माँ, जहां ख़त्म हो जाता है अल्फाजों का हर दायरा....
Vishaal Charchchit at विशाल चर्चित
इक अति छोटे शब्द पर, बड़े बड़े विद्वान ।
युगों युगों से कर रहे, टीका व व्याख्यान ।
टीका व व्याख्यान, सृष्टि को देती जीवन ।
न्योछावर मन प्राण, सँवारे जिसका बचपन ।
हो जाता वो दूर, सभी सिक्के हों खोटे ।
कितनी वो मजबूर, कलेजा टोटे टोटे ।।
कितनी वो मजबूर, कलेजा टोटे टोटे ।।
जवाब देंहटाएंvery true.....
माँ, जहां ख़त्म हो जाता है अल्फाजों का हर दायरा....
जवाब देंहटाएंबहुत बेहतरीन लिखा अपने हैं.
sateek v ekdam sach .aabhar
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