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मंगलवार, 29 मई 2012

द्रोपदी के पत्र.... डा श्याम गुप्त


१.
 हे  धर्म राज !
वह  बंधन में थी 
समाज व संस्कार के लिए 
दिनरात खटती थी-
गृह-कार्य में 
परिवार पति पुरुष की सेवा में |
आज वह मुक्त है ,
बड़ी कम्पनी की सेवा में नियुक्त है ,
स्वेच्छा से दिन-रात खटती है,
कंपनी के लिए,
अन्य पुरुषों के साथ या मातहत रहकर,
कंपनी की सेवा में |


२.
 हे भीम !
वह बंधन में थी परिवार के,
पारिवारिक शोषण ,हिंसा व,
 शिकार के लिए |
आज वह मुक्त है ,
मदरसों, बाज़ारों, क्लबों ,
दफ्तरों व राजनैतिक गलियारों में 
शोषण, हिंसा व बलात्कार के लिए |


३.
हे बृहन्नला !
वह दिन रात खटती थी ,
पति-पुरुष की गुलामी में ;
आज वह मुक्त है,
सिनेमा, टीवी आर्टिस्ट है ;
दिन देखती है न् रात
हाड़ तोड़ श्रम करती है ,
अंग प्रदर्शन करती है 
पैसे की/ पुरुष की गुलामी में |


४.
हे नकुल !
वह बंधन में थी,
धर्म संस्कृति सुसंस्कारों की-
धारक का चोला ओढकर ;
अब वह मुक्त है,
लाज व शर्मोहया के वस्त्रों का,
चोला छोडकर |


५.
हे सहदेव !
वह बंधन में थी ,
संस्कृति संस्कार सुरुचि के परिधान,
कन्धों पर धारकर ;
अब वह मुक्त है ,
सहर्ष कपडे उतारकर |


६.
 माते कुंती !
आपकी बहू बंधन में थी ,
बंटकर -
माँ  पुत्री  पत्नी के रिश्तों में ;
अब वह स्वतंत्र है ,
बांटने के लिए किश्तों में |


७-
हे दुर्योधन !
ठगे रह गए थे तुम, देखकर-
" सारी बीच नारी है, या-
  नारी बीच सारी है |"
 इस युग  भी सफल नहीं हो पाओगे ,
साड़ी हीन नारी देख 
ठगे रह जाओगे |


८.
सखा कृष्ण !
द्वापर में एक ही दुर्योधन था ,
द्रोपदी को बचा पाए थे ;
आज कूचे-कूचे, वन-बाग, गली-चौराहे 
दुर्योधन खड़े हैं ,
किस किस को साड़ी पहनाओगे ?
सोचती हूँ , इस बार -
अवतार का जन्म लेकर नहीं आना;
जन जन के मानस में ,
संस्कार बन कर उतर जाना |

सोमवार, 28 मई 2012

शीश नवायेंगें मैया को ;दर पर चलकर जायेंगे


Maa Durga
शीश नवायेंगें मैया को  ;दर  पर चलकर जायेंगे ,
मैया तेरे आशीषों से खुशियाँ खुलकर पायेंगें .

[मेरा भजन मेरे स्वर में ]



हर  बेटी में रूप है माँ का इसीलिए पूजे मिलकर ;
सफल सभ्यता तभी हमारी बेटी रहेगी जब खिलकर ;
हम बेटी को जीवन देकर माँ का क़र्ज़ चुकायेंगे .
मैया तेरे आशीषों से खुशियाँ खुलकर पायेंगें .
                                                     जय माता दी !
                                              शालिनी कौशिक 
                                          [कौशल ]

याद आये रात फिर वही

 
अहद तेरा यूँ लेकर दिल में
याद आये रात फिर वही
बदगुमान बन तेरी चाहत में
अपने हर एहसास लिये मुझे

याद आये रात फिर वही
अनछुये से उस ख़्वाब का
बेतस बन पुगाने में मुझे
याद आये रात फिर वही
उनवान की खामोशी में
सदियों की तड़प दिखे और
याद आये रात फिर वही
तेरे ख़्यालों में खोयी
ये जानती हूँ तू नहीं आयेगा
फिर भी मुझे,
याद आये रात फिर वही
याद आये बात फिर वही ।
© दीप्ति शर्मा

