tag:blogger.com,1999:blog-1698062258639618592.post3630657752495539342..comments2024-02-10T00:26:10.275-08:00Comments on भारतीय नारी: स्त्री-सशक्तिकरण व स्त्री -पुरुष सम्बंध ..एक विवेचना---डा श्याम गुप्तShikha Kaushikhttp://www.blogger.com/profile/12226022322607540851noreply@blogger.comBlogger12125tag:blogger.com,1999:blog-1698062258639618592.post-34140864169676171162012-01-23T00:32:41.243-08:002012-01-23T00:32:41.243-08:00सटीक बात |
आभार ||सटीक बात |<br />आभार ||रविकर https://www.blogger.com/profile/00288028073010827898noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1698062258639618592.post-91906483745611831432012-01-21T09:57:03.693-08:002012-01-21T09:57:03.693-08:00---बहुत सच तथ्य को उजागर किया है अजित गुप्ता जी.....---बहुत सच तथ्य को उजागर किया है अजित गुप्ता जी..धन्यवाद...<br />----सच ही......"स्त्रियां जिस दिन अपना रोना बन्द कर देंगी उस दिन उसका मातृस्वरूप उभर आएगा।"..आभार...डा श्याम गुप्तhttps://www.blogger.com/profile/03850306803493942684noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1698062258639618592.post-87229639860608518852012-01-21T09:54:35.421-08:002012-01-21T09:54:35.421-08:00---अरे हुज़ूर कुछ सन्दर्भ भी तो देखा करो....वैसे यह...---अरे हुज़ूर कुछ सन्दर्भ भी तो देखा करो....वैसे यहां किस वेद मन्त्र में हमने सुख का जिक्र किया है? <br />--सुख और चरम सुख वह भी स्त्री का हक....सभी यहां असम्प्रक्त भाव हैं....डा श्याम गुप्तhttps://www.blogger.com/profile/03850306803493942684noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1698062258639618592.post-90066637261600828482012-01-21T09:25:44.967-08:002012-01-21T09:25:44.967-08:00भाई बीच के वेद मन्त्र में सुख का ज़िक्र आप ख़ुद ही ...भाई बीच के वेद मन्त्र में सुख का ज़िक्र आप ख़ुद ही तो कर रहे हैं.DR. ANWER JAMALhttps://www.blogger.com/profile/06580908383235507512noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1698062258639618592.post-36298391183559912642012-01-20T23:24:10.588-08:002012-01-20T23:24:10.588-08:00धन्यवाद शिखाजी एवं वीरू भाई जी.....धन्यवाद शिखाजी एवं वीरू भाई जी..... shyam guptahttps://www.blogger.com/profile/11911265893162938566noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1698062258639618592.post-44819605947192712522012-01-20T23:23:34.068-08:002012-01-20T23:23:34.068-08:00--अनवर ज़माल जी, ये बीच में चरम-सुख कहां से आगया......--अनवर ज़माल जी, ये बीच में चरम-सुख कहां से आगया....इस को निभाते निभाते हुए भी तो तमाम पुरुष, औरतों को पीटते-मारते-शोषण करते हैं।<br />---यहां बात प्रेम की भी नहीं है...बात समन्वय की, आपसी समझ व सौहार्दता की है ...<br />---बुराइयों के विरुद्ध संघर्ष तो हमेशा ही प्रशंसनीय है... shyam guptahttps://www.blogger.com/profile/11911265893162938566noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1698062258639618592.post-1819039654557009912012-01-20T23:19:30.560-08:002012-01-20T23:19:30.560-08:00सच कहा वन्दना जी...हर बात का कहना आसान होता है ..क...सच कहा वन्दना जी...हर बात का कहना आसान होता है ..करना कठिन...उसी को तो साधना कहते हैं....स्त्री-पुरुष सम्बन्ध निर्वाह किसी साधन से कम नहीं है.... shyam guptahttps://www.blogger.com/profile/11911265893162938566noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1698062258639618592.post-37037631941426635202012-01-20T20:39:46.274-08:002012-01-20T20:39:46.274-08:00स्त्रियों ने अपना रोना रोते रोते पुरुष ने स्वयं क...स्त्रियों ने अपना रोना रोते रोते पुरुष ने स्वयं को भगवान समझ लिया है और पितृसत्तात्मक व्यवस्था को बदलकर पुरुष प्रधान समाज कहना प्रारम्भ कर दिया है। जिससे पैदा होते ही पुरुष स्वयं को बड़ा मानने लगता है। स्त्रियां जिस दिन अपना रोना बन्द कर देंगी उस दिन उसका मातृस्वरूप उभर आएगा।अजित गुप्ता का कोनाhttps://www.blogger.com/profile/02729879703297154634noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1698062258639618592.post-59016532459190241692012-01-20T08:12:14.390-08:002012-01-20T08:12:14.390-08:00सटीक संक्षिप्त और सुन्दर सार तत्व समेटे जीवन का .सटीक संक्षिप्त और सुन्दर सार तत्व समेटे जीवन का .virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1698062258639618592.post-79877153223353505312012-01-20T06:29:12.199-08:002012-01-20T06:29:12.199-08:00आपने सटीक बात कही हैं .सार्थक आलेख हेतु हार्द...आपने सटीक बात कही हैं .सार्थक आलेख हेतु हार्दिक धन्यवाद .Shikha Kaushikhttps://www.blogger.com/profile/12226022322607540851noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1698062258639618592.post-20102992221609373102012-01-20T01:59:09.311-08:002012-01-20T01:59:09.311-08:00चरम सुख के शीर्ष पर औरत का प्राकृतिक अधिकार है और ...चरम सुख के शीर्ष पर औरत का प्राकृतिक अधिकार है और उसे यह उपलब्ध कराना<br />उसके पति की नैतिक और धार्मिक ज़िम्मेदारी है.<br />प्रेम को पवित्र होना चाहिए और प्रेम त्याग भी चाहता है.<br />अपने प्रेम को पवित्र बनाएं .<br />जिनके चलते बहुत सी लड़कियां और बहुत सी विधवाएं आज भी निकाह और विवाह से रह जाती हैं।<br />हम सब मिलकर ऐसी बुराईयों के खि़लाफ़ मिलकर संघर्ष करें.<br />आनंद बांटें और आनंद पाएं.<br />पवित्र प्रेम ही सारी समस्याओं का एकमात्र हल है.DR. ANWER JAMALhttps://www.blogger.com/profile/06580908383235507512noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1698062258639618592.post-76656952966275706512012-01-19T23:44:15.490-08:002012-01-19T23:44:15.490-08:00समानता के बारे मे कहना आसान है श्याम जी मगर सच मे ...समानता के बारे मे कहना आसान है श्याम जी मगर सच मे समानता कहाँ नसीब होती है ये शायद आप भी जानते हैं उसी के लिये तो ये आवाज़ें उठनी शुरु हुई हैं नही तो स्त्री की दयनीय स्थिति थी आज से कुछ साल पहले आप भी जानते ही हैं उसी सन्दर्भ मे स्त्री सश्क्तिकरण की बात होती है आज इसी संदर्भ मे मैने भी एक कविता लगायी है अपने ब्लोग पर अवसर मिले तो देखियेगा …http://vandana-zindagi.blogspot.comvandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.com