सोमवार, 27 अक्टूबर 2014

''ऐसे ही'' -लघु कथा




ऑफिस  से लेट  नाइट  लौटे  बेटे  की चिंता  में घुलते  पिता ने पूछा -''इतनी देर  कैसे  हो गयी बेटा ? एक  फोन  तो कर  देते  !तबियत  तो ठीक है ना ? गाड़ी ख़राब  हो गयी थी क्या ?'' बेटा झुंझलाता हुआ बोला -ओफ्फो ..आप भी ना पापा ..अब मैं जवान हो गया हूँ ...बस ऐसे ही देर   हो गयी .'' बेटे की बात पर पिता ठहाका लगाकर हंस पड़े .अगले दिन बेटी को ऑफिस से लौटने में देर हुई तो पिता के दिमाग का पारा सांतवे आसमान पर पहुँच गया .बेटी के घर में घुसते ही पूछा -कहाँ गुलछर्रे उड़ाकर आ रही हो ..घड़ी में टाइम देखा है !किसके साथ लौटी हो ?'' पिता के पूछने के कड़क लहज़े से घबराई बेटी हकलाकर बोली -''पापा वो ऐसे ही ..''' बेटी के ये कहते ही उसके गाल पर   पिता ने जोरदार तमाचा जड़ दिया !

शिखा  कौशिक  'नूतन ' 

4 टिप्‍पणियां:

kavita verma ने कहा…

yahi yatharth hai ..

Unknown ने कहा…

कड़वा हैं मगर हनारे समाज का यही सत्य हैं

Rishabh Shukla ने कहा…

yahi hamare samaj ki sadiyo se chali aa rahi parampara hai. jisane purusho ko ucha stahn diya hai ab purush bhala is gandi parampara ko kyo badalenge. unaki sakh ka saval hai.

डा श्याम गुप्त ने कहा…

यह किसी के ऊंचे स्थान की बात नहीं है ....निश्चय ही लड़कों की बजाय लड़कियां अधिक असुरक्षित होती हैं अपनी प्राकृतिक शारीरिक बनावट के कारण.......परन्तु लड़कों से भी यही पूछा जाना चाहिए ..कहाँ गुलछर्रे उड़ा रहे थे....भले घरों में आज भी लड़कों का अधिक देर घर से बाहर रहना अच्छा नहीं माना जाता ....