पेज

शुक्रवार, 4 मई 2012

लघु कथा- ''माँ मैं इसलिए बच गया ''


लघु कथा- ''माँ मैं इसलिए बच गया ''



Dog : Pomeranian dog isolated on a white background Stock Photo
गूगल से  साभार 


सब्जी मंडी में अचानक रूपाली का चार वर्षीय  बेटा अर्णव ज्यों ही उससे हाथ छुड़ाकर भागा  तो  रूपाली का सारा ध्यान अर्णव की  ओर  चला गया . अर्णव ने तेजी  से भागकर एक पिल्ले को नाले में गिरने से बचा लिया .इसके बाद अर्णव रूपाली की ओर दूर से ही मुस्कुराता हुआ दौड़कर आने लगा कि तभी एक तेज़ रफ़्तार से   आती   बाईक  को   देखकर रूपाली सिहर  उठी  .अर्णव उसकी  चपेट  में आ   ही  जाता तभी एक युवक ने तेज़ी से आकर  अर्णव को अपनी  ओर खींच  लिया और...एक हादसा होने से बच गया .रूपाली भागकर उस युवक के पास  पहुंची  और उसका शुक्रिया  अदा  किया  फिर  अर्णव को अपनी बांहों में भरकर रो   पड़ी .अर्णव मासूमियत से माँ के आंसू  पोछते   हुए  बोला -''माँ मैंने उस पिल्ले को बचाया  था  न  नाले में गिरने से उसी तरह इस भईया ने मुझे उस बाईक से बचा लिया .मैं इसी  लिए बच गया .वो  देखो  वो प्यारा  सा  पिल्ला   कैसे पूंछ   हिला  रहा है !'' रूपाली ने रुधे गले से ''हाँ बेटा '' कहा और उसका हाथ पकड़कर सब्जी लेने के लिए दुकान की ओर चल दी .

                                                                                              शिखा कौशिक 
                                                                                      [मेरी कहानियां ]

5 टिप्‍पणियां: