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गुरुवार, 5 अप्रैल 2012

सम्पूर्ण मानव जाति की माँ का नंगा चित्र प्रकाशित करना कितना उचित है ?

बोल्डनेस छोड़िए हो जाइए कूल...खुशदीप​ के सन्दर्भ में   

ख़ुशदीप सहगल किसी ब्लॉग पर अपनी मां का काल्पनिक नंगा फ़ोटो देखें तो उन्हें दुख होगा इसमें ज़रा भी शक नहीं है लेकिन उनकी मां का नंगा फ़ोटो ब्लॉग पर लगा हुआ है और उन्हें दुख का कोई अहसास ही नहीं है।
...और यह फ़ोटो उनके ही ब्लॉग पर है और ख़ुद उन्होंने ही लगाया है।
उन्होंने चुटकुलों भरी एक पोस्ट तैयार की। जिसका शीर्षक है ‘बोल्डनेस छोड़िए और हो जाइये कूल‘
इस पोस्ट का पहला चुटकुला ही हज़रत आदम अलैहिस्सलाम और अम्मा हव्वा अलैहिस्सलाम पर है। इस लिहाज़ से उन्होंने एक फ़ोटो भी उनका ही लगा दिया है। फ़ोटो में उन्हें नंगा दिखाया गया है।
दुनिया की तीन बड़ी क़ौमें यहूदी, ईसाई और मुसलमान आदम और हव्वा को मानव जाति का आदि पिता और आदि माता मानते हैं और उन्हें सम्मान देते हैं। ये तीनों मिलकर आधी दुनिया की आबादी के बराबर हैं। अरबों लोग जिनका सम्मान करते हैं, उनके नंगे फ़ोटो लगाकर ब्लॉग पर हा  हा ही ही की जा रही है।
यह कैसी बेहिसी है भाई साहब ?
आदम हव्वा का फ़ोटो इसलिए लगा दिया कि ये हमारे कुछ थोड़े ही लगते हैं, ये अब्राहमिक रिलीजन वालों के मां बाप लगते हैं।

अरे भाई ! आप किस की संतान हो ?
कहेंगे कि हम तो मनु की संतान हैं।
और पूछा जाए कि मनु कौन हैं, तो ...?
कुछ पता नहीं है कि मनु कौन हैं !

अथर्ववेद 11,8 बताता है कि मनु कौन हैं ?
इस सूक्त के रचनाकार ऋषि कोरूपथिः हैं -
यन्मन्युर्जायामावहत संकल्पस्य गृहादधिन।
क आसं जन्याः क वराः क उ ज्येष्ठवरोऽभवत्। 1 ।
तप चैवास्तां कर्भ चतर्महत्यर्णवे।
त आसं जन्यास्ते वरा ब्रह्म ज्येष्ठवरोऽभवत् । 2 ।

अर्थात मन्यु ने जाया को संकल्प के घर से विवाहा। उससे पहले सृष्टि न होने से वर पक्ष कौन हुआ और कन्या पक्ष कौन हुआ ? कन्या के चरण कराने वाले बराती कौन थे और उद्वाहक कौन था ? ।1। तप और कर्म ही वर पक्ष और कन्या पक्ष वाले थे, यही बराती थे और उद्वाहक स्वयं ब्रह्म था।2। 

यहां स्वयंभू मनु के विवाह को सृष्टि का सबसे पहला विवाह बताया गया है और उनकी पत्नी को जाया और आद्या कहा गया है। ‘आद्या‘ का अर्थ ही पहली होता है और ‘आद्य‘ का अर्थ होता है पहला। ‘आद्य‘ धातु से ही ‘आदिम्‘ शब्द बना जो कि अरबी और हिब्रू भाषा में जाकर ‘आदम‘ हो गया।
स्वयंभू मनु का ही एक नाम आदम है। अब यह बिल्कुल स्पष्ट है। अब इसमें किसी को कोई शक न होना चाहिए कि मनु और जाया को ही आदम और हव्वा कहा जाता है और सारी मानव जाति के माता पिता यही हैं।
ख़ुशदीप सहगल के माता पिता भी यही हैं।
अपने मां बाप के नंगे फ़ोटो ब्लॉग पर लगाकर सहगल साहब ख़ुश हो रहे हैं कि देखो मैंने कितनी अच्छी पोस्ट लिखी है।
अपनी मां की नंगी फ़ोटो लगा नहीं सकते और जो उनकी मां की भी मां है और सबकी मां है उसका नंगा फ़ोटो लगाकर बैठ गए हैं और किसी ने उन्हें टोका तक नहीं ?
ये है हिंदी ब्लॉग जगत !
कहते हैं कि हम पढ़े लिखे और सभ्य हैं।
हम इंसान के जज़्बात को आदर देते हैं।
अपने मां बाप आदम और हव्वा अलैहिस्सलाम पर मनघड़न्त चुटकुले बनाना और उनका काल्पनिक व नंगा फ़ोटो लगाना क्या उन सबकी इंसानियत पर ही सवालिया निशान नहीं लगा रहा है जो कि यह सब देख रहे हैं और फिर भी मुस्कुरा रहे हैं ?




