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बुधवार, 4 अप्रैल 2012

कितनी वो मजबूर, कलेजा टोटे टोटे-

माँ, जहां ख़त्म हो जाता है अल्फाजों का हर दायरा....

Vishaal Charchchit at विशाल चर्चित



इक अति छोटे शब्द पर, बड़े बड़े विद्वान ।
युगों युगों से कर रहे, टीका व व्याख्यान ।

टीका व व्याख्यान,  सृष्टि को देती जीवन
न्योछावर मन प्राण, सँवारे जिसका बचपन 
हो जाता वो दूर,  सभी सिक्के हों खोटे ।
कितनी वो मजबूर, कलेजा टोटे टोटे ।।


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