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मंगलवार, 26 जुलाई 2011

पर जननी मिट गई तो, करिहै का विज्ञान ||

महिलाओं का गर कहीं, होता  है  अपमान,
सिखला दुष्टों को सबक, खींचों जमके कान ||

खींचों जमके  कान,  नहीं महतारी खींची ,
बाढ़ा  पेड़  बबूल,  करे  जो हरकत  नीची ||

कृपा नहीं दायित्व,  हमारा  सबसे  पहिला,
धात्री  का  हो  मान, सुरक्षित होवे  महिला ||

एक दोहा--
               पर जननी मिट गई तो--


जननी यदि कमजोर  है, हो  दुर्बल  संतान |
पर जननी मिट गई तो, करिहै का विज्ञान ||

8 टिप्‍पणियां:

  1. कृपा नहीं दायित्व, हमारा सबसे पहिला,
    धात्री का हो मान, सुरक्षित होवे महिला ||
    रवि जी बहुत प्रेरणादायक विचार हैं आपके .इस ब्लॉग पर आपकी पहली प्रस्तुति ही इस ब्लॉग को चार chand laga rahi है .आपका इस ब्लॉग पर हार्दिक स्वागत है.

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  2. कृपा नहीं दायित्व, हमारा सबसे पहिला,
    धात्री का हो मान, सुरक्षित होवे महिला ||


    रविकर जी सटीक बात कही है आपने .माता का सम्मान सबसे पहले होना ही चाहिए जो -माता का सम्मान नहीं करता वो मनुष्य कहलाने के भी योग्य नहीं है .बहुत सुन्दर पोस्ट के साथ आपका इस ब्लॉग पर शुभागमन हुआ है .स्वागत है आपका .आभार

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  3. बहुत सही बात कही है आपने रविकर जी अपने दोहे के माध्यम से | जननी का सम्मान और सुरक्षा बहुत महत्वपूर्ण है |

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  4. कान खींचने के साथ बदमाशों की नाक भी मुक्के मार कर पकौड़े जैसी कर देनी चाहिए ।
    अच्छी पोस्ट ।

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  5. सुन्दर रचना
    आपको मेरी हार्दिक शुभकामनायें
    लिकं हैhttp://sarapyar.blogspot.com/
    अगर आपको love everbody का यह प्रयास पसंद आया हो, तो कृपया फॉलोअर बन कर हमारा उत्साह अवश्य बढ़ाएँ।

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  6. जननी यदि कमजोर है, हो दुर्बल संतान |
    पर जननी मिट गई तो, करिहै का विज्ञान ||

    एक बेहद उम्दा पोस्ट के लिए आपको बहुत बहुत बधाइयाँ

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