पुरुष ब्लोगर्स आत्म निरीक्षण अवश्य करें !
सभी पुरुष ब्लोगर्स से आज इस मंच के माध्यम से यही कहना चाहती हूँ कि किसी भी महिला ब्लोगर के साथ ऐसा व्यवहार न करें कि उसे ऐसी पोस्ट लिखने के लिए मजबूर होना पड़ें-
ज़िन्दगी…एक खामोश सफ़र-बस ........विवाद और नहीं
ये आज आग्रह है कल को विद्रोह का रूप भी ले सकता है .मसलन महिला ब्लोगर सभी पुरुष ब्लोगर्स को अपने ब्लॉग का न तो अनुसरण करने दें और न स्वयं करें ...या पुरुष ब्लोगर्स की टिप्पणी को प्रकाशित ही ना करें .ऐसा होना ब्लॉग जगत के लिए बहुत दुभाग्यपूर्ण होगा .
वंदना ji ne जिन तीन पुरुष ब्लोगर्स पर गंभीर आरोप लगायें हैं उन्हें ये समझना चाहिए कि आपके विचार ...आपकी धारणाएं ही अंतिम सत्य नहीं हैं और न ही किसी आलेख या रचना के आधार पर किसी महिला साहित्यकार के चरित्र को परिभाषित करने का आपको अधिकार है .
ब्लॉग अपने विचार अन्य विचारवान ब्लोगर्स के साथ साझा करने का मंच है.. किसी पर कीचड उछालने का नहीं .किसी भी महिला ब्लोगर की पोस्ट पर अपनी आपत्ति प्रकट करते समय भाषा की मर्यादा का पालन तो होना ही चाहिए .
भविष्य में ऐसा कोई मामला ब्लॉग जगत में न आये इसके लिए सभी पुरुष ब्लोगर्स को आत्म निरक्षण अवश्य करना होगा .
शिखा कौशिक
सभी पुरुष ब्लोगर्स से आज इस मंच के माध्यम से यही कहना चाहती हूँ कि किसी भी महिला ब्लोगर के साथ ऐसा व्यवहार न करें कि उसे ऐसी पोस्ट लिखने के लिए मजबूर होना पड़ें-
ज़िन्दगी…एक खामोश सफ़र-बस ........विवाद और नहीं
ये आज आग्रह है कल को विद्रोह का रूप भी ले सकता है .मसलन महिला ब्लोगर सभी पुरुष ब्लोगर्स को अपने ब्लॉग का न तो अनुसरण करने दें और न स्वयं करें ...या पुरुष ब्लोगर्स की टिप्पणी को प्रकाशित ही ना करें .ऐसा होना ब्लॉग जगत के लिए बहुत दुभाग्यपूर्ण होगा .
वंदना ji ne जिन तीन पुरुष ब्लोगर्स पर गंभीर आरोप लगायें हैं उन्हें ये समझना चाहिए कि आपके विचार ...आपकी धारणाएं ही अंतिम सत्य नहीं हैं और न ही किसी आलेख या रचना के आधार पर किसी महिला साहित्यकार के चरित्र को परिभाषित करने का आपको अधिकार है .
ब्लॉग अपने विचार अन्य विचारवान ब्लोगर्स के साथ साझा करने का मंच है.. किसी पर कीचड उछालने का नहीं .किसी भी महिला ब्लोगर की पोस्ट पर अपनी आपत्ति प्रकट करते समय भाषा की मर्यादा का पालन तो होना ही चाहिए .
भविष्य में ऐसा कोई मामला ब्लॉग जगत में न आये इसके लिए सभी पुरुष ब्लोगर्स को आत्म निरक्षण अवश्य करना होगा .
शिखा कौशिक
गारी-गुप्ता हो रहा, जाल जगत पर आज ।
जवाब देंहटाएंमूल विषय खोता रहा, गिरी गजल पर गाज ।
गिरी गजल पर गाज, वंदना के स्वर रूठे ।
कौन यहाँ महफूज, मिटे सब दुष्ट अनूठे ।
भौतिकता धन धान्य, जला सकती चिंगारी ।
मन जीवन सम्मान, जलाती कटुता गारी ।।
औरत की व्यथा को समझा नहीं गया तो उसे समझाने के लिए औरत को मुंह खोलना पड़ा। इस तरह उसने नारी मन को समझना सरल कर दिया लेकिन जिन्हें समझना ही कुछ नहीं है, उन्होंने इस बात को लेकर ही उसकी आबरू को तार तार कर दिया।
जवाब देंहटाएंयह सब होते हुए देखना बहुत अफ़सोसनाक है और यह काम उन्होंने उन्होंने किया है जिन्हें अच्छी हिंदी ब्लॉगिंग का स्तंभ होने का भ्रम है और अपने भ्रम को पुख्ता करने के लिए वे दूसरों को पुरस्कार भी देते रहते हैं।
पुरस्कार देने वाले महिला ब्लॉगर का अपमान भी कर सकते हैं, यह कैसी विडंबना है ?