शुक्रवार, 25 मई 2012

बाँह पकड़ कर सीधा करती, याद जो आता नाना होता-

चूल्हा-चौका कपट-कुपोषण, 
 मासिक धर्म निभाना होता ।
बीजारोपण दोषारोपण, 
अपना रक्त बहाना होता ।।

नियमित मासिक चक्र बना है, 
दर्द नारियों का आभूषण -
संतानों का पालन-पोषण, 
अपना दुग्ध पिलाना होता ।।

धीरज दया सहनशक्ती में, 
सदा जीतती हम तुमसे हैं -
जीवन हम सा पाते तो तुम , 
तेरा अता-पता ना होता  ।।

सदा भांजना, धौंस ज़माना, 
बेमतलब धमकाना होता ।
बाँह पकड़ कर सीधा करती-
याद जो आता नाना होता ।।

गुरुवार, 24 मई 2012

सफ़ल दाम्पत्य के कुछ नुस्खे....ड श्याम गुप्त...



                  यदि पति-पत्नी दोनों ही अपने-अपने व्यवसाय या सर्विस में अति व्यस्त रहते हैं तो दाम्पत्य जीवन में एकरसता न आये एवं परिवार पर दुष्प्रभाव न पड़े, इसके लिए दम्पति को निम्न बातें ध्यान रखना चाहिए |
१- परस्पर विश्वास --एक दूसरे के सहकर्मियों पर संदेह व उनके बारे में अभद्र सोच मन में न लायें। सिर्फ सुनी हुई बातों पर विश्वास न करें, किसी विषय पर संदेह हो तो विवाद की बजाय आपसी बातचीत से हल करें ।

२-संवाद हीनता न रखें - छोटी-छोटी बातों पर परस्पर मतभेद व झगड़े होने पर तुरंत ही एक दूसरे को पहल करके मनाने का प्रयास करें, प्रेमी-प्रेमिकावत व्यवहार करें । अहं को आड़े न आने दें । अधिक समय तक संवाद हीनता गंभीर मतभेद उत्पन्न कर सकती है।

३-एक दूसरे को जानें, ख्याल रखें व हाथ बटाएं -- एक दूसरे की छोटी छोटी रुचियाँ ,तौर तरीकों को अवश्य याद रखें ,एक दूसरे का पूरा ख्याल रखें , समय मिलते ही उसए कार्य में भी हाथ बटाएं, ताकि एक दूसरे की अनुपस्थिति में दूसरे को साथी की कमी अनुभव हो यथा प्रेम बढ़ता ही रहे।

४-चिंता का कारण जानें -यदि साथी चिंतित प्रतीत हो तो उसकी चिंता का कारण पूछ कर यथा संभव सहायता व मानसिक संबल प्रदान करें।

५-उपहार दें -शास्त्रों का कथन है, --देना-लेना, खाना-खिलाना, गुह्य बातें कहना-सुनना ; ये प्रेम के छः लक्षण हैं।
              
अतः उपहारों का आदान प्रदान का अवसर निकालते रहना भी। छोटा सा उपहार भी कीमती होता है ,उपहार की कीमत नहीं भावना देखी जाती है | समय समय पर एक दूसरे की मनपसंद डिश घर में बनाएं या बाहर लंच-डिनर पर जाएँ । प्रति दिन कम से कम एक बार चाय , लंच , नाश्ता या डिनर या सोने से पहले विविध विषयों पर वार्तालाप अवश्य करें। इससे संवाद हीनता नहीं रहेगी। परयह एक दूसरे के मन पसंद विषय या रुचियों पर समय निकाल कर बात करते रहें।

६.प्रशंसा करें- समय समय पर एक दूसरे की प्रशंसा अवश्य करें । छोटी-छोटी सफलताओं या कार्यों पर प्रशंसा करें। दिन में एक बार एक दूसरे के रूप गुण की प्रशंसा से कार्य क्षमता व आत्मविश्वास बढ़ता है, ह्रदय प्रसन्न रहने से आपस में प्रेम की वृद्धि होती है।

