tag:blogger.com,1999:blog-1698062258639618592.post7751192722989110530..comments2024-02-10T00:26:10.275-08:00Comments on भारतीय नारी: वो लड़की रौंद दी जाती है अस्मत जिसकी Shikha Kaushikhttp://www.blogger.com/profile/12226022322607540851noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-1698062258639618592.post-8644127110245962342012-12-21T08:35:44.825-08:002012-12-21T08:35:44.825-08:00इस दर्द से बड़ा कोई दर्द नहीं ..पर कोई राह भी तो न...इस दर्द से बड़ा कोई दर्द नहीं ..पर कोई राह भी तो नहीं सूझती Mamta Bajpaihttps://www.blogger.com/profile/00085992274136542865noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1698062258639618592.post-43122308656207875292012-12-20T22:44:08.486-08:002012-12-20T22:44:08.486-08:00अस्मत तो उन नरपिशाचों ने अपने हाथों अपनी रोंदी हैं...अस्मत तो उन नरपिशाचों ने अपने हाथों अपनी रोंदी हैं।राजनhttps://www.blogger.com/profile/05766746760112251243noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1698062258639618592.post-25552574807378513402012-12-20T20:59:53.422-08:002012-12-20T20:59:53.422-08:00केवल सुरक्षा उपायों से या सख्त सज़ाओं से बलात्कार ...केवल सुरक्षा उपायों से या सख्त सज़ाओं से बलात्कार को रोकना संभव नहीं है। सामाजिक और क़ानूनी उपायों के साथ उन नैतिक और आध्यात्मिक मूल्यों में फिर से विश्वास जगाने की भी ज़रूरत है, जिन्हें कि आधुनिकता और विलासिता के लिए जानबूझ कर भुला दिया गया है। नैतिक और आध्यात्मिक मूल्यों में विश्वास जगाये बिना एक पवित्र और सदाचारी समाज बनाना संभव नहीं है। अफ़सोस की बात है कि हमारे समाज में पवित्रता और सदाचार को लाने के लिए वैसे प्रयास नहीं किए जा रहे हैं जैसे कि नैतिकता और सदाचार को ध्वस्त करने के लिए किए जा रहे हैं। हमारी नई नस्ल धन और संपन्नता के लिए कुछ भी कर सकती है और कर रही है। आज नशा, जुआ, नंगापन और क्राइम भी आय के साधनों में शुमार किए जाते हैं। आज ग़रीब होना पाप और अमीर का हर पाप समाज का ट्रेंड बन गया है। ईश्वर, धर्म, ऋषि-पैग़ंबरों के आदेश-निर्देश लोगों को व्यर्थ लगने लगे हैं। इसी का दंड विभिन्न तरीक़ो से हम भोग रहे हैं, जिनमें कि एक बलात्कार भी है। इसके लिए केवल केन्द्र सरकार को कोसना ही काफ़ी नहीं है क्योंकि अलग अलग पार्टी की राज्य सरकारों में बलात्कार की घटनाएं हो रही हैं। बलात्कार को मुददा बनाकर अपनी राजनीतिक भड़ास निकालने के बजाय हमें ईमानदारी से लड़कियों और महिलाओं की सुरक्षा के बारे में सोचना होगा। <br />आदमी आज भी वही है जोकि वह आदिम युग में था। समय के साथ साधन बदलते हैं लेकिन प्रकृति नहीं बदलती। बुरे लोगों की बुराई से बचने के लिए अच्छे लोगों को संगठित होकर अच्छे नियमों का पालन करना ही होगा। इसके सिवाय न पहले कोई उपाय था और न आज है।ईश्वर की एक निर्धारित व्यवस्था इै, जिसका नाम सब जानते हैं। जब आदमी या औरत उससे बचकर किसी और मार्ग पर निकल जाए तो फिर वह जिस भी दलदल में धंस जाए तो उसके लिए वह ईश्वर को दोष न दे बल्कि ख़ुद को दे और कहे कि मैं ही पालनहार प्रभु के मार्गदर्शन को छोड़कर दूसरों के दर्शन और अपनी कामनाओं के पीछे चलता रहा/चलती रही।<br />अल्लाह तो लोगों पर तनिक भी अत्याचार नहीं करता, किन्तु लोग स्वयं ही अपने ऊपर अत्याचार करते है (44) जिस दिन वह उनको इकट्ठा करेगा तो ऐसा जान पड़ेगा जैसे वे दिन की एक घड़ी भर ठहरे थे। वे परस्पर एक-दूसरे को पहचानेंगे। वे लोग घाटे में पड़ गए, जिन्होंने अल्लाह से मिलने को झुठलाया और वे मार्ग न पा सके (45).<br />सूरा ए यूनुस आयत 44 व 45DR. ANWER JAMALhttps://www.blogger.com/profile/06580908383235507512noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1698062258639618592.post-38607626710000697322012-12-20T11:42:04.321-08:002012-12-20T11:42:04.321-08:00भावनात्मक अभिव्यक्ति फाँसी : पूर्ण समाधान नहींभावनात्मक अभिव्यक्ति <a href="http://shalinikaushik2.blogspot.com" rel="nofollow">फाँसी : पूर्ण समाधान नहीं </a>Shalini kaushikhttps://www.blogger.com/profile/10658173994055597441noreply@blogger.com