मंगलवार, 30 जुलाई 2013

अधिकारी का हौंसला, तोड़े बारम्बार-

Durga Shakti Nagpal, a young woman IAS officer of 2010 batch has been shifted from Punjab care to Uttar Pradesh cadre on the ground of marriage to  Shri Abhishek Singh, IAS officer of 2011 batch of Uttar Pradesh Cadre.
(1)
दुर्गा पर भारी पड़े, शुतुरमुर्ग के अंड |
भस्मासुर को दे सकी, आज नहीं वह दंड |
आज नहीं वह दंड, नोयडा खाण्डव-वन है  |
कौरव का उत्पात, हारते पाण्डव जन हैं |
फिर अंधे धृतराष्ट्र, दुशासन बेढब गुर्गा |
   बदल पक्ष अखिलेश, हटाते आय एस दुर्गा-
(2)

 फलता है हर फैसला, फैला कारोबार |
अधिकारी का हौंसला, तोड़े बारम्बार |
तोड़े बारम्बार, शक्ति दुर्गा की तोड़े |
सच्चाई की हार, वोट कुछ दल ने जोड़े |
छलता सत्ता-असुर, सिंह रह गया उछलता |
हुवा फेल अखिलेश, छुपाता सतत विफलता |

सोमवार, 29 जुलाई 2013

बुआ -कहानी

 बुआ -कहानी 
Indian beautiful female doctor Stock Photos
बुआ -कहानी 

बुआ के  साथ रहने का अलग ही आकर्षण था .कहाँ शहर का कोलाहल भरा वातावरण और कहाँ बुआ के गाँव में चारों ओर शांत -सुहाना वातावरण .वैसे तो हम चारों भाई -बहनों को बुआ समान रूप से स्नेह करती क्योंकि हम उनके एकलौते भाई की संतान थे पर मुझ पर बुआ का विशेष स्नेह था क्योंकि मैं सब भाई बहनों में सबसे छोटा था .बुआ ने समाज सेवा का व्रत लिया था इसीलिए एम्.बी.बी.एस. करते ही गाँव  में अपना क्लिनिक खोला था ..पिता जी के तगड़े विरोध के बावजूद .विवाह के लिए भी वे तैयार नहीं हुई थी ...पर ये सब मुद्दे मेरे लिए कोई मायने नहीं रखते थे क्योंकि मुझे तो माँ से भी बढ़कर बुआ अच्छी लगती थी .बुआ को जब भी फुर्सत मिलती तब शहर हमारे पास अवश्य आती .पिता जी से कम बात होती और हमारे साथ खेलने में ज्यादा मगन रहती .जब भी आती मंजू दीदी व् प्रीती दीदी के लिए उनकी रुचि की चीज़ें लाती और पिंटू भैय्या व् मेरे लिए ढेर सारे खिलौने .मेरे लिए मेरी पसंद की चौकलेट व् टॉफी लाना भी बुआ कभी नहीं भूलती थी .धीरे-धीरे बड़े होते हुए मैंने भी बुआ की तरह डॉक्टर बनने का निश्चय किया .बुआ के मार्गदर्शन से मैंने हर बार अच्छे अंको से हर परीक्षा उत्तीर्ण की . एम्.बी.बी.एस. कर लेने के बाद मेरे सामने धर्म-संकट खड़ा हो गया .बुआ की इच्छा से मैं भली-भांति परिचित   था कि मैं गाँव उनके पास रहकर उनके क्लिनिक  को ज्वाइन करूँ पर घर की  आर्थिक  स्थिति व् जवान हुई बहनों के विवाह की  चिंता के कारण मेरा लक्ष्य अधिक से अधिक धन कमाकर पिता जी को सहारा देना बन गया था .बुआ से सलाह व् समर्थन लेना चाहता था . लेकिन पिता जी ने पहले ही फैसला सुना दिया और कड़े स्वर में कहा -'' दिनेश मैंने तुम्हारे लिए क्लिनिक का इंतजाम यही शहर में कर दिया है ..यही रहो और उन्नति करो .''बुआ पिता जी के इस निर्णय से बहुत नाराज़ हुई क्योंकि इसके बाद उनका हमारे पास आना-जाना लगभग बंद हो गया और फोन द्वारा  भी संपर्क टूट गया .पिंटू भैय्या ने रेडीमेट गारमेंट्स की  दुकान कर ली थी और मैंने चिकित्सा की .हाँ ! यही लगा था मुझे बुआ के अनुसार गाँव न जाकर शहर में क्लिनिक पर पहली बार जाते हुए .जैसी की पिता जी को उम्मीद थी मैं उतनी ज्यादा कमाई इस पेशे से नहीं कर पाता था क्योंकि मैं अपने मरीजों को लूट नहीं सकता था .