अकर्मण्यता, आलस , अंधविश्वास आदि की रूढियां व हानियाँ के बारे में बच्चों व अन्य को बताना-समझाना ; महिला व प्रौढ़ शिक्षा अभियान व अन्य सरकारी योजनाओं के बारे में सबको बताना व ज्ञान का प्रचार आदि| अन्य राहें तो अपने आप मिलती जायेंगीं --आप प्रारम्भ तो करें |
व्यक्ति ही तो समाज व राष्ट्र की इकाई होता है| यदि प्रत्येक इकाई अपना कार्य सुचारू रूप से करे, निष्ठा से करे तो निश्चय ही वह समाज व राष्ट्र के निर्माण में भरपूर योगदान कर सकता है |
सही कहा है बूँद बूँद सो भरे सरोवर ,व्यक्ति से समष्टि है .कृपया यहाँ भी पधारें -
जवाब देंहटाएंram ram bhai
शुक्रवार, 20 जुलाई 2012
क्या फर्क है खाद्य को इस्ट्यु ,पोच और ग्रिल करने में ?
क्या फर्क है खाद्य को इस्ट्यु ,पोच और ग्रिल करने में ?
कौन सा तरीका सेहत के हिसाब से उत्तम है ?
http://veerubhai1947.blogspot.de/
जिसने लास वेगास नहीं देखा
जिसने लास वेगास नहीं देखा
http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com/
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंsarthak mudde ko uthhati post hetu aabhar
जवाब देंहटाएंCHARAIVETI CHARAIVETI....
जवाब देंहटाएंhttp://yayavar420.blogspot.in/
धन्यवाद शालिनी जी, शिखा जी, वीरू जी,व सोमवंशी जी....
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