मोरारी बापू ने अपने प्रवचन में बेटी को माता-पिता की आत्मा और बेटे को हृदय की संज्ञा दी हेै। हृदय की धडकन तो कभी भी बंद हो सकती है लेकिन बेटी व आत्मा का संबध जन्मजंमातर का रहता है वह कभी अलग नहीं हो सकती
वाकई हमारी बेटिया निराली है उसे आप बढने मे इतनी मदद करे की वह कली से फूल बनकर फिजा मे अपनी खूशबू बिखेरा करे इन बेटियों की उपलब्धिया असीम है ।जीवन को अमृत तुल्य बनाने वाली इन बेटियो को इतना प्यार -दुलार दो कि हर लडकी की जुबान पर यही बात हो ‘‘अगले जन्म मोहे बिटिया ही कीजो।‘‘
वाकई हमारी बेटिया निराली है उसे आप बढने मे इतनी मदद करे की वह कली से फूल बनकर फिजा मे अपनी खूशबू बिखेरा करे इन बेटियों की उपलब्धिया असीम है ।जीवन को अमृत तुल्य बनाने वाली इन बेटियो को इतना प्यार -दुलार दो कि हर लडकी की जुबान पर यही बात हो ‘‘अगले जन्म मोहे बिटिया ही कीजो।‘‘
स्कूल के बच्चों की जिला स्तरीय वाद-विवाद प्रतियोगिता का विषय है-
जवाब देंहटाएं'घर के दैनिक कामकाज में माता-पिता दोनों की भूमिका समान होनी चाहिए'
आपके मूल्यवान विचारों का पक्ष या विपक्ष में योगदान अपेक्षित है।
बेटियाँ हमेशा अपने माँ बाप को याद करती है, लेकिन बेटा शायद कभी-कभार।
जवाब देंहटाएंबढ़िया रचना |
जवाब देंहटाएंमेरी नई रचना देखें-
**मेरी कविता:राष्ट्रभाषा हिंदी**
बेटियाँ कभी ,नहीं करतीं हैं हेटियाँ,
जवाब देंहटाएंरहतीं हैं अपनी सिर्फ बेटियाँ .
bahut achhe...is soch ko aur badhaava dena hoga
जवाब देंहटाएंhttp://teri-galatfahmi.blogspot.com/
बढ़िया रचना
जवाब देंहटाएंबढ़िया रचना
जवाब देंहटाएंSundar prawachan.
जवाब देंहटाएंKaash isase kuch sabak lete hum sub...
thanks shukhalaji
जवाब देंहटाएंआभार साहनीजी
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दरता से पिरोये शब्द ||
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत बधाई |