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रविवार, 1 जुलाई 2012

स्त्री की जय जयकार लिखो !


स्त्री की  जय जयकार लिखो !





अब  नख -शिख  वर्णन छोड़ कवि ;
स्त्री मेधा पर छंद रचो ,
मांसल श्रृंगार अभिव्यक्ति छोड़ ;
स्त्री -उर  की कुछ व्यथा लिखो .

अब नहीं नायिका वो नारी ;
जिसका अंग-अंग अति सुन्दर हो  ,
ये  युग सशक्त नारी का है ;
बढ़ता  उसका  सम्मान  लिखो .
अब नयनों के तीर नहीं चलते ;
प्रज्ञा से करे पराजित है ;
मत  अधर -लालिमा में उलझो     
मन  में  उठता  कुछ  ज्वार  लिखो   .
अब नहीं विरह गीतों का युग ;
न विरह ताप में वो झुलसे ,
प्रतिबद्ध  है ज्ञानार्जन को ;
बढ़ते क़दमों की चाल  लिखो .
Hand : Group of hand and fist lift up high on white background


अब नहीं विलास -  वस्तु  नारी   ;
न केवल  कोमल  देह मात्र ,
स्त्री ने पृथक अस्तित्व रचा  ;
तुम  उसकी जय जयकार लिखो .

                                         शिखा कौशिक 
[विख्यात ]

[सभी चित्र गूगल से साभार  ]

9 टिप्‍पणियां:

  1. मातृ-शक्ति की जय-जय बोलो, जय माता दी |
    वाणी में सच्चाई घोलो, जय माता दी |
    स्वस्ति-मेधा आगे बढती, नईं उंचाई हर दिन चढ़ती |
    मनु की मंजिल, शक्ति तोलो, जय माता दी ||

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  2. लेकिन सशक्‍त नारियां भी रोना-धोना ही लिखती रहती हैं। वे कभी भी महिला की सशक्‍तता का वर्णन नहीं करती हैं इसलिए पुरुष भी ऐसा ही लिखता है।

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  3. आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल के चर्चा मंच पर राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आकर चर्चामंच की शोभा बढायें

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  4. नारी शक्ति की सशक्त अभिव्यक्ति।

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  5. बेहतरीन अभिव्यक्ति...शुभकामनायें जी /

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  6. I read your post interesting and informative. I am doing research on bloggers who use effectively blog for disseminate information.My Thesis titled as "Study on Blogging Pattern Of Selected Bloggers(Indians)".I glad if u wish to participate in my research.Please contact me through mail. Thank you.

    http://priyarajan-naga.blogspot.in/2012/06/study-on-blogging-pattern-of-selected.html

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  7. sundar rachanaa ....par nishchay he medha ke sath saundarya naree ka aabhushan hai...kaun isase inkar kar sakata hai...

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