७. स्पर्श --समय समय पर एक दूसरे को स्पर्श करने का मौक़ा ढूढते रहना चाहिए,इससे प्रेम की भावानुभूति तीब्र होती है।

८.अपने स्वास्थ्य व सौन्दर्य का ध्यान रखें --प्रौढ़ होजाने पर या संतान के दायित्व में प्राय: पति -पत्नी एक दूसरे को कम समय दे पाते हैं, इस वज़ह से वे स्वयं की देखरेख व बनने संवरने की आवश्यकता नहीं समझते जो दाम्पत्य जीवन के लिए अत्यंत हानिकारक है।  पति-पत्नी दोनों ही एक दूसरे को स्मार्ट देखना चाहते हैं, अतः सलीके से पहनना, ओढ़ना, श्रृंगार व स्वास्थ्य का उचित ध्यान रखना न भूलें।

९- प्रेमी-प्रेमिका बनें --प्राय: दाम्पत्य झगड़ों का कारण एक दूसरे पर अधिकार जताना, आपस की व्यक्तिगत रुचियों को नज़र अंदाज़ करना होता है। सुखी दाम्पत्य के लिए, तानाशाह की तरह ' खाना खालो' या 'अभी तक चाय नहीं बनी?' की बजाय प्रेमी प्रेमिका की भांति, ' चलिए खाना खा लेते हैं' तथा ' चलो आज हम चाय पिलाते हैं' कहें तो बहुत सी समस्याएं हल होजातीं हैं । वैसे भी कभी-कभी किचेन में जाकर साथ-साथ काम करने से मादक स्पर्श व संवाद की स्थिति व एक दूसरे का काम करने की सुखद अनुभूति के दुर्लभ क्षण प्राप्त होते हैं।

१०- समर्पण भाव --समर्पण व एक दूसरे के प्रति प्रतिवद्धता, दाम्पत्य जीवन की सबसे सुखद अनुभूति है। स्थायित्व के लिए यह भाव अति-महत्व पूर्ण है।




११-निजी स्वतन्त्रता एवं आवश्यक आपसी दूरियां  --पति -पत्नी को एक दूसरे की हौबी, रुचियाँ व इच्छाओं को पूरा करने की पूर्ण स्वतन्त्रता देना चाहिए एवं एक दूसरे के कार्यों में बिना कारण दखल नहीं देना चाहिए । कभी-कभी एक दूसरे से दूरियां भी साथी की अनुपस्थिति से उसकी महत्ता का आभास करातीं हैं। भारत में इसीलिये स्त्रियों को समय-समय पर विभिन्न त्योहारों, पर्वों पर पिता के घर जाने की रीति बनाई गयी है। तीज, सावन, रक्षाबंधन आदि पर्वों पर प्राय: स्त्रियाँ अकेली पिता के घरप्रौढा या वृद्धा होने तक भीरहती हैं । यह आवश्यक व्यक्तिगत दूरी, "पर्सनल स्पेसिंग " ही है। स्पेसिंग का यह अर्थ नहीं कि पति-पत्नी अपने अपने दोस्तों के साथ अकेले घूमते फिरते रहें, या विपरीत लिंगी दोस्तों व सहकर्मियों के साथ देर तक बने रहें.


             ----- चित्र --गूगल एवं  श्याम गुप्त  ....


मंगलवार, 22 मई 2012

रविकर मइके जाय, पिए जो माँ की घुट्टी-

चल मन ....लौट चलें अपने गाँव .....!!

