बुधवार, 19 अक्टूबर 2011

जिस दिन निजत्व को जानेगा अन्तरपट खुल जायेगा

अरविन्द मिश्र जी के ब्लाग पर एक टिप्पणी के रूप में प्रकाशित श्रीमती वन्दना गुप्ता जी की निम्न पंक्तियाँ साभार प्रस्तुत हैं


ना भाव हूँ ना विचार
ना कण ना क्षण
मै हूँ वो चिरन्तन सत्य
जो तुझमे हूँ आवेष्ठित

मै ही गोपी मै ही राधा
मै ही कृष्ण और मै ही परम सत्य
ना तुझसे जुदा हूँ और ना ही अलग
अस्तित्व वक्त की गर्द मे दबा

मोह माया के आडम्बर मे लिपटा
तुझमे समाया तेरा "मै"
तेरी आत्म चेतना
तेरे "मै" को जानती
सूक्ष्म रूप मे तुझमे रहती

फिर कोई कैसे जानेगा
जब तू ही ना मुझे जान पाया
स्वंय को ना पहचान पाया
क्यों दुनिया से करें उम्मीद

्करो प्रयास खुद ही
स्वंय को जानने की
आत्मतत्व को पहचानने की

जिस दिन निजत्व को जानेगा
अन्तरपट खुल जायेगा
हर रूप तुझमे समा जायेगा
गोपी कृष्ण राधा तू ही बन जायेगा

5 टिप्‍पणियां:

S.N SHUKLA ने कहा…

अति सुन्दर ,आभार.

Harshvardhan ने कहा…

bahut khoob.

Harshvardhan ने कहा…

bahut khoob.

vandana gupta ने कहा…

शिखा जी मेरी रचना को यहाँ भारतीय नारी ब्लोग पर स्थान देने के लिये आपकी सादर आभारी हूँ।

Atul Shrivastava ने कहा…

बहुत सुंदर।