मंजू दीदी व् प्रीती दीदी की  शादी में भी बुआ नहीं आई .दोनों बार मनी ऑडर द्वारा शुभकामनायें प्रेषित कर दी .पिता जी भी अपने जिद्दी स्वभाव के कारण उन्हें मनाने नहीं गए गाँव . मैं भी इतना व्यस्त रहता था कि बुआ के पास जाने के लिए समय नहीं निकाल पाता था ...सच कहूं तो उनके पास जाने की  हिम्मत ही नहीं थी .पिंटू भैय्या के विवाह के अवसर पर मैंने डायरी से बुआ का पोस्टल एड्रेस निकाल कर विशेष आग्रह के साथ ''जरूर आना है '' की  विनती भरी चिट्ठी लिखी .चिट्ठी का जवाब तो आया लेकिन पिंटू  भैय्या की  शादी हो जाने के बाद .बुआ ने लिखा कि वे व्यस्त रहती हैं अत: आ नहीं पाती .मैं जानता था उनकी व्यस्तता  .मैंने  निश्चय किया कि इस रविवार को बुआ के पास जरूर जाऊंगा .पिता जी भी चाहते थे कि बुआ की  नाराज़गी दूर हो जाये .मैं रविवार को सुबह साढ़े छह बजे की  बस पकड़कर उनके गाँव के लिए रवाना हो लिया .रास्ते भर बस यही सोचता रहा कि बुआ क्या अब भी उतने प्यार से मुझसे मिलेगी जबकि मैंने उनका दिल तोडा है ? उन्होंने  मुझे डॉक्टर बनाने के लए कितनी भाग-दौड़ की और मैंने डॉक्टर बनते ही उनके सपने चकनाचूर कर दिए .कितनी उत्साहित थी वे मेरे डॉक्टरी की  ओर बढ़ते क़दमों को देखकर .उत्साहित होकर कहती -'' अब मेरी क्लिनिक में एक और काबिल डॉक्टर आ जायेगा .कितनी ही अनमोल जान बचाई जा सकेगी जो यहाँ चिकित्सकों की कमी के कारण चली जाती हैं .''पूरे साढ़े तीन साल हो गए थे बुआ से ना मिले .बस रुकी , मैंने अपना बैग कंधें पर  टांगा  व्  ब्रीफकेस  उठाकर बुआ के  क्लिनिक की ओर चल दिया क्योंकि मैं जानता था कि वे वही होंगी .रास्ता मेरा जाना-पहचाना था .हजारो बार बुआ के साथ उनके क्लिनिक पर गया था मैं .बुआ के क्लिनिक पर पर पहुँचते ही पाया कि ये अब तक वैसा का वैसा ही है .बुआ मुझे देखते ही खड़ी हो गयी और विस्मित होकर बोली -'' अरे ....दिनेश तुम ?'' मैंने आगे बढ़कर चरण स्पर्श करते हुए कहा -'' बुआ दिनेश कहकर पराया मत करो मैं तो आपका गुड्डू हूँ ...वही छोटा सा गुड्डू .'' बुआ की आँख भर आई आंसू पोछते हुए बोली -'' हाँ हाँ ..मेरा गुड्डू !! '' वे मुझे घर ले गयी .फ्रेश होने के बाद मैंने बुआ से पूछा -'' बुआ अब भी नाराज़ हो मुझसे ?'' बुआ मुस्कुराई और बोली -'' अरे अपने बच्चों से कोई नाराज़ होता है ?..लेकिन हाँ  मैंने तुम्हे इसलिए डॉक्टर नहीं बनाया था कि तुम  इसे एक व्यवसाय बनाओ ...मैं चाहती थी तुम मेरे इस क्लिनिक को संभालो और इस पेशे को पूजा का सम्मान दो .मेरे इस क्लिनिक से भी इतना पैसा तो मेरे पास आ ही जाता है जिससे मैं ठीक से खा-पहन सकूं और सेवा कार्य भी कर सकूं .लेकिन तुमने भैय्या की .....चलो वैसे भी मेरा कौन सा अधिकार है तुम पर जो तुम मेरे कहे अनुसार चलते ?''मैं भावुक हो उठा और बोल -'' बुआ ..प्लीज़ ऐसा मत कहो .मैं इस बार जाकर पिता जी से साफ कह दूंगा कि मुझे आपके पास यही रहकर सेवा कार्य करना है .'' बुआ ने मुझे गले से लगा लिया .शहर पहुंचकर मैंने पिता जी को अपना निश्चय सुना दिया और यह भी बता दिया कि मैं और अपनी आत्मा के साथ धोखा नहीं कर सकता .पिता जी शायद बुआ के अहसानों के कारण इस बार ना नहीं कर पाए .अब जब बुआ इस दुनिया में नहीं हैं तब उनके क्लिनिक में बैठा हुआ मैं अक्सर सोचा करता हूँ कि मैंने वो निर्णय लेकर कितना सही कदम उठाया था .

