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रविवार, 22 अप्रैल 2012

सबसे प्यारी -- "जान" है तू

अभी कोई  भी नन्ही परी चूंकि ''भारतीय नारी '' ब्लॉग  से एक योगदानकर्ता  के रूप में नहीं जुडी  है  इसलिए  मैं  ही  प्रस्तुत  कर  रही  हूँ  ''बाल झरोखा  सत्यम  की  दुनिया  ''पर  सुरेन्द्र  जी  द्वारा  प्रस्तुत यह रचना   जो  हमारी  नन्ही परियों  से ही सम्बंधित  है -

Saturday 19 November 2011

सबसे प्यारी -- "जान" है तू


















सबसे प्यारी -- "जानहै तू
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(photo with thanks from google/net,indianhindu names)
हे ! बिटिया तू कितनी प्यारी
सुन्दरदिव्य - मूर्ति देवी
निर्मल पावन है गंगा सी
मुट्ठी भर-भर सब लायी

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सूनी कोख - तेरी माता की
पाँच साल - अब भर आयी
चेहरे पर मुस्कान है ऐसी
जाने कौन गड़ा धन पायी
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तू मुस्काती-हम सब खिलते
गोदी दौड़ उठाते
बचपन का सुख सब पाने को
पलकों तुझे बिठाते
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मेरी कल्पना - मेरी प्रतिभा
ममता मेरीकिरण है तू
तू सूरज है -तू चंदा है
आँखों का तारा री तू !
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तू आयी तो जोश बढ़ा रे
ख़ुशी भरी है नयी उमंगें
दौड़ भाग सब काम करें हम
रग रग में जोशीला खून
हवा है रूख में
देखों जैसे - उड़े पतंगे
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हम सब गर्व से शीश उठाते
पुरस्कार जब तू लाती
इतने बच्चों में अव्वल तू
पत्र पत्रिका -फोटो तेरी छप जाती
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बेटी अब पेट्रोल भरे है
बस-गाडी दौडाए
पुलिस मिलिट्री की कमान ले
भ्रष्टाचार मिटाए
झाँसी की रानी सी चमके
वायुयान उडाये
देश की बागडोर तू थामे
विश्व पटल पर छाये
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बेटी -बहना -वधू या माता
दुर्गा -काली -कितने रूप
जगजननी हैजग कल्याणी
ज्योति तू है - रूप अनूप
विद्या -लक्ष्मी -सरस्वती तू
शत शत नमन हे ! बिटिया रानी
सब से प्यारी -"जान " है तू
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सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर 
.००-.२० पूर्वाह्न
२०.११.२०११ यच पी
[Surendra shukla" Bhramar"5 द्वारा BAAL JHAROKHA SATYAM KI DUNIYA -]
[नन्ही परियों जल्दी से दीजिये यहाँ टिप्पणी रूप में अपना ई.मेल ताकि अगले रविवार से आप स्वयं  

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                                                शिखा कौशिक 

                                                                 
                      

3 टिप्‍पणियां:

  1. बेटी -बहना -वधू या माता
    दुर्गा -काली -कितने रूप
    जगजननी है- जग कल्याणी
    ज्योति तू है - रूप अनूप
    विद्या -लक्ष्मी -सरस्वती तू
    शत शत नमन हे ! बिटिया रानी
    सब से प्यारी -"जान " है तू
    मन के उद्गारों से झरने सी फूटती रचना .बढ़िया सकारात्मक पोस्ट .बधाई .

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  2. प्रिय और आदरणीय रविकर जी ,वीरू भाई जी आप सब का बहुत बहुत आभार ...बेटिओं के बिन जग का अस्तित्व ही कहाँ हैं आइये इन्हें भरपूर प्यार दुलार दें ..शिखा जी इस रचना को आप ने मान दिया नारी ब्लॉग में शामिल करने हेतु आभार
    भ्रमर ५
    कविता
    खुशबू

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