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शुक्रवार, 20 जनवरी 2012

पवित्र प्रेम ही सारी समस्याओं का एकमात्र हल है Divine Love

चरम सुख के शीर्ष पर औरत का प्राकृतिक अधिकार है और उसे यह उपलब्ध कराना
उसके पति की नैतिक और धार्मिक ज़िम्मेदारी है.
प्रेम को पवित्र होना चाहिए और प्रेम त्याग भी चाहता है.
अपने प्रेम को पवित्र बनाएं .
धर्म-मतों की दूरियां अब ख़त्म होनी चाहिएं. जो बेहतर हो उसे सब करें और जो ग़लत हो उसे कोई भी न करे और नफ़रत फैलाने की बात तो कोई भी न करे. सब आपस में प्यार करें. बुराई को मिटाना सबसे बड़ा जिहाद है.
जिहाद करना ही है तो सब मिलकर ऐसी बुराईयों के खि़लाफ़ जिहाद करें जिनके चलते बहुत सी लड़कियां और बहुत सी विधवाएं आज भी निकाह और विवाह से रह जाती हैं।
हम सब मिलकर ऐसी बुराईयों के खि़लाफ़ मिलकर संघर्ष करें.
आनंद बांटें और आनंद पाएं.
पवित्र प्रेम ही सारी समस्याओं का एकमात्र हल है.

10 टिप्‍पणियां:

  1. बहोत अच्छे ।

    नया हिंदी ब्लॉग

    http://http://hindidunia.wordpress.com/

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  2. सुन्दर मनोहर .यही पुरुष का सबसे बड़ा योगदान होगा नारी खुश तो सारा परिवार खुश हाल ,खुश मिजाज़ .

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  3. सुन्दर सोच ..शिखा ..!
    kalamdaan.blogspot.com

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  4. बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
    --
    आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा आज के चर्चा मंच पर भी की गई है!
    सूचनार्थ!

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  5. बुराई को मिटाना सबसे बड़ा जिहाद है....
    ----एक दम सटीक कथन है...बधाई...

    ---और पवित्र प्रेम किसे कहते है?...प्रेम तो प्रेम होता है...सदा-सर्वता पवित्र....तभी तो वह प्रेम है उसे किसी राइडर-विशेषन की आवश्यकता नहीं होते...
    ---देखिये रिग्वेद में प्रेम की एक वाक्यान्श में ही सारी परिभाषा समेटी हुई है....
    "मा विदिष्वावहै"---किसी से भी द्वेष न करें...बस...

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