'वंदना ' देख रितेश ने मुझे कितने सुन्दर कंगन दिए हैं ?''चहकती हुई सुमन की बात सुनकर वंदना थोड़ी नाराज होते हुई बोली ''....सुमन ये सब ठीक नहीं ...तू जानती है न ताऊ जी कितने गुस्से वाले हैं !..यदि उन्हें पता चल गया तू कॉलिज में किसी लड़के के साथ प्रेम लीला कर रही है वो तुझे जीते जी जमीन में गाड़ देंगे और ताई जी तो कुछ बोलेंगी भी नहीं तेरे पक्ष में ...वो तो खुद घबराती हैं ताऊ जी से ....मेरी बात सुन रितेश से सब मतलब ख़त्म कर ले .....'' ''नहीं वंदना ...मैं रितेश के साथ धोखा नहीं कर सकती ।' सुमन बात काटते हुए बोली ......... ''तो मर .....'। वंदना ने सुमन का हाथ झटका और उठकर वहां से चली गयी .अगले दिन वंदना कॉलिज गयी तो पता चला कि सुमन कॉलिज नहीं आयी .अनजाने भय से उसका ह्रदय काँप गया .कॉलिज से लौटते हुए वंदना सुमन के घर गयी तो पता चला कि वो कल ताऊ जी के साथ अपने मामा के घर चली गयी है .इस तरह एक महीना बीत गया फिर एक दिन वंदना के पिता जी ने घर लौटकर बहुत धीमे स्वर में बताया -''सुमन ने मामा के घर में आग लगाकर आत्महत्या कर ली कल रात .बहुत मुश्किल से मामला रफा-दफा हो पाया है पुलिस में वरना वे तो भाई साहब को फंसा रहे थे कि उन्होंने मारा hai सुमन को .... उसे मार भी देते तो क्या ?घर की इज्जत सडको पर नीलाम होने देते ?आखिर लड़की को अपनी हद में तो रहना ही चाहिए न !''आँखों -आँखों में वंदना को भी धमका डाला था उन्होंने .
शिखा कौशिक
marmik aur sochne pe majboor karti laghukatha
जवाब देंहटाएंrachana
गंधर्व विवाह को मान्यता देने वाली संस्कृति में आज प्रेम विवाह को स्वीकार न किया जाना बहुत से जीवन लील रहा है।
जवाब देंहटाएंदहेज समस्या का एक निदान प्रेम विवाह भी है।
कहानी अच्छी है।
...लेकिन नई नस्ल फ़िल्में देख देखकर लगातार प्रेम कर रहे हैं। मारने वाले बूढ़े हाथ एक दिन आखि़र थक जाएंगे बल्कि मर ही जाएंगे।
'सुमन ने मामा के घर म आग लगाकर आमह या कर ली
जवाब देंहटाएंin shabdo me eak aisi aag hai jo anndar tak jhulsaa deti hai.
Kathanak chayan ke liye badhai.
हमारे समाज में नारी के हकों को ही नही उसे भी कैसे रौंदा जाता है यही कहती है यह रचना ।
जवाब देंहटाएंनमस्कार....
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर लेख है आपकी बधाई स्वीकार करें
मैं आपके ब्लाग का फालोवर हूँ क्या आपको नहीं लगता की आपको भी मेरे ब्लाग में आकर अपनी सदस्यता का समावेश करना चाहिए मुझे बहुत प्रसन्नता होगी जब आप मेरे ब्लाग पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराएँगे तो आपकी आगमन की आशा में पलकें बिछाए........
आपका ब्लागर मित्र
नीलकमल वैष्णव "अनिश"
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