ओड़ीशा के भद्रक शहर की कल की ही घटना है | एक लड़की है आशा (नाम बदला हुआ), जिसकी माँ उसके पैदा होते ही स्वर्ग सिधार गई थी और उसके पिता ने दूसरी शादी कर ली थी | बहुत दिनों से उसकी शादी की बात चल रही थी | एक अच्छा रिश्ता आया पर वहाँ उसके पिता ने इसलिए शादी नहीं कराई क्योकि 40000 रुपये दहेज के तौर पे मांगे जा रहे थे | फिर एक और रिश्ता आया जिसमे दहेज की रकम 20000 रुपये थी | आशा की सौतेली माँ ने आशा को एक लड़के का फोटो दिखाया और उसे शादी के लिए राज कर लिया | कल एक मंदिर मे उसकी शादी तय थी | मंदिर के रजिस्टर मे हस्ताक्षर के लिए जब लड़का-लड़की दोनों गए तब दोनों ने पहली बार एक दूसरे को देखा | तभी अचानक आशा रोने लगी और रोते हुए वहाँ से हट गयी और कोने मे जाकर ज़ोर ज़ोर से रोने लगी | जब रिशतेदारों ने रोने का कारण पूछा तो उसने बताया कि उसकी सौतेली माँ ने किसी और लड़के का फोटो दिखाया था और उसके बारे मे भी गलत बात बताई थी | जो लड़का अभी शादिकारने आया उसके चचेरे भाई कि फोटो दिखाई गई थी और ये बताया गया था कि लड़का मोबाइल दुकान मे रेपइरिंग का काम करता है | पर जो लड़का अभी सामने था वो बहुत ज्यादा उम्रदराज और कुछ काम न करने वाला लड़का था | सबने आशा कि माँ से बात करनी चाही तो वो उल्टा वही पे आशा के बाल पकड़ के मारने लगी और ये कहने लगी कि तू झूठ बोल रही है, सब नाटक कर रही है | अन्य रिशतेदारों ने जब विरोध किया तो आशा कि सौतेली माअ ने कहा कि जो बोलेगा उसी को इसका ज़िम्मेदारी संभालना होगा | यह सुन के सभी लोग शांत हो गए और सौतेली माँ ने उसी लड़के से आखिरकार उसकी शादी करवा ही दी | इस तरह एक और बेबस लड़की के अरमानों का खून हो गया और ये हमारा सभ्य समाज सब देखता ही रह गया | क्या कभी इस तरह कि घटनाओं का अंत हो पाएगा?
अच्छा लेख...
जवाब देंहटाएंवस्तुतः हम सामाजिक अव्यवस्थातंत्र में जी रहे हैं...
bahut badhiya likha hae aapne ,badhai
जवाब देंहटाएंsaarthak post, abhar.
जवाब देंहटाएं"श्रम साधना "स्मारिका के सफल प्रकाशन के बाद
हम ला रहे हैं .....
स्वाधीनता के पैंसठ वर्ष और भारतीय संसद के छः दशकों की गति -प्रगति , उत्कर्ष -पराभव, गुण -दोष , लाभ -हानि और सुधार के उपायों पर आधारित सम्पूर्ण विवेचन, विश्लेषण अर्थात ...
" दस्तावेज "
जिसमें स्वतन्त्रता संग्राम के वीर शहीदों की स्मृति एवं संघर्ष गाथाओं , विजय के सोल्लास और विभाजन की पीड़ा के साथ-साथ भारतीय लोकतंत्र की यात्रा कथा , उपलब्धियों , विसंगतियों ,राजनैतिक दुरागृह , विरोधाभाष , दागियों -बागियों का राजनीति में बढ़ता वर्चस्व , अवसरवादी दांव - पेच तथा गठजोड़ के दुष्परिणामों , व्यवस्थागत दोषों , लोकतंत्र के सजग प्रहरियों के सदप्रयासों तथा समस्याओं के निराकरण एवं सुधारात्मक उपायों सहित वह समस्त विषय सामग्री समाहित करने का प्रयास किया जाएगा , जिसकी कि इस प्रकार के दस्तावेज में अपेक्षा की जा सकती है /
इस दस्तावेज में देश भर के चर्तित राजनेताओं ,ख्यातिनामा लेखकों, विद्वानों के लेख आमंत्रित किये गए है / स्मारिका का आकार ए -फॉर (11गुणे 9 इंच ) होगा तथा प्रष्टों की संख्या 600 के आस-पा / विषयानुकूल लेख, रचनाएँ भेजें तथा साथ में प्रकाशन अनुमति , अपना पूरा पता एवं चित्र भी / लेख हमें हर हालत में 30 जुलाई 2012 तक प्राप्त हो जाने चाहिए ताकि उन्हें यथोचित स्थान दिया जा सके /
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