छुट्टी का हक़ है सखी, चौबिस घंटा काम |
बच्चे पती बुजुर्ग की, सेवा में हो शाम |

सेवा में हो शाम, नहीं सी. एल. ना इ. एल. |
जब केवल सिक लीव,  जाय ना जीवन जीयल |



रविकर मइके जाय, पिए जो माँ की घुट्टी |
ढूँढ़ सके अस्तित्व, बिता के दस दिन छुट्टी ||


छी छी छी हालात, काट के बोटी-बोटी-

भ्रूण जीवी स्वान

मुंडे डाक्टर मारता, गर्भ-स्थिति नव जात |
कुक्कुर को देवे खिला, छी छी छी हालात |

छी छी छी हालात, काट के बोटी-बोटी |
मारो सौ सौ लात, भूत की छीन लंगोटी |

करिहै का कानून, अभी जब कातिल गुंडे |
रहम याचिका थाम, पाक ले छूटे मुंडे ||

कुत्तों को खिला देता था कन्या भ्रूण

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मुंबई।। हरियाणा के यमुनानगर में एक महिला डॉक्टर द्वारा अबॉर्शन के बाद कन्या भ्रूण को टाइलेट में फ्लश करने के बाद उससे भी भयावह मामला सामने आया है। महाराष्ट्र के बीड में एक ऐसे ही 'डॉक्टर डेथ' का पता चला है, जो कन्या भ्रूण के अबॉर्शन के बाद सबूत मिटाने के लिए उसे अपने कुत्तों को खिला देता था।

बीड के परली तहसील में क्लिनिक चलाने वाले डॉक्टर सुंदम मुंडे पर आरोप है कि कन्या भ्रण के अबॉर्शन के सबूत मिटाने के लिए फिटिसाइड को अपने पालतू कुत्तों को खिला देते हैं। राज्य के स्वास्थ्य विभाग को इसके सबूत भी मिले हैं। इस मामले में डॉक्टर के खिलाफ केस दर्ज किया गया है।

आरोपी डॉक्टर मुंडे के खिलाफ शुरुआती जांच में कन्या भ्रूण की हत्या और उसे कुत्तों को खिलाने के सबूत मिलने के बाद स्वास्थ्य मंत्री ने क्राइम ब्रांच से मामले की जांच करने के लिए कहा है। ऐसा पहली बार है जब प्रसव पूर्व जांच तकनीक (पीएनडीटी) कानून के तहत दर्ज आरोपी के खिलाफ जांच पुलिस नहीं बल्कि क्राइम ब्रांच करेगी।

गौरतलब है कि महाराष्ट्र का बीड वह इलाका है जहां चाइल्स सेक्स रेशियो सबसे बदतर है। 2011 की जनगणना के अनुसार, यहां एक हजार लड़कों पर मात्र 801 लड़कियां हैं।

6 महीने की प्रेगनेंट 28 वर्षीय विजयमाला पाटेकर को 18 मई को डॉ. मुंडे के अबॉर्शन क्लिनिक में ऐडमिट कराया गया था, जहां अबॉर्शन प्रक्रिया के दौरान उसकी मौत हो गई थी। सूत्रों के अनुसार, पाटेकर की चार बेटियां पहले से ही थीं और वह फिर से बेटी नहीं चाहती थीं। कन्या भ्रूण हत्या के एक और मामले में दो साल पहले डॉ. मुंडे का लाइसेंस रद्द किया जा चुका है। डॉ. मुंडे और उनकी पत्नी डॉ. सरस्वती मुंडे के खिलाफ आईपीसी के दो धाराओं के साथ-साथ पीसीपीएनडीटी ऐक्ट के तहत मामले दर्ज किए गए हैं। क्राइम ब्रांच से यह भी जांच करने के लिए कहा गया है कि लाइसेंस रद्द होने के बाद किसी आधार पर मुंडे दंपती क्लिनिक चला रहे थे और इसके लिए उन्हें इजाजत किस आधार पर और कहां से मिली।

राज्य के स्वास्थ्य मंत्री सुरेश शेट्टी ने हमारे सहयोगी अखबार मुंबई मिरर से कहा कि वह इस मामले को गंभीरता से ले रहे हैं। उन्होंने कहा, एक अधिकारी ने बताया कि डॉ. मुंडे के पास चार पालतू कुत्ते हैं और अबॉर्शन करने के बाद सबूत मिटाने के लिए डॉक्टर इन्हीं कुत्तों को भ्रूण खिला देता है। शेट्टी ने बताया, दो साल पहले हेल्थ डिपार्टमेंट ने भ्रूण लिंग जांच करने और गैर-कानूनी तरीके से अबॉर्शन करने के लिए डॉक्टर की सोनोग्रफी मशीन सील कर दी थी और क्लिनिक चलाने का लाइसेंस कैंसल कर दिया था। इसके बावजूद वह प्रैक्टिस जारी रखे हुए है।