शिखा कौशिक 'नूतन '

शनिवार, 27 जुलाई 2013

बेग़म ग़म मत देना ,

Indian_bride : Image of a gorgeous Indian bride and groom traditionally dressed
बेग़म ग़म मत देना
do not copy 

दिल बहलाने को लाया हूँ बेग़म ग़म मत देना ,
खिदमत करवाने लाया हूँ बेग़म ग़म मत देना !
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सजने और सँवरने  की है बेग़म तुम्हें आजादी ,
खुली जुबान पर गुर्राया हूँ बेग़म ग़म मत देना !
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नज़रों के तुम तीर चलाकर कर लो मुझको घायल ,
देख बगावत घबराया हूँ बेग़म ग़म मत देना !
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फ़र्ज़ निभाओ मगर कभी तुम हक़ की बात न करना ,
तानाशाह बन  इतराया  हूँ बेग़म ग़म मत देना !
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'नूतन' औरत की किस्मत में सारे ग़म पी जाना ,
कई दफा ये फ़रमाया हूँ बेग़म ग़म मत देना !!

शिखा कौशिक 'नूतन'

भारतीय नारी ब्लॉग प्रतियोगिता-3 प्रथम प्रविष्टि [नीतू राठौर ]

   मेरा घर 
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Indian_bride : Slim beautiful woman wearing luxurious wedding dress over white studio background
कहते है  घर गृहणी का होता है 
लेकिन यह सच नहीं है 
घर में रहने वालो से पूछो 
घर किसका होता  है .
घर होता है दादा का,पापा का,
बेटे का,और उसके बेटे का 
सदियों से यही चला आ रहा है 
घर ना बेटी का होता है ,न ही बहू  का 
बेटी को तो बचपन से ही सिखाया जाता है 
ये घर तेरा नहीं है 
तुम्हे अभी अपने घर जाना है (ससुराल )
बेटी बेचारी अपने घर के सपने सँजोए 
मन उलझाये ही रहती है 
फिर एक दिन जब वो अपने घर चली जाती है 
अपने - अपनों के जाल में फँसकर 
हर चीज को तरस जाती है 
मन को यही दुविधा सताती है 
पता नहीं इस अपने कहे जाने वाले घर से 
जाने कब निकाली जा सकती है .
वह बेचारी भोली सी,नादान सी,
समझ ही नहीं पाती कि ... घर भी कभी 
किसी औरत का हुआ है जो अब होगा .
घर औरत से बनता है ,सजता है,
औरत ही घर की जननी है 
लेकिन यह बनाना बिगाड़ना पुरूष ही करता है 
क्योकि अपना देश तो पुरूष प्रधान देश है .
यहाँ औरत स्वतन्त्रता के नाम पर 
खुले आसमान के नीचे 
बन्धनों की चाहर -दिवारी से कैद है 
लेकिन फिर भी नकारात्मक सच है 
कि .......घर गृहणी का ही होता हे. 
                           नीतू राठौर 
                       **********************

शुक्रवार, 26 जुलाई 2013

भारतीय मीडिया इतना दकियानूसी क्यों है ?

