चरम सुख के शीर्ष पर औरत का प्राकृतिक अधिकार है और उसे यह उपलब्ध कराना
उसके पति की नैतिक और धार्मिक ज़िम्मेदारी है.
प्रेम को पवित्र होना चाहिए और प्रेम त्याग भी चाहता है.
अपने प्रेम को पवित्र बनाएं .
धर्म-मतों की दूरियां अब ख़त्म होनी चाहिएं. जो बेहतर हो उसे सब करें और जो ग़लत हो उसे कोई भी न करे और नफ़रत फैलाने की बात तो कोई भी न करे. सब आपस में प्यार करें. बुराई को मिटाना सबसे बड़ा जिहाद है.
जिहाद करना ही है तो सब मिलकर ऐसी बुराईयों के खि़लाफ़ जिहाद करें जिनके चलते बहुत सी लड़कियां और बहुत सी विधवाएं आज भी निकाह और विवाह से रह जाती हैं।
हम सब मिलकर ऐसी बुराईयों के खि़लाफ़ मिलकर संघर्ष करें.
आनंद बांटें और आनंद पाएं.
पवित्र प्रेम ही सारी समस्याओं का एकमात्र हल है.
उसके पति की नैतिक और धार्मिक ज़िम्मेदारी है.
प्रेम को पवित्र होना चाहिए और प्रेम त्याग भी चाहता है.
अपने प्रेम को पवित्र बनाएं .
धर्म-मतों की दूरियां अब ख़त्म होनी चाहिएं. जो बेहतर हो उसे सब करें और जो ग़लत हो उसे कोई भी न करे और नफ़रत फैलाने की बात तो कोई भी न करे. सब आपस में प्यार करें. बुराई को मिटाना सबसे बड़ा जिहाद है.
जिहाद करना ही है तो सब मिलकर ऐसी बुराईयों के खि़लाफ़ जिहाद करें जिनके चलते बहुत सी लड़कियां और बहुत सी विधवाएं आज भी निकाह और विवाह से रह जाती हैं।
हम सब मिलकर ऐसी बुराईयों के खि़लाफ़ मिलकर संघर्ष करें.
आनंद बांटें और आनंद पाएं.
पवित्र प्रेम ही सारी समस्याओं का एकमात्र हल है.
बहोत अच्छे ।
जवाब देंहटाएंनया हिंदी ब्लॉग
http://http://hindidunia.wordpress.com/
सुन्दर मनोहर .यही पुरुष का सबसे बड़ा योगदान होगा नारी खुश तो सारा परिवार खुश हाल ,खुश मिजाज़ .
जवाब देंहटाएंसुन्दर सोच ..शिखा ..!
जवाब देंहटाएंkalamdaan.blogspot.com
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएं--
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा आज के चर्चा मंच पर भी की गई है!
सूचनार्थ!
पवित्रता में ही शाक्ति है.
जवाब देंहटाएंaap sabhi ka shukriya.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंबुराई को मिटाना सबसे बड़ा जिहाद है....
जवाब देंहटाएं----एक दम सटीक कथन है...बधाई...
---और पवित्र प्रेम किसे कहते है?...प्रेम तो प्रेम होता है...सदा-सर्वता पवित्र....तभी तो वह प्रेम है उसे किसी राइडर-विशेषन की आवश्यकता नहीं होते...
---देखिये रिग्वेद में प्रेम की एक वाक्यान्श में ही सारी परिभाषा समेटी हुई है....
"मा विदिष्वावहै"---किसी से भी द्वेष न करें...बस...
..आमीन।
जवाब देंहटाएंAK गुरु जी प्रेम के मुद्दों से पीड़ित सभी लोगों का सफलता पूर्वक समाधान प्रदान कर सकते हैं। उनके मार्गदर्शन ने हजारों लोगों की प्रेम समस्याओं को हल करने में मदद की है। आपकी प्रेम समस्याओं को सुलझाने में मदद के लिए गुरु जी 24 घंटे उपलब्ध हैं। अधिक जानकारी के लिए इस साइट पर जाएँ - https://loveproblem.solutions/
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