tag:blogger.com,1999:blog-1698062258639618592.post2214778194313662926..comments2024-02-10T00:26:10.275-08:00Comments on भारतीय नारी: रितिका का प्यार और लिव-इन - भारतीय संस्कृति को धक्का Shikha Kaushikhttp://www.blogger.com/profile/12226022322607540851noreply@blogger.comBlogger7125tag:blogger.com,1999:blog-1698062258639618592.post-41246572984315785102022-07-04T04:12:38.652-07:002022-07-04T04:12:38.652-07:00सही बिंदु पर प्रहार किया है मनीषा जी आपने, लिव इन ...सही बिंदु पर प्रहार किया है मनीषा जी आपने, लिव इन के लिए कहा जा सकता है कि यह मात्र जीवन का बिना किसी जिम्मेदारी के उठाया गया आनन्द है. सार्थक विचार प्रस्तुत करने के लिए हार्दिक धन्यवाद 🙏🙏Shalini kaushikhttps://www.blogger.com/profile/10658173994055597441noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1698062258639618592.post-51584192559234629252022-07-01T10:01:43.749-07:002022-07-01T10:01:43.749-07:00बहुत ही उम्दा लेख आदरणीय मैम!
मेरी नज़र में लिव इ...बहुत ही उम्दा लेख आदरणीय मैम! <br />मेरी नज़र में लिव इन बिल्कुल भी सही नहीं और जो लोग कहते हैं कि लिव इन रिलेशन इस लिए जरूरी है कि तलाक कम हो सके तो वे भूल जाते हैं कि लिव इन रिलेशन का बीच में खत्म होना एक तरह का तलाक ही है बस फर्क इतना है कि इसमें कोई कानूनी प्रक्रिया नहीं होती है पर भावनात्मक रूप से और शारीरिक संबंध से तो तलाक होता ही जो एक सामान्य तलाक में होता! और इस रिलेशन में भी वो सब होता है जो एक शादीशुदा दम्पति के बीच होता है बस इसमें जिम्मेदारियां नहीं होती है और न ही कोई बंधन पर मन के बंधन तो होते ही हैं! Manisha Goswamihttps://www.blogger.com/profile/10646619362412419141noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1698062258639618592.post-10968376781724431342022-06-29T02:39:11.871-07:002022-06-29T02:39:11.871-07:00सही कह रही हैं आप, आभार सही कह रही हैं आप, आभार Shalini kaushikhttps://www.blogger.com/profile/10658173994055597441noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1698062258639618592.post-88469566416503479932022-06-28T23:45:07.323-07:002022-06-28T23:45:07.323-07:00तथ्यों पर तर्कसंगत चिंतन देता गूढ़ और परिपक्व लेख।...तथ्यों पर तर्कसंगत चिंतन देता गूढ़ और परिपक्व लेख।<br />बस जिनको समझाना चाह रहें हैं वो समझने को तैयार ही नहीं सचमुच संस्कृति संस्कार नई पीढ़ी के लिए फालतू का ढकोसला है।<br />सुंदर।मन की वीणाhttps://www.blogger.com/profile/10373690736069899300noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1698062258639618592.post-59442778596506815462022-06-28T20:01:32.661-07:002022-06-28T20:01:32.661-07:00उत्साह वर्धन हेतु हार्दिक धन्यवाद अनीता जी उत्साह वर्धन हेतु हार्दिक धन्यवाद अनीता जी Shalini kaushikhttps://www.blogger.com/profile/10658173994055597441noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1698062258639618592.post-29131517103070215692022-06-28T19:55:55.491-07:002022-06-28T19:55:55.491-07:00
इसलिए धनवान होने से ज्यादा चरित्रवान होना आवश...<br /> इसलिए धनवान होने से ज्यादा चरित्रवान होना आवश्यक है... बहुत सही कहा आपने इच्छाएँ दौड़ाती हैं इंसान को परंतु क्या वह उसे सुख प्रदान करती हैं या और जटिल भविष्य बुन देती है। रीतिका के बारे में पढ़कर हृदय द्रवित हो गया।ठहराव जीवन में शांति देता है। समय वही खो रहा है।<br />बहुत बढ़िया लिखा आपने, मेरे ब्लॉग पर भी पधारे 🙏।<br />सादर अनीता सैनी https://www.blogger.com/profile/04334112582599222981noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1698062258639618592.post-42565154347002809122022-06-28T05:41:49.459-07:002022-06-28T05:41:49.459-07:00हार्दिक धन्यवाद शास्त्री जी 🙏🙏हार्दिक धन्यवाद शास्त्री जी 🙏🙏Shalini kaushikhttps://www.blogger.com/profile/10658173994055597441noreply@blogger.com