            Priyanka Gandhi Wedding Photos  

 भारतीय मीडिया आज अपने को कितना ही आधुनिक प्रदर्शित करने का ढोंग रचे पर उसके व्यवहार से  पितृ -सत्तात्मक  समाज की सड़ी-गली सोच के दर्शन होते ही रहते है  . किसी भी चर्चित महिला के विवाह करते ही उसे पति के सरनेम से विभूषित करने में हमारा मीडिया चूकता नहीं है . वो प्रियंका गाँधी को विवाह से पूर्व ही प्रियंका वाड्रा लिखकर अपने अपडेट होने का प्रमाण प्रस्तुत करता है तो ऐश्वर्या राय को ऐश्वर्या राय बच्चन लिखने में गर्व महसूस करता है . आखिर हमारे मीडिया को इतना दकियानूसी होने की क्या जरूरत है ? ये और अन्य सभी चर्चित महिलाओं का अपना वजूद है ..अपने नाम से पहचान है फिर विवाह होते ही पति के कुल का सरनेम का पट्टा पहनाने को हमारा मीडिया क्यों इतना उत्सुक रहता है .ये समझ से परे है . ....और हां सैफ व् करीना के मामले में तो ये इतना बढ़ गया की दोनों का नाम ही मिलाकर ''सैफीना ''  कर दिया ...वाह भाई वाह ...भारतीय मीडिया !!! देखिये कमाल -



Priyanka Gandhi Marriage Photos - TimePass69.Com

Priyanka Vadra - Wikipedia, the free encyclopedia

Aishwarya Rai Pictures : Aishwarya Rai : Free Download ...

Aishwarya Rai Bachchan Photos, Download Aishwarya Rai - 

क्या वास्तव  में इस सब की कोई जरूरत है ?

शिखा कौशिक 'नूतन' 

मंगलवार, 23 जुलाई 2013

भावुकता स्नेहिल ह्रदय ,दुर्बलता न नारी की ,

The Brave Women of India21-Year-Old Shreya...
भावुकता स्नेहिल ह्रदय ,दुर्बलता न नारी की ,
संतोषी मन सहनशीलता, हिम्मत है हर नारी की .
.......................................................................
भावुक मन से गृहस्थ धर्म की , नींव वही जमाये है ,
पत्थर दिल को कोमल करना ,नहीं है मुश्किल नारी की.
..................................................................................
होती है हर कली पल्लवित ,उसके आँचल के दूध से ,
ईश्वर के भी करे बराबर ,यह पदवी हर नारी की .
...................................................................................
जितने भी इस पुरुष धरा पर ,जन्मे उसकी कोख से ,
उनकी स्मृति दुरुस्त कराना ,कोशिश है हर नारी की .
.........................................................................
प्रेम प्यार की परिभाषा को ,गलत रूप में ढाल रहे ,
सही समझ दे राह दिखाना ,यही मलाहत नारी की .
...............................................................................
भटके न वह मुझे देखकर ,भटके न संतान मेरी ,
जीवन की हर कठिन डगर पर ,इसी में मेहनत नारी की .
................................................................................
मर्यादित जीवन की चाहत ,मर्म है जिसके जीवन का ,
इसीलिए पिंजरे के पंछी से ,तुलना हर नारी की .
..........................................................................
बेहतर हो पुरुषों का जीवन ,मेरे से जो यहाँ जुड़े ,
यही कहानी कहती है ,यहाँ शहादत नारी की .
...................................................................
अभिव्यक्त क्या करे ''शालिनी ''महिमा उसकी दिव्यता की ,
कैसे माने कमतर शक्ति ,हर महिका सम नारी की .
...................................................................................
                      शालिनी कौशिक 
                               [कौशल ]

शब्दार्थ -मलाहत-सौंदर्य 
                                     

भारतीय नारी ब्लॉग की दूसरी वर्षगांठ-मेरी ओर से हार्दिक धन्यवाद !

Wallpaper: Happy Birthday 65


भारतीय नारी ब्लॉग की दूसरी वर्षगांठ पर सभी सम्मानित योगदानकर्ताओं ,पाठकों को मेरी ओर से हार्दिक धन्यवाद !

John Lennon
“Imagine there's no countries
It isn't hard to do
Nothing to kill or die for
And no religion too
Imagine all the people
Living life in peace

You may say that I'm a dreamer
But I'm not the only one
I hope someday you'll join us
And the world will be as one”
― John LennonImagine


 ' शिखा कौशिक 'नूतन '

सोमवार, 22 जुलाई 2013

दामिनी गैंगरेप का त्वरित न्याय कहाँ ?

दामिनी गैंगरेप का त्वरित न्याय कहाँ ?
 
