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शुक्रवार, 21 अक्टूबर 2011

हरिगीतिका छंद----नारी...डा श्याम गुप्त ...


      
             
                





                       नारी
हर कसौटी पर सफल नारी,  कार्य दक्ष सदा रही |
युग श्रम-विभाजन के समय थी, पक्ष में गृह के वही |
 हाँ  चाँद-सूरज की चमक थी, क्षीण उसकी चमक से |
वह चमक आज विलीन होती, देह-दर्शन दमक से ||


नर की कसौटी पर रहे नारी स्वयं शुचि औ सफल |
वह कसौटी है उसीकी परिवार हो सात्विक सुफल |
होजाय जग सुंदर सकल यदि वह रहे कोमल, सजल |
नर भी उसे दे मान जीवन  बने इक सुंदर गज़ल ||
                  

10 टिप्‍पणियां:

  1. बड़े-बुजुर्गों से मिले, व्यवहारिक सन्देश |
    पालन मन से जो करे, पावे मान विशेष ||

    बहुत-बहुत आभार

    डा. साहब ||

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  2. ---धन्यवाद रविकर ....सुंदर दोहा....बधाई ..

    ---- धन्यवाद ..संगीता जी व सोनरूपा जी...आभार .

    ---धन्यवाद अजित गुप्ता जी...--सही कहा वास्तव में चित्र आवश्यक नहीं हैं...
    ---- निश्चय ही साहित्यकारों के लिए चित्रमय स्पष्टता संदेश आवश्यक नहीं है ,सामान्य जन के लिए हो सकता है |
    ..

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  3. kamaal haen bhartiyae naari blog par is prakaar kae chitr

    ham 5 saal sae purusho kae blog par jaa jaa kar striyon kae chitr hatvaa rahae haen aur yahaan unka khulaa pradarshan chal rhaa haen

    shame shame

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  4. ...परन्तु यह वास्तविकता को स्वीकार नहीं कर पाना है ...समस्या की वास्तविकता के प्रचार से आँख मूंदना है ...समाचार पत्रों --टीवी ..सिनेमा में इस प्रदर्शन पर तो किसी महिला/ महिला संगठन / तथाकथित ब्लॉग ने आपत्ति नहीं की, प्रदर्शन नहीं किये ...क्यों ... कब तक यह द्विविधा भाव अपनाइयेगा........

    ज्योति-पर्व पर हंसी-खुशी की,खूब चलें फुलझडियाँ| मिटें कलुष-तम खिलें हर तरफ,प्रसन्नता की लड़ियाँ|
    सुख,समृद्धि मिले जीवनमें,तनमन,स्वस्थ-सबल हो|
    शुभ-कामना श्याम'देते हैं,जीवन-सरल-सुफल हो||

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  5. संगीता जी, सोनरूपाजी ....अपना भी मत दीजिए ...क्या यह आपत्तिजनक है...क्योंकि चित्र अखबार की कटिंग है अर्थात पहले ही खुले आम प्रदर्शित है....

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  6. रवि को रविकर दे सजा, चर्चित चर्चा मंच

    चाभी लेकर बाचिये, आकर्षक की-बंच ||

    रविवार चर्चा-मंच 681

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