बुधवार, 22 फ़रवरी 2012

अन्न का सम्मान करे






     अकसर हमारे समाज में शादी हो या जन्म-दिन या अन्य कोई शुभ प्रंसग हो भोज का आयोजन किया जाताा है, प्रायः देखने में आता है कि लोग खाते कम है, अन्न की बर्बादी ज्यादा करते हैे।आजकल कई तरह के व्यंजनो के स्टाॅल लगते है जिससे सब का मन ललचा उठता है,और सभी व्यंजनो का स्वाद लेने के चक्कर मे ढेर सारा भोजन प्लेट में ले लेते है और पेटभर जाने के कारण अनावश्यक रूप से लिया गया भोजन बच जाता है जिसे कूडे- दान में फेंक दिया जाता है या नाली में बहा दिया जाता है ,लेकिन हम चाहे तो अन्न की बर्बादी को काफी हद तक रोक सकते है,यदि इस भोजन का सद्उपयोग किया जाय तो न जाने कितने भूखे-गरीबो का पेट भर सकता है। किसी संस्था की मदद से अनाथाश्रम या किसी बस्ती में पहुचाया जा सकता है या अप्रत्यक्ष रूप सं गौ-माता को इस भोजन में सम्मिलित कर अप्रत्यक्ष पुण्य का भागीदार आप बन सकते है गौ-शाला से सम्पर्क करके,फोन द्धारा सूचित करके या स्ंवय गायों तक भोजन पहुचाकर  पुण्य कमा सकते है।  


              यदि व्यंजन पंसद न हो तो पहले से निकाल लेना चाहिये ,जूठा नहीं छोडना चाहिये। अन्न को देवता का दर्जा दिया गया है ,इसलिये अन्न को देवता का रूप समझकर ग्रहण करना चाहिये । मनुस्मृति में कहा गया है कि अन्न ब्रहृा है,रस विष्णु है और खाने वाला महेश्वर है। भोजन के समय प्रसन्नता पूर्वक भोजन की पं्रशसा करते हुये ,बिना झूठा छोडे हुये ग्रहण करना चाहिये । दूसरो के निवाले को हम नाली में बहा कर अन्न देवता का अपमान कर रहे है, जो रूचिकर लगे वही खाये ,पेट को कबाडखाना न बनाये । भांेजन को समय पर ग्रहण करके भोजन का सम्मान करे ,मध्य रात्री को पशु भी नहीं खाता है । प्रत्येक स्टाॅल पर विरोधी स्वभाव के भोजन को स्वविवेक के अनुसार ग्रहण करना चाहिये ।।सब का स्वाद ले लू वाली प्रव्रृति का त्याग करे


           गाॅधी जी ने कहा है कि कम खाने -वाला ज्यादा जीता है,ज्यादा खाने वाला जल्दी मरता है।  

                                      श्रीमति भुवनेश्वरी मालोत

4 टिप्‍पणियां:

रविकर ने कहा…

अनुभव कर के भूख का, उस गरीब को देख ।

दिन भर इक रोटी नहीं, मिटी हस्त आरेख ।।


दिनेश की टिप्पणी - आपका लिंक
http://dineshkidillagi.blogspot.in/

अजित गुप्ता का कोना ने कहा…

मुझे लगता है कि इंसान में खाने का लालच सबसे बड़ा होता है। हम तो उतना ही प्‍लेट में लेते हैं जितना खाना होता है।

रविकर ने कहा…

शुक्रवार के मंच पर, तव प्रस्तुति उत्कृष्ट ।

सादर आमंत्रित करूँ, तनिक डालिए दृष्ट ।।

charchamanch.blogspot.com

Dr. sandhya tiwari ने कहा…

aann ka samman karna hamari prampra hai lekin vastvikta kuch aur hi hoti hai