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सोमवार, 16 अप्रैल 2012

कानूनी रूप से अपराध के विरुद्ध उचित कार्यवाही


आज शिखा जी के ब्लॉग विचारों के चबूतरा पर एक आलेख पढ़ा और ज्ञात हुआ की एक समुदाय  फेसबुक पर  प्रो.अम्बिकेश महापात्र के कार्टून कृत्य को समर्थन दे रहा  हैं और इसे भारतीय संविधान द्वारा प्रदत्त ''अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता ''पर प्रहार कहा जा रहा है जबकि मैं शिखा जी के आलेख से बहुत प्रभावित हुई हूँ और चाहती हूँ की आपसे  भी उस आलेख को शेयर करूँ इसलिए आपको उस आलेख का लिंक दे रही हूँ जो निम्न है-
''तो सड़कों पर पिटने और जेल जाने को तैयार रहें''
            और इसके  साथ ही  मैं आपको ये भी बता  दूं  की भारतीय संविधान  ये स्वतंत्रता   हमें आत्यंतिक रूप से नहीं देता  है बल्कि  इस  पर अनु.१९[२] के अंतर्गत प्रतिबन्ध भी लगाया जा सकता है .अनु.१९[२] में प्रतिबन्ध के निम्न आधार हैं-
१-राज्य की सुरक्षा
२-विदेशी राज्यों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंधों के हित में
3-लोक व्यवस्था
४-शिष्टाचार या सदाचार के हित में
५-न्यायालय अवमान
६-मानहानि
७-अपराध उद्दीपन के मामले में 
८-भारत की प्रभुता एवं अखंडता
        और यहाँ जो कृत्य प्रो.अम्बिकेश महापात्र  ने किया है वह न .[४] शिष्टाचार व् सदाचार का गंभीर उल्लंघन  है और जो उनके साथ किया जा रहा है वह शोषण व् अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हनन  न होकर  कानूनी रूप से अपराध के विरुद्ध   उचित कार्यवाही है.
                      शालिनी कौशिक 
                            [कानूनी ज्ञान]

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