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गुरुवार, 24 मई 2012

सफ़ल दाम्पत्य के कुछ नुस्खे....ड श्याम गुप्त...



                  यदि पति-पत्नी दोनों ही अपने-अपने व्यवसाय या सर्विस में अति व्यस्त रहते हैं तो दाम्पत्य जीवन में एकरसता न आये एवं परिवार पर दुष्प्रभाव न पड़े, इसके लिए दम्पति को निम्न बातें ध्यान रखना चाहिए |
१- परस्पर विश्वास --एक दूसरे के सहकर्मियों पर संदेह व उनके बारे में अभद्र सोच मन में न लायें। सिर्फ सुनी हुई बातों पर विश्वास न करें, किसी विषय पर संदेह हो तो विवाद की बजाय आपसी बातचीत से हल करें ।

२-संवाद हीनता न रखें - छोटी-छोटी बातों पर परस्पर मतभेद व झगड़े होने पर तुरंत ही एक दूसरे को पहल करके मनाने का प्रयास करें, प्रेमी-प्रेमिकावत व्यवहार करें । अहं को आड़े न आने दें । अधिक समय तक संवाद हीनता गंभीर मतभेद उत्पन्न कर सकती है।

३-एक दूसरे को जानें, ख्याल रखें व हाथ बटाएं -- एक दूसरे की छोटी छोटी रुचियाँ ,तौर तरीकों को अवश्य याद रखें ,एक दूसरे का पूरा ख्याल रखें , समय मिलते ही उसए कार्य में भी हाथ बटाएं, ताकि एक दूसरे की अनुपस्थिति में दूसरे को साथी की कमी अनुभव हो यथा प्रेम बढ़ता ही रहे।

४-चिंता का कारण जानें -यदि साथी चिंतित प्रतीत हो तो उसकी चिंता का कारण पूछ कर यथा संभव सहायता व मानसिक संबल प्रदान करें।

५-उपहार दें -शास्त्रों का कथन है, --देना-लेना, खाना-खिलाना, गुह्य बातें कहना-सुनना ; ये प्रेम के छः लक्षण हैं।
              
अतः उपहारों का आदान प्रदान का अवसर निकालते रहना भी। छोटा सा उपहार भी कीमती होता है ,उपहार की कीमत नहीं भावना देखी जाती है | समय समय पर एक दूसरे की मनपसंद डिश घर में बनाएं या बाहर लंच-डिनर पर जाएँ । प्रति दिन कम से कम एक बार चाय , लंच , नाश्ता या डिनर या सोने से पहले विविध विषयों पर वार्तालाप अवश्य करें। इससे संवाद हीनता नहीं रहेगी। परयह एक दूसरे के मन पसंद विषय या रुचियों पर समय निकाल कर बात करते रहें।

६.प्रशंसा करें- समय समय पर एक दूसरे की प्रशंसा अवश्य करें । छोटी-छोटी सफलताओं या कार्यों पर प्रशंसा करें। दिन में एक बार एक दूसरे के रूप गुण की प्रशंसा से कार्य क्षमता व आत्मविश्वास बढ़ता है, ह्रदय प्रसन्न रहने से आपस में प्रेम की वृद्धि होती है।

७. स्पर्श --समय समय पर एक दूसरे को स्पर्श करने का मौक़ा ढूढते रहना चाहिए,इससे प्रेम की भावानुभूति तीब्र होती है।

८.अपने स्वास्थ्य व सौन्दर्य का ध्यान रखें --प्रौढ़ होजाने पर या संतान के दायित्व में प्राय: पति -पत्नी एक दूसरे को कम समय दे पाते हैं, इस वज़ह से वे स्वयं की देखरेख व बनने संवरने की आवश्यकता नहीं समझते जो दाम्पत्य जीवन के लिए अत्यंत हानिकारक है।  पति-पत्नी दोनों ही एक दूसरे को स्मार्ट देखना चाहते हैं, अतः सलीके से पहनना, ओढ़ना, श्रृंगार व स्वास्थ्य का उचित ध्यान रखना न भूलें।

९- प्रेमी-प्रेमिका बनें --प्राय: दाम्पत्य झगड़ों का कारण एक दूसरे पर अधिकार जताना, आपस की व्यक्तिगत रुचियों को नज़र अंदाज़ करना होता है। सुखी दाम्पत्य के लिए, तानाशाह की तरह ' खाना खालो' या 'अभी तक चाय नहीं बनी?' की बजाय प्रेमी प्रेमिका की भांति, ' चलिए खाना खा लेते हैं' तथा ' चलो आज हम चाय पिलाते हैं' कहें तो बहुत सी समस्याएं हल होजातीं हैं । वैसे भी कभी-कभी किचेन में जाकर साथ-साथ काम करने से मादक स्पर्श व संवाद की स्थिति व एक दूसरे का काम करने की सुखद अनुभूति के दुर्लभ क्षण प्राप्त होते हैं।

१०- समर्पण भाव --समर्पण व एक दूसरे के प्रति प्रतिवद्धता, दाम्पत्य जीवन की सबसे सुखद अनुभूति है। स्थायित्व के लिए यह भाव अति-महत्व पूर्ण है।




११-निजी स्वतन्त्रता एवं आवश्यक आपसी दूरियां  --पति -पत्नी को एक दूसरे की हौबी, रुचियाँ व इच्छाओं को पूरा करने की पूर्ण स्वतन्त्रता देना चाहिए एवं एक दूसरे के कार्यों में बिना कारण दखल नहीं देना चाहिए । कभी-कभी एक दूसरे से दूरियां भी साथी की अनुपस्थिति से उसकी महत्ता का आभास करातीं हैं। भारत में इसीलिये स्त्रियों को समय-समय पर विभिन्न त्योहारों, पर्वों पर पिता के घर जाने की रीति बनाई गयी है। तीज, सावन, रक्षाबंधन आदि पर्वों पर प्राय: स्त्रियाँ अकेली पिता के घरप्रौढा या वृद्धा होने तक भीरहती हैं । यह आवश्यक व्यक्तिगत दूरी, "पर्सनल स्पेसिंग " ही है। स्पेसिंग का यह अर्थ नहीं कि पति-पत्नी अपने अपने दोस्तों के साथ अकेले घूमते फिरते रहें, या विपरीत लिंगी दोस्तों व सहकर्मियों के साथ देर तक बने रहें.


             ----- चित्र --गूगल एवं  श्याम गुप्त  ....


7 टिप्‍पणियां:

  1. कभी-कभी एक दूसरे से दूरियां भी साथी की अनुपस्थिति से उसकी महत्ता का आभास करातीं हैं। भारत में इसीलिये स्त्रियों को समय-समय पर विभिन्न त्योहारों, पर्वों पर पिता के घर जाने की रीति बनाई गयी है
    ...हाँ डॉ श्याम जी सच कहा आप ने बहुत सी रीतियाँ रिवाज बहुत कुछ सोच समझ ही बनायीं गयी हैं ..सुन्दर ...आप और आप की अर्धांगिनी मैडम जी को दाम्पत्य जीवन की खुशियाँ मुबारक ...
    जय श्री राधे
    भ्रमर ५

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