रूचि भुट्टन की याद है आपको. एक महीना भी नहीं हुआ है इस हादसे को, और अखबारों के पन्नों से उतरती यह खबर हमारी यादों से भी उतर सी गई थी. महिला अपराधों की अनगिनत घटनाओं की तरह इसे भी नजरअंदाज कर दिया जाता और शायद एक हाई प्रोफाइल हस्ती के इन्वोल्वमेंट की वजह से इसे रफा-दफा करने की साजिश की भी जा रही हो, मगर शायद पूरी तरह से ऐसा हो पायेगा नहीं.
रूचि का जीवन भी एक प्रेम त्रिकोण में उलझ कर रह गया. उसका शेयर व्यवसायी सुमित भुट्टन से प्रेम सह अरेंज विवाह हुआ था, और उनका आर्यन नाम का पुत्र भी था. 5 जुलाई की रात रूचि भुट्टन की आत्महत्या की खबर उसके पति द्वारा उसकी बहन प्रीति को दी गई. रूचि की माँ श्रीमती सुधा गुप्ता ने पुलिस में उसकी हत्या की आशंका की रिपोर्ट दर्ज कराई. पुलिस की जांच अभी हत्या और आत्महत्या के इर्द-गिर्द ही घूम रही थी कि रूचि की डायरी ने कई नए राज खोल डाले. डायरी के अनुसार सुमित के एक प्रसिद्द Tollywood अभिनेत्री व मॉडल मीरा चोपड़ा के साथ विवाह पूर्व से ही प्रेम संबंध थे. केस को दबाने में साख के इस्तेमाल के संकेत तब मिलने लगते हैं जब यह तथ्य सामने आता है कि मीरा चोपड़ा अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा की Cousin हैं, वैसे समाचारों में इन दोनों के परिवारों के मध्य मनमुटाव की भी खबरें आती रही हैं. रूचि के परिवार ने सुमित और मीरा दोनों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कराया है. सुमित तो इस मामले में जेल जा चुका है, मगर पुलिस मीरा को गिरफ्तार करने में अब तक नाकाम ही रही है.
मगर जैसा कि मैंने उपर कहा अपने अधिकारों के प्रति जागरूकता अब हमारे समाज में काफी व्यापक हो चुकी है. रूचि की बहनें शेफाली, प्रीती, परिवार और कई मित्र रूचि को न्याय दिलाने के लिए सड़क पर उतर आये हैं. कल शाम उन्होंने जंतर - मंतर से इण्डिया गेट तक कैंडल मार्च निकलने का कार्यक्रम तय किया था. पुलिस के प्रति उनकी एक शिकायत भ्रष्टाचार की भी है, और भ्रष्टाचार के विरुद्ध उनके इस संघर्ष को 'इण्डिया अगेंस्ट करप्शन' का भी सहयोग मिल रहा है. कल चाहे अरविन्द केजरीवाल के साथ जंतर-मंतर मार्च को पुलिस द्वारा रोक दिए जाने का असर रूचि के प्रति चल रहे मूवमेंट पर भी पड़ा; मगर मुझे यकीन है कि इनका संघर्ष भी अपने तार्किक अंजाम तक पहुंचेगा.
अपराध और क़ानूनी पहलू के अलावे इस प्रकरण का एक सामाजिक पहलु भी है. हमारे समाज में स्त्री अपराध इतने सहज क्यों हैं. सच कहूँ तो शेफाली की आँखों में छलकते आंसू और भरी-सी आवाज ने मुझे भी भावुक और निःशब्द कर दिया है. शर्मिंदा होने के लिए इस देश में किसी एक राज्य या गाँव पर ही फोकस करने की जरुरत नहीं है. अपने परिवेश में ही कई ऐसी परिस्थितियां हैं जहाँ अपनी बेबसी स्वयं को शर्मिंदा करने के लिए काफी है.
इस अनुभव ने मुझे काफी अशांत कर दिया है और इस अशांति में मैं रूचि की आत्मा की शांति की प्रार्थना कर भी कैसे सकता था ! इसीलिए मैंने वहाँ अपना एक सन्देश भी छोड़ा है कि -
" I don't want to her rest in Peace, till she got Justice ....."
