tag:blogger.com,1999:blog-1698062258639618592.post1933974956185807733..comments2024-02-10T00:26:10.275-08:00Comments on भारतीय नारी: दोहरापन (कहानी )Shikha Kaushikhttp://www.blogger.com/profile/12226022322607540851noreply@blogger.comBlogger9125tag:blogger.com,1999:blog-1698062258639618592.post-20454065504706018202018-03-22T23:24:25.988-07:002018-03-22T23:24:25.988-07:00आदरणीया सोनाली भाटिया जी,
शीर्षक को सार्थकता प्रदा...आदरणीया सोनाली भाटिया जी,<br />शीर्षक को सार्थकता प्रदान करती सुन्दर लघुकथा। यह लघुकथा के ंंमानकों पर खरी उतरती है। आप ंंमें साहित्य सृजन की सामर्थ्य, क्षमता और रुचि भी है। आप ंंनिरन्तर लिखती रहें। कलमकार की कलम रुकनी ंंनहीं चाहिये।ंंनिखार स्वयं आता जायेगा। इसमें वर्तनी को सुधार लेने की जरूरत है। <br />आप अगर लघुकथाओं के शिल्प ंंमें रुचि रखती है, तो आप "open books live ंंनामक साइट से जुडिए। वहां साहित्यमर्मज्ञों द्वारा आपको सुझाव और दिशा ंंनिर्देश ंंमिलते रहेन्गें। वहां आदरणीय डा योगराज प्रभाकर द्वारा "लघुकथा के शिल्प" पर विस्तृत जानकारी दी गायी है। उसे अवश्य पढें।<br />आप ंंमेरा ब्लॉग marmagyanet.blogspot.com पर जाकर शुद्ध साहित्यिक रचनाओं को पढें और वहां अपने विचारों से ंंमुझे अवगत करायें।<br /><br /> मेरी लिखी दूसरी पुस्तक उपन्यास के रूप में "डिवाइडर पर कॉलेज जंक्शन" के नाम से हिंद युग्म से प्रकाशित हो चुकी है। <br />पुस्तक के कथानक के बारे में:<br />यह छोटे शहर में स्थापित ऐसे डिग्री कॉलेज की कहानी है जिसके पास से रेलवे लाइन गुजरती है। इसलिए विद्यार्थी अपने पीरियड के विषय से अधिक उस ओर से गुजरने वाली ट्रेन के समय की जानकारी रखते हैं। <br /><br />कॉलेज की पढाई करते - करते <br />समय की गलियों से यूँ गुजरना।<br />कुछ तोंद वाले सर, कुछ दुबले -पतले सर,<br />कुछ चप्प्लों में सर, कुछ जूतों में सर।<br /><br />जैसे कॉलेज की दीवार से सटे <br />रेलवे लाईन पर ट्रेनों का गुजरना।<br />इसी बीच पनपता प्यार,<br />विज्ञान और अर्थशास्त्र के बीच।<br />छात्र परिषद के चुनाव की घोषणा होते ही<br />बाहरी तत्वों के घुसपैठ से,<br />कॉलेज के शान्त वातावरण का <br />पुल - सा कम्पित होना, थर्राना।<br /><br />ये सब कुछ और इससे भी अधिक बहुत कुछ...<br />पढें उपन्यास "डिवाईडर पर कॉलेज जंक्शन" में***<br />अभी यह आमज़ोन के साइट से ऑन लाईन मात्र 115रु में मँगाई जा सकती है।<br />इस लिंक पर जाकर मंगाएं:<br />link: http://amzn.to/2Ddrwm1<br />आमज़ोन पर customer review लिखें और मेरी लिखी पुस्तक "छाँव का सुख" डाक द्वारा मुफ्त प्राप्त करें।<br />अपना पता मेरे ई मेल : brajendra.nath.mishra@gmail.com पर भेज दें।Marmagya - know the inner selfhttps://www.blogger.com/profile/12590186684533332662noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1698062258639618592.post-64475643623492893172017-10-13T04:17:18.634-07:002017-10-13T04:17:18.634-07:00इस कहानी के लेखक से संम्पर्क करना चाहता हूँ। ramag...इस कहानी के लेखक से संम्पर्क करना चाहता हूँ। ramaganeshshyam@gmail.com <br /> मुझे इंतजार है आपके मेल 📮 का 🙏 R G SHYAMhttps://www.blogger.com/profile/10800651105577520375noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1698062258639618592.post-38746415531230674522017-10-03T03:45:57.837-07:002017-10-03T03:45:57.837-07:00बहुत कडक बात बोल गई बहुत कडक बात बोल गई R G SHYAMhttps://www.blogger.com/profile/10800651105577520375noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1698062258639618592.post-67043581147009677142017-09-07T05:52:28.001-07:002017-09-07T05:52:28.001-07:00यही सच है।यही सच है।सुशील कुमार जोशीhttps://www.blogger.com/profile/09743123028689531714noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1698062258639618592.post-51551158084372975322017-09-07T02:00:28.545-07:002017-09-07T02:00:28.545-07:00बेटियों के प्रति दृष्टिकोण में सकारात्मक परिवर्तन ...बेटियों के प्रति दृष्टिकोण में सकारात्मक परिवर्तन होना जरूरी है ! बेहतरीन प्रस्तुति ।Rajesh Kumar Raihttps://www.blogger.com/profile/11470374028071461971noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1698062258639618592.post-22261394156688876152017-09-05T21:30:14.899-07:002017-09-05T21:30:14.899-07:00समय के साथ सामाजिक परिवर्तन ज़रूरी है किन्तु सामाजि...समय के साथ सामाजिक परिवर्तन ज़रूरी है किन्तु सामाजिक मूल्यों पर बहस लाज़मी होती है। <br />समाज के दोहरेपन पर सवाल खड़े करती लघुकथा विचारोत्तेजक है। बधाई। <br />आपकी यह प्रस्तुति "पाँच लिंकों का आनंद" ( http;//halchalwith5links.blogspot.in) में गुरूवार 07 -09 -2017 को प्रकाशनार्थ अंक में सम्मिलित की गयी है। चर्चा में शामिल होने के लिए आप सादर आमंत्रित हैं ,आइयेगा ज़रूर। सधन्यवाद। Ravindra Singh Yadavhttps://www.blogger.com/profile/09309044106243089225noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1698062258639618592.post-14646803797898913512017-09-05T20:57:04.191-07:002017-09-05T20:57:04.191-07:00बहुत सुन्दर...बहुत सुन्दर...Sudha Devranihttps://www.blogger.com/profile/07559229080614287502noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1698062258639618592.post-82008219332414137102017-09-05T16:50:59.563-07:002017-09-05T16:50:59.563-07:00आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा आज बुधवार (06-...आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा आज बुधवार (06-09-2017) को <a href="http://charchamanch.blogspot.in/2017/09/2719.html" rel="nofollow"><br />तरु-शाखा कमजोर, पर, गुरु-पर, पर है नाज; चर्चामंच 2719<br /> </a> पर भी होगी।<br />--<br />सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।<br />--<br />चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।<br />जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।<br />हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।<br />सादर...!<br />डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक<br />डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1698062258639618592.post-85734383051343276442017-09-05T08:45:08.313-07:002017-09-05T08:45:08.313-07:00समाज की सोच को उजागर करती रचना हेतु बधाई स्वीकार क...समाज की सोच को उजागर करती रचना हेतु बधाई स्वीकार करें. Shikha kaushikhttps://www.blogger.com/profile/01152655169641652177noreply@blogger.com