tag:blogger.com,1999:blog-1698062258639618592.post1025836653175645832..comments2024-02-10T00:26:10.275-08:00Comments on भारतीय नारी: आधुनिक- लिंग पुराण...व....कन्या-भ्रूण ह्त्या... डा श्याम गुप्त...Shikha Kaushikhttp://www.blogger.com/profile/12226022322607540851noreply@blogger.comBlogger12125tag:blogger.com,1999:blog-1698062258639618592.post-21754198289352993532012-06-13T01:25:33.181-07:002012-06-13T01:25:33.181-07:00धन्यावाद सुरेश जी व कैलाश जी ..सही कहा .. जानकारि...धन्यावाद सुरेश जी व कैलाश जी ..सही कहा .. जानकारियों को उपयोग रूप में प्रयोग किया जाय तो बात ही क्या ...डा श्याम गुप्तhttps://www.blogger.com/profile/03850306803493942684noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1698062258639618592.post-59743656557576506622012-06-13T01:23:51.355-07:002012-06-13T01:23:51.355-07:00धन्यवाद वीरूभाई ... आभार इतने ध्यान से पढने हेतु ....धन्यवाद वीरूभाई ... आभार इतने ध्यान से पढने हेतु ..<br />---फोनेटिक हिसाब से तो हमें 'चिन्ह' ही सही लगता है ...सत्य तो शायद कोई भाषाविद बात पाए |डा श्याम गुप्तhttps://www.blogger.com/profile/03850306803493942684noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1698062258639618592.post-20872671405519969342012-06-12T09:18:19.704-07:002012-06-12T09:18:19.704-07:00बहोत अच्छी जानकारी दी है आपने
हिन्दी दुनिया ब्लॉ...बहोत अच्छी जानकारी दी है आपने <br /><br /><a href="http://hindiduniablog.blogspot.in/" rel="nofollow">हिन्दी दुनिया ब्लॉग (नया ब्लॉग)</a>Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1698062258639618592.post-1566373964686798162012-06-12T06:55:14.275-07:002012-06-12T06:55:14.275-07:00bahut hi achhi jaankari.......
kash es jaankari ka...bahut hi achhi jaankari.......<br />kash es jaankari ka jayada se jayada log fayda uthaye....Suresh kumarhttps://www.blogger.com/profile/05489753526784353258noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1698062258639618592.post-40186193411682793112012-06-12T00:57:04.475-07:002012-06-12T00:57:04.475-07:00लिंग का मूल अर्थ किसी भी वस्तु..जीव ,जड़, जंगम ......लिंग का मूल अर्थ किसी भी वस्तु..जीव ,जड़, जंगम ...भाव आदि का चिन्ह या पहचान होता है |<br /><br /><br /> ६-आत्म-तत्व की लिंग-व्यवस्था ....<br /> आत्मा न नर है न नारी । वह एक दिव्य सत्ता भर है,समयानुसार, आवश्यकतानुसार वह तरह-तरह के रंग बिरंगे परिधान पहनती बदलती रहती है । यही लिंग व्यवस्था है । संस्कृत में 'आत्मा' शब्द नपुंसक लिंग है, इसका कारण यही है-आत्मा वस्तुतः लिंगातीत है । वह न स्त्री है, और न पुरुष ।<br /> ----प्रत्येक मनुष्य के भीतर उभयलिंगों का अस्तित्व विद्यमान रहता है । नारी के भीतर एक नर सत्ता भी होती हैं, इसी प्रकार हर नर के भीतर नारी की सूक्ष्म सत्ता विद्यमान होती है, इसे ऐनिमेसिस कहते हैं । प्रजनन अगों के गह्वर में विपरीत-लिंग का अस्तित्व भी होता है । नारी के स्तन विकसित रहते हैं, परन्तु नर में भी उनका अस्तित्व होता है ।<br />जी हाँ औरत की योनी में एक लिंग्नुमा संरचना होती है जिसे clitoris कहा जाता है .<br />डॉ साहब बहुत बढ़िया आलेख लिखा है आपने .अलिंगी आत्मा की बेहतरीन व्याख्या की है .virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1698062258639618592.post-36348088188113372062012-06-12T00:55:58.493-07:002012-06-12T00:55:58.493-07:00लिंग' का सामान्य अर्थ 'चिन्ह' होता है।...लिंग' का सामान्य अर्थ 'चिन्ह' होता है। "प्रणव तस्य लिंग ” उस ब्रह्म का चिन्ह प्रणव , ओंकार है ...