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शुक्रवार, 1 जून 2012

डा श्याम गुप्त का गीत .....मधु कल्पना हो....

तुम ख्यालों की मेरी मधु कल्पना हो |
तुम सवालों से सजी नव अल्पना हो ||

रंग तुम हो तूलिका के
काव्य का  हर अंग हो |
काव्य-स्फुरणा से तू,
मन में उठी तरंग हो |

तुम रचयिता मन की,
सुन्दर औ सुखद सी प्रेरणा |
तुम हो रचना धर्मिता ,
रस भाव की उत्प्रेरणा |

काव्य भावों से भरे ,शुचि-
ज्ञान  की तुम व्यंज़ना |
मन बसी सुख-स्वप्न सी ,
भावुक क्षणों की संजना |

तुम चलो तो चल् पड़े संसार का क्रम |
 तुम रुको थम जाय सारा विश्व-उपक्रम |

तुम सवालों से सजी मन-अल्पना हो |
तुम ख्यालों की मेरी मधु कल्पना हो ||

जलज-दल पलकें उठालो ,
नित  नवीन विहान हो |
तुम अगर पलकें झुकालो,
दिवस का अवसान हो |

तुम सृजन की भावना ,
इस मन की अर्चन वन्दना |
तुम ही मेरा काव्य-सुर हो,
तृषित मन की रंजना |

तुम  ज़रा सा मुस्कुरालो,
मुस्कुराए  ये   जहां  |
तुम ज़रा सा गुनागुनालो ,
खिलखिलाए आसमां |

तुम बनालो मीत तो खिल जाय तन मन |
तुम छिटक दो हाथ तो हो विश्व अनमन |

तुम ख्यालों की मेरी मधु कल्पना हो |
तुम सवालों से सजी , नव अल्पना हो ||








14 टिप्‍पणियां:

  1. ,अच्छी प्रस्तुति
    तुम ज़रा सा मुस्कुरालो,
    मुस्कुराए ये जहां |
    तुम ज़रा सा गुनागुनालो ,
    खिलखिलाए आसमां |
    बढ़िया गीत भावनाओं का उद्दात्तिकरण करता कराता हुआ .बधाई ..
    .


    बृहस्पतिवार, 31 मई 2012
    शगस डिजीज (Chagas Disease)आखिर है क्या ?
    शगस डिजीज (Chagas Disease)आखिर है क्या ?

    माहिरों ने इस अल्पज्ञात संक्रामक बीमारी को इस छुतहा रोग को जो एक व्यक्ति से दूसरे तक पहुँच सकता है न्यू एच आई वी एड्स ऑफ़ अमेरिका कह दिया है .
    http://veerubhai1947.blogspot.in/

    गत साठ सालों में छ: इंच बढ़ गया है महिलाओं का कटि प्रदेश (waistline),कमर का घेरा
    साधन भी प्रस्तुत कर रहा है बाज़ार जीरो साइज़ हो जाने के .

    http://kabirakhadabazarmein.blogspot.in/

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  2. बहुत सुन्दर प्रेमभाव में पगी रचना कोई जबाब नहीं

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  3. धन्यवाद वीरू भाई ,सुधीर, राजेश कुमारी जी व संजू ...

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  4. बहुत सुंदर कविता । मेरे नए पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।

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  5. तुम बनालो मीत तो खिल जाय तन मन |
    तुम छिटक दो हाथ तो हो विश्व अनमन |
    beautiful lines with deep emotions andfeelings

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  6. धन्यवाद रमाकांत जी एवं कैलाश जी ...

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  7. तुम बनालो मीत तो खिल जाय तन मन |
    तुम छिटक दो हाथ तो हो विश्व अनमन ..waah...

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