मैंने माँ की दुआओं का असर है देख लिया ;
मौत आकर के मेरे पास आज लौट गयी .
माँ ने सिखलाया है तू रहना मोहब्बत से सदा ;
याद आते ही सैफ नफरतों की टूट गयी .
जिसने माँ को नहीं बख्शी कभी इज्जत दिल से ;
ऐसी औलाद की खुशियाँ ही उससे रूठ गयी .
मिटाया खुद को जिस औलाद की खातिर माँ ने ;
बेरूखी देख उसकी माँ भी आज टूट गयी .
कैसे रखते हैं कदम ?माँ ने ही सिखाया था ;
वो ऐसा दौड़ा की माँ ही पीछे छूट गयी .
जो आँखें देखकर शैतानियों पर हँसती थी ;
ma ki duao me bhut asr hota h.
जवाब देंहटाएंआपकी मार्मिक कविता ने मेरी ऑखे नम कर दी वास्तव मे मॉ की दुआओ मे बहुत असर होता ।आपको आभार।
जवाब देंहटाएंउस कैसे रखते हैं कदम ?माँ ने ही सिखाया था ;
जवाब देंहटाएंवो ऐसा दौड़ा की माँ ही पीछे छूट गयी .
यथार्थ ।
खूबसूरत और भावपूर्ण भावनाए बधाई
जवाब देंहटाएंबहुत ही मार्मिक ||
जवाब देंहटाएंमाँ तुझे प्रणाम |
हमने भी देख लिया है माँ की दुआओं का असर बल्कि बुआओं की दुआओं का असर भी देख लिया है ।
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