स्त्री की जय जयकार लिखो !
अब नख -शिख वर्णन छोड़ कवि ;
स्त्री मेधा पर छंद रचो ,
मांसल श्रृंगार अभिव्यक्ति छोड़ ;
स्त्री -उर की कुछ व्यथा लिखो .
अब नहीं नायिका वो नारी ;
जिसका अंग-अंग अति सुन्दर हो ,
ये युग सशक्त नारी का है ;
बढ़ता उसका सम्मान लिखो .
अब नयनों के तीर नहीं चलते ;
प्रज्ञा से करे पराजित है ;
मत अधर -लालिमा में उलझो
मन में उठता कुछ ज्वार लिखो .
अब नहीं विरह गीतों का युग ;
न विरह ताप में वो झुलसे ,
प्रतिबद्ध है ज्ञानार्जन को ;
बढ़ते क़दमों की चाल लिखो .
अब नहीं विलास - वस्तु नारी ;
न केवल कोमल देह मात्र ,
स्त्री ने पृथक अस्तित्व रचा ;
तुम उसकी जय जयकार लिखो .
शिखा कौशिक
[विख्यात ]
[सभी चित्र गूगल से साभार ]
जय हो नारी शक्ति की
जवाब देंहटाएंमातृ-शक्ति की जय-जय बोलो, जय माता दी |
जवाब देंहटाएंवाणी में सच्चाई घोलो, जय माता दी |
स्वस्ति-मेधा आगे बढती, नईं उंचाई हर दिन चढ़ती |
मनु की मंजिल, शक्ति तोलो, जय माता दी ||
लेकिन सशक्त नारियां भी रोना-धोना ही लिखती रहती हैं। वे कभी भी महिला की सशक्तता का वर्णन नहीं करती हैं इसलिए पुरुष भी ऐसा ही लिखता है।
जवाब देंहटाएंआपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल के चर्चा मंच पर राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आकर चर्चामंच की शोभा बढायें
जवाब देंहटाएंनारी शक्ति की सशक्त अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंwaah..prashnshneey rachna
जवाब देंहटाएंबेहतरीन अभिव्यक्ति...शुभकामनायें जी /
जवाब देंहटाएंI read your post interesting and informative. I am doing research on bloggers who use effectively blog for disseminate information.My Thesis titled as "Study on Blogging Pattern Of Selected Bloggers(Indians)".I glad if u wish to participate in my research.Please contact me through mail. Thank you.
जवाब देंहटाएंhttp://priyarajan-naga.blogspot.in/2012/06/study-on-blogging-pattern-of-selected.html
sundar rachanaa ....par nishchay he medha ke sath saundarya naree ka aabhushan hai...kaun isase inkar kar sakata hai...
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