तुम ख्यालों की मेरी मधु कल्पना हो |
तुम सवालों से सजी नव अल्पना हो ||
रंग तुम हो तूलिका के
काव्य का हर अंग हो |
काव्य-स्फुरणा से तू,
मन में उठी तरंग हो |
तुम रचयिता मन की,
सुन्दर औ सुखद सी प्रेरणा |
तुम हो रचना धर्मिता ,
रस भाव की उत्प्रेरणा |
काव्य भावों से भरे ,शुचि-
ज्ञान की तुम व्यंज़ना |
मन बसी सुख-स्वप्न सी ,
भावुक क्षणों की संजना |
तुम चलो तो चल् पड़े संसार का क्रम |
तुम रुको थम जाय सारा विश्व-उपक्रम |
तुम सवालों से सजी मन-अल्पना हो |
तुम ख्यालों की मेरी मधु कल्पना हो ||
जलज-दल पलकें उठालो ,
नित नवीन विहान हो |
तुम अगर पलकें झुकालो,
दिवस का अवसान हो |
तुम सृजन की भावना ,
इस मन की अर्चन वन्दना |
तुम ही मेरा काव्य-सुर हो,
तृषित मन की रंजना |
तुम ज़रा सा मुस्कुरालो,
मुस्कुराए ये जहां |
तुम ज़रा सा गुनागुनालो ,
खिलखिलाए आसमां |
तुम बनालो मीत तो खिल जाय तन मन |
तुम छिटक दो हाथ तो हो विश्व अनमन |
तुम ख्यालों की मेरी मधु कल्पना हो |
तुम सवालों से सजी , नव अल्पना हो ||
तुम सवालों से सजी नव अल्पना हो ||
रंग तुम हो तूलिका के
काव्य का हर अंग हो |
काव्य-स्फुरणा से तू,
मन में उठी तरंग हो |
तुम रचयिता मन की,
सुन्दर औ सुखद सी प्रेरणा |
तुम हो रचना धर्मिता ,
रस भाव की उत्प्रेरणा |
काव्य भावों से भरे ,शुचि-
मन बसी सुख-स्वप्न सी ,
भावुक क्षणों की संजना |
तुम चलो तो चल् पड़े संसार का क्रम |
तुम रुको थम जाय सारा विश्व-उपक्रम |
तुम सवालों से सजी मन-अल्पना हो |
तुम ख्यालों की मेरी मधु कल्पना हो ||
जलज-दल पलकें उठालो ,
नित नवीन विहान हो |
तुम अगर पलकें झुकालो,
दिवस का अवसान हो |
तुम सृजन की भावना ,
इस मन की अर्चन वन्दना |
तुम ही मेरा काव्य-सुर हो,
तृषित मन की रंजना |
तुम ज़रा सा मुस्कुरालो,
मुस्कुराए ये जहां |
तुम ज़रा सा गुनागुनालो ,
खिलखिलाए आसमां |
तुम छिटक दो हाथ तो हो विश्व अनमन |
तुम ख्यालों की मेरी मधु कल्पना हो |
तुम सवालों से सजी , नव अल्पना हो ||
,अच्छी प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंतुम ज़रा सा मुस्कुरालो,
मुस्कुराए ये जहां |
तुम ज़रा सा गुनागुनालो ,
खिलखिलाए आसमां |
बढ़िया गीत भावनाओं का उद्दात्तिकरण करता कराता हुआ .बधाई ..
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बृहस्पतिवार, 31 मई 2012
शगस डिजीज (Chagas Disease)आखिर है क्या ?
शगस डिजीज (Chagas Disease)आखिर है क्या ?
माहिरों ने इस अल्पज्ञात संक्रामक बीमारी को इस छुतहा रोग को जो एक व्यक्ति से दूसरे तक पहुँच सकता है न्यू एच आई वी एड्स ऑफ़ अमेरिका कह दिया है .
http://veerubhai1947.blogspot.in/
गत साठ सालों में छ: इंच बढ़ गया है महिलाओं का कटि प्रदेश (waistline),कमर का घेरा
साधन भी प्रस्तुत कर रहा है बाज़ार जीरो साइज़ हो जाने के .
http://kabirakhadabazarmein.blogspot.in/
क्या कहने...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रेमभाव में पगी रचना कोई जबाब नहीं
जवाब देंहटाएंVery nice post.....
जवाब देंहटाएंAabhar!
Mere blog pr padhare.
धन्यवाद वीरू भाई ,सुधीर, राजेश कुमारी जी व संजू ...
जवाब देंहटाएंवाह क्या बात है।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद शानू जी...
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर कविता । मेरे नए पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंdhanyavaad prem jee...
जवाब देंहटाएंतुम बनालो मीत तो खिल जाय तन मन |
जवाब देंहटाएंतुम छिटक दो हाथ तो हो विश्व अनमन |
beautiful lines with deep emotions andfeelings
बहोत अच्छे
जवाब देंहटाएंHindi Dunia Blog (New Blog)
धन्यवाद रमाकांत जी एवं कैलाश जी ...
जवाब देंहटाएंतुम बनालो मीत तो खिल जाय तन मन |
जवाब देंहटाएंतुम छिटक दो हाथ तो हो विश्व अनमन ..waah...
धन्यवाद निशा जी...आभार ...
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