अतः 'लिंग' का अर्थ 'पहचान चिह्न' से है,जो अज्ञात तत्त्व का परिचय देता है। यह पुराण प्रधान प्रकृति को ही लिंग रूप मानता है |<br />अब आप ही फैसला करें कौन सा रूप शुद्ध है -<br />'चिन्ह'या 'चिह्न' <br />हमारे हिसाब से चिह्न शुद्ध है .virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1698062258639618592.post-42285636636941236172012-06-12T00:54:43.806-07:002012-06-12T00:54:43.806-07:00लिंग का मूल अर्थ किसी भी वस्तु..जीव ,जड़, जंगम ......लिंग का मूल अर्थ किसी भी वस्तु..जीव ,जड़, जंगम ...भाव आदि का चिन्ह या पहचान होता है |<br /><br /><br /> ६-आत्म-तत्व की लिंग-व्यवस्था ....<br /> आत्मा न नर है न नारी । वह एक दिव्य सत्ता भर है,समयानुसार, आवश्यकतानुसार वह तरह-तरह के रंग बिरंगे परिधान पहनती बदलती रहती है । यही लिंग व्यवस्था है । संस्कृत में 'आत्मा' शब्द नपुंसक लिंग है, इसका कारण यही है-आत्मा वस्तुतः लिंगातीत है । वह न स्त्री है, और न पुरुष ।<br /> ----प्रत्येक मनुष्य के भीतर उभयलिंगों का अस्तित्व विद्यमान रहता है । नारी के भीतर एक नर सत्ता भी होती हैं, इसी प्रकार हर नर के भीतर नारी की सूक्ष्म सत्ता विद्यमान होती है, इसे ऐनिमेसिस कहते हैं । प्रजनन अगों के गह्वर में विपरीत-लिंग का अस्तित्व भी होता है । नारी के स्तन विकसित रहते हैं, परन्तु नर में भी उनका अस्तित्व होता है ।<br />जी हाँ औरत की योनी में एक लिंग्नुमा संरचना होती है जिसे clitoris कहा जाता है .<br />डॉ साहब बहुत बढ़िया आलेख लिखा है आपने .अलिंगी आत्मा की बेहतरीन व्याख्या की है .virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1698062258639618592.post-50873924660577938172012-06-12T00:35:14.052-07:002012-06-12T00:35:14.052-07:00इतिहास के झरोखे से बहुत बढ़िया व्याख्यात्मक पोस्ट ...इतिहास के झरोखे से बहुत बढ़िया व्याख्यात्मक पोस्ट .<br /> लिंग' का सामान्य अर्थ 'चिन्ह' होता है। "प्रणव तस्य लिंग ” उस ब्रह्म का चिन्ह प्रणव , ओंकार है ...अतः 'लिंग' का अर्थ 'पहचान चिह्न' से है,जो अज्ञात तत्त्व का परिचय देता है। यह पुराण प्रधान प्रकृति को ही लिंग रूप मानता है |<br />अब आप ही फैसला करें कौन सा रूप शुद्ध है -<br />'चिन्ह'या 'चिह्न' <br />हमारे हिसाब से चिह्न शुद्ध है .virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1698062258639618592.post-9017996096043465332012-06-11T22:57:14.481-07:002012-06-11T22:57:14.481-07:00धन्यवाद निशा जी व् शास्त्रीजी ....आभार ..धन्यवाद निशा जी व् शास्त्रीजी ....आभार ..डा श्याम गुप्तhttps://www.blogger.com/profile/03850306803493942684noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1698062258639618592.post-22884457915495198382012-06-11T22:56:21.306-07:002012-06-11T22:56:21.306-07:00धन्यवाद तिवारी जी --शुभ-शुभ .धन्यवाद तिवारी जी --शुभ-शुभ .डा श्याम गुप्तhttps://www.blogger.com/profile/03850306803493942684noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1698062258639618592.post-60417100070298280962012-06-11T19:23:54.780-07:002012-06-11T19:23:54.780-07:00बहुत ही अच्छी, सारगर्भित, तर्कपूर्ण रचना जिसका स्व...बहुत ही अच्छी, सारगर्भित, तर्कपूर्ण रचना जिसका स्वागत सभी राष्ट्रवादियों को करना चाहिए. बहुत - बहुत आभार उत्कृष्ट सृजन के लिए. अब तो आँखें खुल जानी चाहिए. देखे कितना प्रभावी होता है यह आलेख. मेरी शुभ कामनाएं साथ हैं.Dr.J.P.Tiwarihttps://www.blogger.com/profile/10480781530189981473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1698062258639618592.post-5833760719250698542012-06-11T04:55:50.436-07:002012-06-11T04:55:50.436-07:00waah acchi jankari...waah acchi jankari...Dr.NISHA MAHARANAhttps://www.blogger.com/profile/16006676794344187761noreply@blogger.com