यह न तो आलोचना है और न ही समीक्षा, यह साफ़ तौर पर रंजिश का केस है।
वे किसी से ऐसी उम्मीदें क्यों पालते हैं जो कि पूरी न हो तो इंतक़ाम लेने पर उतारू हो जाएं ?
सच बात यही है और इसे कहने से लोग बचकर निकल जाते हैं। जिसे कहने से लोग बचते हैं, वही कहना हमारी पहचान है।
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अश्लील टीका टिप्पणी क्यों ?
बहुत सही लिखा है आपने ।
जवाब देंहटाएंआपके विचारों से सहमत
जवाब देंहटाएंAAPKI POST YHAN BHI HAI
जवाब देंहटाएंhttp://hbfint.blogspot.in/2012/04/38-human-nature.html
सही कहा आपने...पुरुष ब्लॉगर्स को आत्मनिरीक्षण जरुर करना चाहिए!
जवाब देंहटाएं---सत्य तो यह है कि किसी के द्वारा भी लेखिका के चरित्र पर कीचड नहीं उछाला गया है न परिभषित किया गया है अपितु तीन नाम लिखकर स्वयं लेखिका ने उनका चरित्र परिभाषित करने का अवान्छनीय प्रयत्न किया है यह लेखिका की स्वयं की अपरिपक्वता व बचपने का उदाहरण है... लेखिका इतनी परिपक्व नहीं है कि किसी के बारे में उसके मन्तव्य की कोई खास अहमियत हो..
जवाब देंहटाएं--- ब्लोगर्स/साहित्यकार न पुरुष होते हैं न महिला वे सिर्फ़ साहित्यकार होते हैं...अतः आत्मनिरीक्षण की आवश्यकता लेखक को होनी चाहिये कि हम क्या लिख रहे हैं वह असाहित्यिक तो नहीं है...चाहे जितना भी उसमें समाज व मानव--नारी-पुरुष का भलाई चिन्तन( आपकी द्रिष्टि में) हो... गलत परम्परा दूरगामी प्रभाव में हानिकारक ही होती है नहीं अपनानी चाहिये.....
--- जो स्वयं सारे विवाद को हवा देने का कारण है, असंयमित पोस्ट लिख कर उनका नाम तो दिया ही नहीं गया लेखिका द्वारा.. वे ही अब नारी मन की बात कर रहे हैं... वे स्वयं भ्रम में हैं एवं भ्रम की बात कर रहे हैं..भला रन्ज़िश कहां व कैसी और क्यों...बेमतलब की बातें हैं..
--- एक बार पुरस्कार मिल जाने से कोई आलोचना से परे नहीं होजाता...
---- लेखिका एवं इस पोस्ट लेखक को भी सोचना चाहिये कि उसका लेखन भी अन्तिम सत्य नहीं...
--- भविष्य में निश्चय ही सभी ब्लोगर्स को ध्यान रखना चाहिये कि इस प्रकार के विषयों पर सोच समझ कर मर्यादित ..साहित्यिक भाषा का प्रयोग करें.. एवं हर प्रकार की टिप्पणियों को सहज़तापूर्वक लें..एवं टिप्पणियों को हटाने जैसा अवान्छनीय कार्य न करें...
us post pe comment to hamne bhi kiyaa thaa...
जवाब देंहटाएंkahin un teen mein hamaaraa bhi naam to nahin...??
?????????????
us post pe comment to hamne bhi kiyaa thaa...
जवाब देंहटाएंkahin un teen mein hamaaraa bhi naam to nahin...??
vandna ji ne post me aapka jikr nahi kiya hai . ho sakta hai neeche links me aapka bhi diya ho .
जवाब देंहटाएंआपकी बातें बिल्कुल सही है।
जवाब देंहटाएंऐसे लोगों का वहिष्कार होना ही चाहिए। व्यक्तिगत तौर पर तो हम कर ही सकते हैं, करते ही हैं, सामूहिक भी हो तो बात बने।