बीड के एसपी दत्तात्रे मांडिक ने कहा, 'आरोपी डॉक्टर के खिलाफ पहले भी दो-तीन मामले दर्ज हैं और डॉक्टर पर आईपीसी की धारा 304ए और 201 के तहत नए केस दर्ज किए गए हैं। हम कुत्तों को भ्रूण खिलाने की रिपोर्ट्स की भी जांच कर रहे हैं।'

गौरतलब है कि 2 साल पहले एक एनजीओ 'लेख लड़की अभियान' द्वारा करवाए गए एक स्टिंग ऑपरेशन में पकड़े गए थे। एनजीओ की अध्यक्ष वर्षा देशपांडे ने कहा कि लाइसेंस रद्द होने और मशीन सील होने के बावजूद एक साल के अंदर-अंदर दोनों ने फिर प्रैक्टिस शुरू कर दी। उन्होंने बताया कि इसके बाद एक और घटना में उनकी बाड़ी से भ्रूण मिलने पर जून 2011 में डॉक्टर दंपती पर केस दर्ज हुआ था।

गौरतलब है कि कुछ दिन पहले यमुनानगर में स्वास्थ्य विभाग और रेडक्रॉस की टीम ने भ्रूण हत्या रैकिट पकड़ा था। रेड से कुछ देर पहले ही तीन महीने की गर्भवती महिला का अबॉर्शन करके भ्रूण टॉइलेट के फ्लश में बहा दिया गया था। पुलिस ने आरोपी महिला डॉक्टर को गिरफ्तार किया था। डॉक्टर के पास जो डिग्री थी उस पर वह सिर्फ महिलाओं का इलाज कर सकती थी गर्भपात नहीं। इतना ही नहीं, उसके क्लिनिक पर काम करने वाले एक कर्मचारी ने बताया था कि वहां अबॉर्शन के बाद भ्रूणों को टॉइलेट में बहा दिया जाता था।

हाल ही में टीवी पर शुरू हुए ऐक्टर आमिर खान के शो 'सत्यमेव जयते' के पहले ऐपिसोड में कन्या भ्रूण हत्या का मुद्दा उठेने के बाद देशभर में इस पर काफी चर्चा हो रही है।
Source : Pyari Maa Blog

सोमवार, 21 मई 2012

मुझे लगता है मुझे याद कर माँ मुस्कुराई !



मुझे लगता है मुझे याद कर  माँ  मुस्कुराई !




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हूँ घर से दूर मेरे होंठों  पर हंसी आई ;
मुझे लगता है मुझे याद कर  माँ  मुस्कुराई  .

मैं घर से निकला सिर पर बड़ी सख्त धूप थी ;
तभी दुआ माँ की घटा  बन  कर  घिर  आई  .

मुझे  अहसास हुआ  माँ ने मुझे याद  किया ;
मुझे यकीन  हुआ जब मुझे हिचकी आई .

मेरे कानों में अनायास  ही बजने  लगी  शहनाई  ;
मेरी  तस्वीर  देख  माँ थी शायद गुनगुनाई .

मिली जब कामयाबी तेज हवा छू कर निकली ;
मेरी माँ की तरफ से पीठ मेरी थपथपाई .

मैं जाती जब भी माथा टेकने  मंदिरों  में ;
मुझे भगवान  में देती  है मेरी माँ दिखाई .