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    सम्पूर्ण मानव जाति की माँ का नंगा चित्र प्रकाशित करना कितना उचित है ?
    रात हमने 'ब्लॉग की ख़बरें' पर पोस्ट पब्लिश करने के साथ ही उनकी पोस्ट पर टिप्पणी भी की और इस पोस्ट की सूचना देने के लिए अपना लिंक भी छोड़ा लेकिन उन्होंने गलती को मिटने के बजाय हमारी टिप्पणी ही मिटा डाली.
    उनकी गलती दिलबाग जी ने भी दोहरा डाली. उनकी पोस्ट से फोटो लेकर उन्होंने भी चर्चा मंच की पोस्ट   (चर्चा - 840 ) में लगा दिया है.
    एक टिप्पणी हमने चर्चा मंच की पोस्ट पर भी कर दी है.
    यह मुद्दा तो सबके माता पिता की इज्ज़त से जुडा है. सभी को इसपर अपना ऐतराज़ दर्ज कराना चाहिए.
    http://blogkikhabren.blogspot.in/2012/04/manu-means-adam.html

    9 टिप्‍पणियां:

    1. VERY SAD .A BLOGGER LIKE KHUSHDEEP JI -HAS DONE THIS ....VERY SAD .I STRONGLY CONDEMN THIS .

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    2. VERY SAD .A BLOGGER LIKE KHUSHDEEP JI -HAS DONE THIS ..VERY SAD .I STRONGLY CONDEMN THIS ..

      जवाब देंहटाएं
    3. ख़ुशदीप जी ने हमारे ऐतराज़ के बाद पहले तो टाल मटोल का रवैया अपनाया लेकिन जब हमने ब्लॉग जगत में कई मंचों पर यह मुददा उठाया तो फिर उन्होंने चुपके से नंगा फ़ोटो हटाकर दूसरा लगा दिया।
      अपनी ग़लती का इक़रार करके उसे सुधारने में क्या शर्म आ रही है ?
      बदले हुए फ़ोटो पर सुनीता शानू जी को हमारी टिप्पणी बेमेल सी लगी लेकिन ख़ुशदीप सहगल जी की इस पोस्ट का चर्चा पुराने फ़ोटो के साथ आज चर्चामंच पर भी है। लिहाज़ा सच अपना गवाह ख़ुद है। जिसे निम्न लिंक पर देखा जा सकता है-​​
      http://blogkikhabren.blogspot.in/2012/04/foto.html

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    4. समस्त विश्व की कला, मूर्ति-कला, चित्र-कला, साहित्य सभी में सदियों से आदम-हब्बा की कल्पित नग्न तस्वीरें..मूर्तियां..प्रदर्शित हैं ..अभी तक कोई भी विरोध दर्ज़ क्यों नहीं हुआ?
      --पहले इन सारे स्थानों से ये हटबायें तब खुशदीप या दिलबाग से कहा जाये....
      --- क्या तह अन्तर स्पष्ट नहीं है भारतीय सन्स्क्रिति व पाश्चात्य व मुस्लिम सन्स्क्रिति में कि भारतीय सन्स्क्रिति में किसी देवी-देवता..चाहे आदि ही हो नग्न नहीं दिखाया गया..जबकि योरोप आदि में सदा आदम-हब्बा को नग्न ही दिखाय गया है...जो वास्तव में कल्पित ही है और नहीं दिखाया जाना चाहिये....

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    5. @ Dr. Shyam Gupta ji ! भारतीय संस्कृति में देवी देवताओं को नग्न दिखाया गया है या नहीं ?
      यह इस पोस्ट का मुददा नहीं है और न ही आज हम इस विषय पर बात करेंगे। यूरोप में लोग क्या कर रहे हैं ?
      यह भी इस पोस्ट का विषय नहीं है।
      बात केवल यह है कि अपने पूर्वजों के नग्न चित्र बनाना हमारी नज़र में ठीक नहीं है और जहां हम रहते बसते हैं या जहां हम ब्लॉगिंग करते हैं। उस दायरे में हम अपनी बात रख रहे हैं।
      आप इस बात को मुददे से भटकाना क्यों चाहते हैं ?
      आप केवल यह बताएं कि हमारी बात सही है या ग़लत ?
      सही लगे तो साथ दीजिए, बस !
      आपके अलावा दूसरों ने भी पोस्ट पढ़ी है और पोस्ट की मंशा को समझा है।

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    6. जमाल ज्री...ब्लोगर कोई बच्चे नही हैं न अग्यानी न आपने कोई अदालत लगा रखी है जो हां ना में जबाव हो......बिना संदर्भ , पुरा-सदर्भ कोई भी विषय/ मुद्दा पूर्ण रूप से समीक्षित नहीं होता...
      ---व्याख्यायित होने पर ही मन्शा समझ में आती है..और मुद्दे का मूल भी...
      ---मेरी टिप्पणी का अन्तिम भाग देखें...

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    7. @ Dr. Shyam Gupta ji ! आप हमें बता रहे हैं कि हमने कोई अदालत नहीं लगा रखी है तो ख़ुद किस आधार पर वंदना जी की पोस्ट पर बिफरे बिफरे से फिर रहे थे और कह रहे थे कि उनकी पोस्ट अश्लील है और उन्हें बोल्ड विषय पर ऐसी पोस्ट लिखने से बचना चाहिए था।
      इस तरह की बातें आप अक्सर ब्लॉग्स पर करते देखे जाते हैं, उनका आपके पास फिर क्या नैतिक आधार बचता है ?
      http://www.testmanojiofs.com/2012/04/blog-post_08.html

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    8. जमाल जी वस्तुस्थिति भी समझा करो--- किसी भी विषय पर अपना मन्तव्य देना..जो भी हो.. एक अलग बात है जो टिप्पणीकार का नैतिक कर्तव्य है...और टिप्पणीकार को हां या ना कहने को कहना एक अलग बात है...जो अनुचित है...
      --- यही अन्तर है नैतिकता पर चलने में नैतिकता की कोरी बातें करने में ...

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