इससे संबद्ध यह वीडियो यहाँ भी देख सकते हैं.
रूचि की आत्मा को शांन्ति मिले! बहुत दुःख होता है ऐसे हादसे होते हुए देखकर! मार्मिक प्रस्तुती!
जवाब देंहटाएंऐसी घटनाओं से सिर शर्म से झुक ही जाता है। आपके मुहिम्म में हमें भी साथ समझें।
जवाब देंहटाएंपता नही हमारे समाज से ऐसे कलंकी लोग कब अलग होंगे? रूचि की आत्मा को शांति तभी मिल पायेगी जब उसके हत्यारों को उनके अंजाम तक पहूंचा दिया जायेगा.
जवाब देंहटाएंरामराम.
रूचि भुत्टन ...की कराह इस देश की हवा पानी में है ----तुलसी हाय गरीब की कभी न खाली जाय ,बिना जीव के सांस के लौह भस्म हो जाय . http://veerubhai1947.blogspot.com/
जवाब देंहटाएंबुधवार, १० अगस्त २०११
सरकारी चिंता .
रूचि भुत्टन ...की कराह इस देश की हवा पानी में है ----तुलसी हाय गरीब की कभी न खाली जाय ,बिना जीव के सांस के लौह भस्म हो जाय . http://veerubhai1947.blogspot.com/
जवाब देंहटाएंबुधवार, १० अगस्त २०११
सरकारी चिंता .
http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com/2011/08/blog-post_10.html
पोलिसिस -टिक ओवेरियन सिंड्रोम :एक विहंगावलोकन .
व्हाट आर दी सिम्टम्स ऑफ़ "पोली -सिस- टिक ओवेरियन सिंड्रोम" ?
मीडिया भी न जान किधर खोया रहा।
जवाब देंहटाएंAfsosnak .
जवाब देंहटाएंhttp://readerblogs.navbharattimes.indiatimes.com/BUNIYAD/entry/%E0%A4%AA-%E0%A4%B0-%E0%A4%A3-%E0%A4%95-%E0%A4%95-%E0%A4%B2-%E0%A4%AE-%E0%A4%B0%E0%A4%9A-%E0%A4%97%E0%A4%8F-%E0%A4%97-%E0%A4%B0-%E0%A4%A5-%E0%A4%95-%E0%A4%87%E0%A4%A8-%E0%A4%95-%E0%A4%B0-%E0%A4%95-%E0%A4%AF
yes its good that family is fighting for.
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंbahut dukhad ghatna hai.khatavaaron ko saja jaroor milni chahiye.
जवाब देंहटाएंअफसोसजनक घटना .
जवाब देंहटाएंरुचि के साथ घटित घटना बहुत अफसोसजनक है .रुचि के परिवारीजन जिस साहस के साथ अन्याय का विरोध कर रहे हैं वह एक आशा जगाता है कि रुचि को न्याय जरूर मिलेगा .सार्थक प्रस्तुति .
जवाब देंहटाएंये प्रेम त्रिकोण बहुत सी जिंदगियों को खा चुका है और पता नहीं और कितनी जिंदगी ये खायेगा.रूचि के बारे में आपने जो कुछ भी बताया जानकर बहुत दुःख हुआ आज समाज में संस्कारों के प्रति जो उदासीनता आई है ये उसका भी परिणाम है.बहुत दुखद कोई शब्द नहीं हैं मेरे पास अपने विचारों की अभिव्यक्ति के लिए.
जवाब देंहटाएंमैं कुछ समय के लिए शहर से बाहर था. इस पोस्ट को प्रकाशित करने का धन्यवाद. रूचि भुट्टन के सपोर्ट में बने फेसबुक ग्रुप के सदस्य बनने के इच्छुक व्यक्ति मुझसे यहाँ कमेन्ट कर या मेल कर संपर्क कर सकते हैं.
जवाब देंहटाएंabhi.dhr@gmail.com