तू हो गयी है कितनी पराई

अथाह मन की गहराई
और मन में उठी वो बातें
हर तरफ है सन्नाटा
और ख़ामोश लफ़्ज़ों में
कही मेरी कोई बात
किसी ने भी समझ नहीं पायी
कानों में गूँज रही उस
इक अजीब सी आवाज़ से
तू हो गयी है कितनी पराई ।

अब शहनाई की वो गूँज
देती है हर वक्त सुनाई
तभी तो दुल्हन बनी तेरी
वो धुँधली परछाईं
अब हर जगह मुझे
देने लगी है दिखाई
कानों में गूँज रही उस
इक अजीब सी आवाज़ से
तू हो गयी है कितनी पराई ।

पर दिल में इक कसर
उभर कर है आई
इंतज़ार में अब भी तेरे
मेरी ये आँखें हैं पथराई
बाट तकते तेरी अब
बोझिल आहें देती हैं दुहाई
पर तुझे नहीं दी अब तक
मेरी धड़कनें भी सुनाई
कानों में गूँज रही उस
इक अजीब सी आवाज़ से
तू हो गयी है कितनी पराई ।

© दीप्ति शर्मा

दहेज मांगने वाले गधे और कुत्ते से भी बदतर हैं

गधा और कुत्ता दो जानवरों का नाम है। इन्हें गाली के तौर पर भी इस्तेमाल किया जाता है।
गधे का अर्थ बेवक़ूफ़ लिया जाता है और कुत्ते का अर्थ लालची लिया जाता है।
गधे और कुत्ते, दोनों की ज़िंदगी इस बात की गवाह है कि वे दहेज कभी नहीं मांगते।
दहेज एक बुरी रस्म है। जिसने इसकी शुरूआत की उसने एक बड़ी बेवक़ूफ़ी की और जिसने भी सबसे पहले दहेज मांगा, उसने लालच की वजह से ही ऐसा किया। आज भी यह रस्म जारी है। एक ऐसी रस्म, जिसने लड़कियों के जीवन का नर्क बना दिया और लड़कों को आत्म सम्मान से ख़ाली एक बिकाऊ माल।
यही बिकाऊ दूल्हे वास्तव में गधे और कुत्ते से बदतर हैं। इनके कारण ही बहुत सी बहुएं जला दी जाती हैं और बहुत से कन्या भ्रूण मां के पेट में ही मार दिए जाते हैं।
ये केवल दहेज मांगने की ही मुल्ज़िम नहीं हैं बल्कि बहुत हत्याओं में भी प्रत्यक्ष और परोक्ष इनका हाथ होता है।
20 मई 2012 को आमिर ख़ान के टी. वी. प्रोग्राम ‘सत्यमेव जयते‘ का इश्यू दहेज ही था। उन्होंने दहेज के मुददे को अच्छे ढंग से उठाया। उन्होंने कई अच्छे संदेश दिए।
अभिनय प्रतिभा का सार्थक इस्तेमाल यही है।

रविवार, 20 मई 2012

चादर डाल दी (एक सत्य कथा )


चादर डाल दी   (एक सत्य कथा )
  पड़ोस में गुमसुम  लोगों का आने का तांता लगा था| तेरह दिन पहले ही उनका बड़ा बेटा केंसर की भेंट चढ़ चुका था अतः माहौल बहुत ग़मगीन था|कम उम्र होने के कारण कुछ समझ नहीं रहा था जिज्ञासा वश देखने चली गई |वहां देखा बाबा जी अपने छोटे बेटे के पैरों में पगड़ी रख कर रोते हुए कह रहे थे की घर की इज्जत घर में ही रहने दो ,और अन्दर उस छोटे बेटे की नव ब्याहता जो दो तीन महीने की गर्भवती थी सूनी आँखों से टक टकी लगाए छत की ओर देख रही थी|फिर थोड़ी देर बाद ही हवन होने लगा ओर पंडित ने मृत बेटे की पत्नी का हाथ छोटे बेटे के हाथ में देते हुए कुछ मन्त्र पढ़े ओर एक पीली चादर देवर से  भाभी के ऊपर डलवा दी |बाहर सब फुसफुसा रहे थे की देवर ने चादर डाल दी |उस वक़्त मुझे कुछ समझ नहीं आया था आज सोचती हूँ की वो कैसी घर की इज्जत कैसा हवन जिसमे तीन जिंदगियाँ स्वाह हो गई ये कितनी क्रूर कुरीतियाँ हैं
(आज भी हमारे देश के कितने गाँव में ये कुरीति जीवित है जहां स्त्रियों की  खुशियाँ इज्जत के नाम पे भेंट चढ़ा दी जाती हैं )    







