रौंदे गए खेत की तरह
पहुंची वह डेस्क पर
भरभरा कर ढहती
मिट्टी का सिलसिला
शिथिल पड़ गया था
पर थमा नहीं था बिल्कुल
पुलिस लग गई थी छानबीन में
सुराग की छेद में समाया था
टीचर से ब्वॉयफ्रेंड बना गिरिधारी
कवर की बॉटम होगी
पूरे पांच कॉलम की
उघड़ी खबर की आंखें
कल शहर की तमाम आंखों की
तलाशी लेगी
घबराना नहीं तुम
छंटने लगे बेहोशी तब भी
कल कोई नहीं पहचानेगा
भरभरा कर झरती
दोबारा इस मिट्टी को
बदनाम तो होगी वह
जिसे सूंघते फिरंगे सब
सड़कों-मोहल्लों पड़ोस में
और हम
हम तो होंगे बस
पेशेवर चश्मदीद
भेड़ियों की पीठ पर
शरारतन धौल जमाते
अगले नाम से फिर एक बार
दोहराया गया दुष्कर्म
हौले-हौले फूंक-फूंककर
मर्दाना शहर में बढ़ गई अचानक
मांदों की गिनती
पिछले साल पांच सौ छब्बीस
इस साल अगस्त तक
चार सौ इक्कीस
स्कूल में पढ़ने वाली
मालती को क्या पता था
सबक याद कराने वाला मास्टर
उसे क्या रटा रहा है
देर शाम बेहोश मिली मालती
कोचिंग सेंटर के आखिरी कमरे में
चालीस फोंट की बोल्ड हेडिंग
लुट गई मालती दिन-दहाड़े
खुलती आंखों का भरोसा
फिर से सो गया
लोकशाही के चौथे खंभे का
हथकंडा देखकर
प्रेम जी बेहद गंभीर मसले को बेहतर तरीके से उठाया है अपने... झकझोर कर रख दिया आपकी इस कविता ने... कथित चौथे खम्बे से ही जुदा हूँ तो सब कुछ घूम गया आँखों में....
जवाब देंहटाएंsachchai ko shabdon me bahut hi marmik dhang se piroya hai aapne.
जवाब देंहटाएंसार्थक और सामयिक ,
जवाब देंहटाएंशिखा जी ,आपने इस ब्लॉग को बहुत ही बेहतरीन सजाया है.आज पहली बार यहाँ आना हुआ ,बहुत अच्छा लगा.
जवाब देंहटाएंमोहब्बत नामा
मास्टर्स टेक टिप्स
स्कूल में पढ़ने वाली
जवाब देंहटाएंमालती को क्या पता था
सबक याद कराने वाला मास्टर
उसे क्या रटा रहा है
देर शाम बेहोश मिली मालती
कोचिंग सेंटर के आखिरी कमरे में
..bigadte haalaton mein kisi par kaise bharosa karen bahut mushkil hota jaa rahai..
bahut samvedansheel aur sachet karti prastuti ke liye aabhar!
shukria...dOsToN...!
जवाब देंहटाएंprem ji -aaj sab apne faide ke liye kisi ki bhi garima ki dhajjiyan uda rahe hain .mahilayen v ladkiyan iska sabse jyada shikar hain .bahut sarthak prastuti .aabhar
जवाब देंहटाएंह्रदय स्पर्शी ,वास्तविक,भयावह ....... आज किस मोड़ पर खडे है हम ........
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