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शुक्रवार, 8 मार्च 2019

भारतीय नारी ब्लॉग प्रतियोगिता - 6 का परिणाम

अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस की हार्दिक बधाई व शुभकामनाएँ.


भारतीय नारी ब्लॉग प्रतियोगिता - 6 में हमें अनेक प्रविष्टियां प्राप्त हुई हैं. सभी की नारी को लेकर भावनाओं व विचारों को सलाम. सभी को प्रदान की जा रही है साहित्यिक पुस्तकें पुरस्कार स्वरूप.
1 - आदर्श व्यक्तित्व वह होता है जो हमारे जीवन पर न केवल प्रभाव छोड़ता है वरन् हमारे जीवन को एक दिशा भी प्रदान करता है. मेरी आदर्श है भारतीय सेनाओं में शामिल होकर देश की रक्षा करने वाली वीरांगनायें. वे मुझे प्रेरणा प्रदान करती हैं. मुझे उन पर गर्व है - सुश्री सोनाक्षी गौड़, देहरादून.

2-हमारा भारतीय समाज पुरूष प्रधान समाज है. इसमें जब भी कोई स्त्री चौखट लांघकर बाहर निकलती है तब उसे परिवार के साथ समाज के विरोध का भी सामना करना पड़ता है. मेरी मौसी जी ने शादी के तीन साल बाद अपने अत्याचारी पति से तलाक लिया और अपने बल पर अपनी दो वर्षीय बेटी को उच्च शिक्षा दिलवाई. आज उनकी बेटी राजकीय इंटर कॉलेज में प्रवक्ता पद पर कार्यरत है और अपनी सफलता का श्रेय मौसी जी को देती है. वास्तव में मौसी जी उसकी ही नहीं, हम सभी की आदर्श नारी हैं. - डॉ सरोजिनी खन्ना, कुरूक्षेत्र, हरियाणा.

3-मां से बढ़कर हमारी लाइफ में कोई आदर्श नहीं होता है. मां असीम कष्टों को झेलकर हमें जन्म देती है, अपना सब सुख चैन हम पर न्यौछावर कर देती है. हम पर संकट आया हुआ देखकर वो भी अपने पर ले लेती है. मुझे भी मेरी मां से बढ़कर कोई और नारी आदर्श नहीं दिखाई देती है. मां ने बचपन से ही हमें सिखाया कि कभी किसी का दिल मत दुखाओ, किसी का मजाक मत उड़ाओ. वास्तव में मैं भगवान का शुक्रिया अदा करता हूँ कि उन्होंने मुझे इतनी अच्छी मां की कोख से मुझे जन्म दिलवाया. - डॉ राजेंद्र कुमार, ऋषिकोंडा, विशाखापत्तनम.

4-भारत की एकमात्र महिला प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी जी मेरी दृष्टि में सबसे आदर्श नारी हैं. बचपन में वानर सेना बनाकर देश की आजादी के आंदोलन में शामिल हुई इंदिरा गांधी ने कहा था कि - मेरे खून का एक एक कतरा देश के काम आयेगा और वास्तव में यह साबित भी हुआ. मैं उन्हें सादर नमन करती हूँ - सुश्री पूजा सिंघल, कल्याण नगर, मेरठ.

सभी प्रतिभागियों को भारतीय नारी ब्लॉग परिवार की ओर से हार्दिक बधाई व शुभकामनाएँ. 

गुरुवार, 7 मार्च 2019

नारी शक्ति को समर्पित गुरुवासरीय काव्य गोष्ठी संपन्न --डा श्याम गुप्त

नारी शक्ति को समर्पित

गुरुवासरीय काव्य गोष्ठी संपन्न 
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प्रत्येक माह के प्रथम गुरूवार को होने वाली गुरुवासरीय काव्यगोष्ठी दिनांक ७ मार्च २०१९ गुरूवार को डा श्यामगुप्त के आवास सुश्यानिदी, के-३४८, आशियाना , लखनऊ पर संपन्न हुई |
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डा श्यामगुप्त ने माँ सरस्वती वन्दना प्रस्तुत करते हुए पढ़ा---

हे मातु ! विद्या बुद्धि ज्ञान प्रीति गुण प्रदायकं|
अज्ञान अन्धकार त्रिविधि ताप शान्ति दायकं |
हों कथ्य तथ्य सत्य मातु असत भाव नाशकं |
स्वर हों समाज राष्ट्र हित, भजाम्यहं भजाम्यहं ||
------एवं शहीदों को नमन गीत भी प्रस्तुत किया---
हैं नमन भारत देश को है शौर्य जिसकी हवाओं में,
नमन है उन सैनिकों को देश का सम्मान रख्खा |
आज अपने शौर्य से सारे जगत में छागये,
चालीस के बदले चार सौ मार कर जो आगये ||
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-----प्रथम सत्र में साहित्यकारों का सम्मान भी किया गया | लखनऊ पुस्तक-मेला संयोजक श्री देवराज अरोड़ा को भी सम्मानित किया गया |
----- अनिल किशोर शुक्ल ने अपनी रचना में कहा---
सोच समझ कर हर दम बोलो,
शब्द ब्रह्म है इसको तोलो |
------उमेश चन्द्र श्रीवास्तव ने भोले शंकर की महिमा में गायन किया एवं श्रीमती पुष्पा गुप्ता ने दर्पण में अपनी परछाईं से बात करते हुए कहा—
अस्फुट निगाहें दर्पण से झांकीं
परछाईं हमारी हम से यूं पूछ बैठी |
------श्री रामप्रकाश राम ने सुन्दर छंदों में श्रीकृष्ण की छवि को प्रस्तुत किया प्रस्तुत किया—
अंग अंग भूषण विराजें साजे वनमाल,
कमल नयन कमनीय तन श्याम हैं |
-------श्रीमती विजय लक्ष्मी महक ने महिला-दिवस का झंडा उठाते हुए कहा—
महिला दिवस है यह महिला दिवस है |
न मर्जी से खा सकती न मर्जी से पी सकती<
क्योंकि महिला दिवस है महिला दिवस है |
------ श्री बिनोद कुमार सिन्हा जी ने मधुत्सव प्रस्तुत करते हुए कहा ---
हुआ आगाज प्रिय वसंत का,
पुलकित वसुंधरा हुई मगन,
कुसुमित पल्लवित वन उपवन |
----- श्रीमती मधु दीक्षित जी ने एक सुन्दर गीत रचना प्रस्तुत की----
विकल आँखों में कटी रजनी के आँचल को उठाकर,
जागते जो नव अरुण से, कौन हो तुम !
------ कविवर अखिलेश जी ने एक गीत प्रस्तुत किया---
जाने कितनी देर लगा दी तुमने आने में |
अब तो स्वांस स्वांस का चलना ख़तम खजाने में |
------- श्रीमती सुषमा गुप्ता ने महिला सशक्तीकरण गीत प्रस्तुत करते हुए गाया---
तुम पुरुष अहं के हो सुमेरु
मैं नारी आन की प्रतिमा हूँ |
तुम पुरुष दंभ के परिचायक,
मैं सहज मान की गरिमा हूँ |
------- साहित्यभूषण डा रंगनाथ मिश्र सत्य ने एक श्रृंगार गीत प्रस्तुत करते एक पत्नी की इच्छा को बताया—
अबकी चुनाव लड़ि जाव मोरे संइयाँ,
अबकी विधायक बनि जाव मोरे संइयाँ |
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संक्षिप्त जलपान एवं धन्यवाद ज्ञापन के उपरांत सभा को स्थगित किया गया |