शनिवार, 19 मई 2012

गंवार लड़की ? -लघु कथा

गंवार  लड़की ? -लघु कथा  

कॉलेज कैंटीन में  बैठे  रिकी और रॉकी अपनी ओर  आती  हुई सुन्दर   लड़की को   देखकर   फूले  नहीं समां  रहे  थे  .लड़की ने उनके  पास  आकर   पूछा  -''भैया  ! अभी  अभी कुछ  देर  पहले  मैं  यही  बैठी  थी  ....मेरी  रिंग  खो  गयी  है ...आपको  तो नहीं मिली ?''रॉकी और रिकी ने बुरा सा मुंह बनाकर मना कर दिया .उसके जाते ही  रिकी रॉकी से  बोला  -''हाउ विलेजर सही इज ?[यह कितनी गंवार है ?]हमें भैया बोल रही थी !''रिकी व् रॉकी कॉलेज में मस्ती  कर अपने  अपने घर  लौट  गए  .घर पर  रिकी ने अपनी छोटी  बहन  सिमरन  को उदास देखा तो बोला -''व्हाट  डिड हैपेन सिस ?तुम इतना सैड क्यों हो ?सिमरन झुंझलाते हुए बोली -''भैया आज कॉलेज में मेरी क्लास के एक लड़के की नोटबुक  क्लास में छूट गयी ....मैंने देखी  तो दौड़कर उसे पकड़ाने  गयी ...पर वो  तो खुश  होने की जगह गुस्सा हो गया क्योंकि मैंने उसे ''भैया ''कहकर आवाज दी थी .बोला ''भैया किसे बोल रही हो ?हाउ विलेजर आर यू ?'मुझे बहुत गुस्सा आया उस पर .''रिकी अपनी मुट्ठी  भीचता हुआ बोला -''कमीना   कहीं का ... मेरी बहन पर   लाइन    मार रहा    था  ....सिमरन उस कमीने से अब   कभी  बात   मत करना !!!
                                                                                शिखा कौशिक   
                                                                          [मेरी कहानियां   ]
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गुरुवार, 17 मई 2012

'श्री राम ने सिया को त्याग दिया ?''-एक भ्रान्ति !






श्री गणेशाय नम: 
''हे गजानन! गणपति ! मुझको यही वरदान दो 
हो सफल मेरा ये कर्म दिव्य मुझको ज्ञान दो 
हे कपिल ! गौरीसुत ! सर्वप्रथम तेरी वंदना 
विघ्नहर्ता विघ्नहर साकार करना कल्पना ''
                     
''''सन्दर्भ  ''''
                                             ॐ नम : शिवाय !
                                            श्री सीतारामचन्द्रभ्याम नम :


'श्री  राम ने सिया को त्याग  दिया  ?''-एक  भ्रान्ति !
  Jai Shri Ram
[google se sabhar ]




  सदैव से इस प्रसंग पर मन में ये विचार  आते रहे हैं कि-क्या आर्य कुल नारी भगवती माता सीता को भी कोई त्याग सकता है ...वो भी नारी सम्मान के रक्षक श्री राम ?मेरे मन में जो विचार आये व् तर्क की कसौटी पर खरे उतरे उन्हें  इस रचना के माध्यम से मैंने प्रकट करने का छोटा सा प्रयास किया है -

हे  प्रिय  ! सुनो  इन  महलो  में
अब और  नहीं  मैं  रह  सकती  ;
महारानी  पद पर रह आसीन  
जन जन का क्षोभ  न  सह  सकती .

एक गुप्तचरी को भेजा था 
वो  समाचार ये लाई है 
''सीता '' स्वीकार   नहीं जन को 
घर रावण  के रह  आई   है .

जन जन का मत  स्पष्ट  है ये 
चहुँ और हो  रही  चर्चा है ;
सुनकर ह्रदय छलनी होता है 
पर सत्य तो सत्य होता है .

