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मंगलवार, 6 सितंबर 2011

मैंने माँ की दुआओं का असर है देख लिया ;




मैंने माँ की दुआओं का असर है देख लिया ;


मौत आकर के मेरे पास आज लौट गयी .




माँ ने सिखलाया है तू रहना मोहब्बत से सदा ;


याद आते ही सैफ नफरतों की टूट गयी .




जिसने माँ को नहीं बख्शी कभी इज्जत दिल से ;


ऐसी औलाद की खुशियाँ ही उससे रूठ गयी .




मिटाया खुद को जिस औलाद की खातिर माँ ने ;


बेरूखी देख उसकी माँ भी आज टूट गयी .




कैसे रखते हैं कदम ?माँ ने ही सिखाया था ;


वो ऐसा दौड़ा की माँ ही पीछे छूट गयी .




जो आँखें देखकर शैतानियों पर हँसती थी ;


तेरी नादानियों पर रोई और सूज  गयी .

                                                    शिखा कौशिक 
                                [विख्यात ]

6 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी मार्मिक कविता ने मेरी ऑखे नम कर दी वास्तव मे मॉ की दुआओ मे बहुत असर होता ।आपको आभार।

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  2. उस कैसे रखते हैं कदम ?माँ ने ही सिखाया था ;


    वो ऐसा दौड़ा की माँ ही पीछे छूट गयी .

    यथार्थ ।

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  3. खूबसूरत और भावपूर्ण भावनाए बधाई

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  4. बहुत ही मार्मिक ||
    माँ तुझे प्रणाम |

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  5. हमने भी देख लिया है माँ की दुआओं का असर बल्कि बुआओं की दुआओं का असर भी देख लिया है ।

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