मर्यादा जिसने लांघी  है 
महारानी कैसे हो सकती ?
फिर जहाँ उपस्थित  प्रजा न हो 
क्या अग्नि परीक्षा हो सकती ?

हे प्रभु ! प्रजा के इस  मत ने 
मुझको भावुक  कर  डाला है ;
मैं आहत हूँ ;अति विचलित हूँ 
मुश्किल से मन  संभाला है .

पर प्रजातंत्र में प्रभु मेरे
 हम प्रजा के सेवक  होते  हैं ;
प्रजा हित में प्राण त्याग की 
शपथ भी तो हम लेते हैं .

महारानी पद से मुक्त करें 
हे प्रभु ! आपसे विनती है ;
हो मर्यादा के प्रहरी तुम 
मेरी होती कहाँ गिनती है ?

अश्रुमय  नयनों  से  प्रभु  ने 
तब सीता-वदन  निहारा था ;
था विद्रोही भाव युक्त 
जो मुख सुकोमल प्यारा था . 

गंभीर स्वर में कहा प्रभु ने 
'सीते !हमको सब ज्ञात है 
पर तुम हो शुद्ध ह्रदय नारी 
निर्मल तुम्हारा गात है .

ये  भूल  प्रिया  कैसे  तुमको 
बिन अपराध करू दण्डित ?
मैं राजा हूँ पर पति भी हूँ 
सोचो तुम ही क्षण भर किंचित . 

राजा के रूप में न्याय करू 
तब भी तुम पर आक्षेप नहीं ;
एक पति रूप में विश्वास मुझे 
निर्णय का मेरे संक्षेप यही .

सीता ने देखा प्रभु अधीर 
कोई त्रुटि नहीं ये कर बैठें ;
''राजा का धर्म एक और भी है ''
बोली सीता सीधे सीधे .

'हे प्रभु !मेरे जिस क्षण तुमने 
राजा का पद स्वीकार था ;
पुत्र-पति का धर्म भूल 
प्रजा -हित लक्ष्य तुम्हारा था .

मेरे कारण विचलित न हो 
न निंदा के ही पात्र बनें ;
है धर्म 'लोकरंजन 'इस क्षण 
तत्काल इसे अब पूर्ण करें .

महारानी के साथ साथ 
मैं आर्य कुल की नारी हूँ ;
इस प्रसंग से आहत हूँ 
क्या अपनाम की मैं अधिकारी हूँ ?

प्रमाणित कुछ नहीं करना है 
अध्याय सिया का बंद करें ;
प्रभु ! राजसिंहासन उसका है 
जिसको प्रजा स्वयं पसंद करे .

है विश्वास अटल मुझ पर '
हे प्रिय आपकी बड़ी दया  ;
ये कहकर राम के चरणों में 
सीता ने अपना शीश धरा .

होकर विह्वल श्री राम झुके 
सीता को तुरंत  उठाया था ;
है कठोर ये राज-धर्म जो 
क्रूर घड़ी ये लाया था .

सीता को लाकर ह्रदय समीप 
श्री राम दृढ   हो ये बोले;
है प्रेम शाश्वत प्रिया हमें 
भला कौन तराजू ये तोले ? 

मैंने नारी सम्मान हित 
रावण कुल का संहार किया  ;
कैसे सह सकता हूँ बोलो 
अपमानित हो मेरी प्राणप्रिया ?

दृढ निश्चय कर राज धर्म का 
पालन आज मैं करता हूँ ;
हे प्राणप्रिया !हो ह्रदयहीन  
तेरी इच्छा पूरी  करता हूँ .

होकर करबद्ध सिया ने तब 
श्रीराम को मौन प्रणाम किया ;
सब सुख-समृद्धि त्याग सिया ने 
नारी गरिमा को मान दिया .

मध्यरात्रि  लखन   के  संग 
त्याग अयोध्या गयी सिया ;
प्रजा में भ्रान्ति ये  फ़ैल गयी 
''श्री राम ने सिया को त्याग दिया ''!!! 
                                            शिखा कौशिक 
                                              [विख्यात }