[अमर उजाला हिंदी दैनिक से साभार ]

धारा ३७६-२ -छ , भा० दंड संहिता कहती है ''कि जो कोई सामूहिक बलात्संग करेगा वह कठोर कारावास से ,जिसकी अवधि दस वर्ष से कम नहीं होगी ,किन्तु जो आजीवन हो सकेगी और जुर्माने से भी दंडनीय होगा और इसी धारा के मद्देनज़र मध्य प्रदेश के दतिया जिले की विशेष अदालत ने ३९ वर्षीय स्विस महिला के साथ हुए बलात्कार के मामले में छह दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई है .
        बलात्संग या बलात्कार धारा ३७६ भा.दंड.सहिंता  के अंतर्गत दंडनीय है और सेशन न्यायालय द्वारा विचारणीय है .जिसकी प्रक्रिया दंड प्रक्रिया सहिंता की धारा २२५ से २३७ तक दी गयी है .
धारा २२५ में विचारण का सञ्चालन लोक अभियोजक द्वारा किया जाता है .धारा २२६ में अभियोजक अपने मामले का कथन अभियुक्त के खिलाफ लगाये गए आरोपों के बारे में  और यह बताते हुए आरम्भ करेगा कि वह अभियुक्त को किस साक्ष्य से अभियुक्त साबित करेगा .धारा २२७ में यदि सेशन जज को यह लगे कि अभियुक्त के विरुद्ध कार्यवाही का पर्याप्त आधार नहीं है तो वह उसे उन्मोचित कर देगा जिसका मतलब मात्र सबूतों का न होना है दोष मुक्ति नहीं ,किन्तु यदि न्यायाधीश को यह लगे कि अभियुक्त को अपराधी मानने के आधार हैं तो धारा २२८ में उस पर आरोप लगाये जाते हैं और अभियुक्त से पूछा जाता है कि वह आरोप स्वीकार करता है या विचारण किये जाने का दावा करता है . और यदि अभियुक्त दोष स्वीकार करता है तो धारा २२९ में उसकी दोषसिद्धि की जाती है किन्तु यदि वह नहीं मानता या विचारण किये जाने का दावा करता है तो धारा २३० में अभियोजन को साक्ष्य प्रस्तुत करने की तारीख नियत की जाती है फिर धारा २३१ में अभियोजन से साक्ष्य लिया जाता है .यदि साक्ष्य लेने ,अभियुक्त की परीक्षा ,प्रतिरक्षा सुनने के पश्चात् यदि न्यायाधीश को लगे कि अभियुक्त के अपराध का साक्ष्य नहीं है तो उसे दोषमुक्त करेगा किन्तु जहाँ ऐसा नहीं हो वहां धारा २३३ में अभियुक्त से प्रतिरक्षा आरम्भ करने की अपेक्षा की जाएगी फिर धारा २३४ में दोष मुक्ति या दोषसिद्धि का निर्णय दिया जायेगा .
इतनी लम्बी प्रकिया से गुजरने के बाद स्विस महिला से गैंगरेप के मामले में तो न्यायाधीश का निर्णय आ गया किन्तु दामिनी गैंगरेप कांड जो कि इससे ३ महीने पहले १६ दिसंबर २०१२ को हुआ जिसमे पीड़िता असहनीय पीड़ा झेलकर मौत का शिकार हो गयी और जिसमे दामिनी के दोस्त द्वारा सभी आरोपियों की शिनाख्त यहीं कर ली गयी जबकि स्विस महिला से हुए गैंगरेप में यह सब वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से किया गया मतलब एक और लम्बी प्रक्रिया और तब भी अपराधियों को सजा मिल गयी और दामिनी कर रही है आज भी न्याय की प्रतीक्षा ................
 क्या इसके पीछे राज्य राज्य का अंतर माना जाये या देशी विदेशी का और यहाँ देशी-विदेशी का अंतर ज्यादा प्रभावी नज़र आ रहा है .विदेश में अपनी न्यायप्रिय ,मजबूत लोकतंत्र की छवि ही यहाँ हावी नज़र आ रही है और स्विस महिला इसी कारण दामिनी से पहले न्याय पा गयी .इसी कारण अब यह कहना पड़ेगा ''कि भगवान् के घर देर है अंधेर नहीं ''दामिनी के एक अपराधी को सजा वे दे चुके हैं बाकी को भी शायद  वे ही सजा देंगे अव्यवस्थाओं से बंधी न्याय प्रक्रिया नहीं .
                 शालिनी कौशिक 


रविवार, 21 जुलाई 2013

'लडकियाँ लडको से पहले बड़ी हो जाती है .''-SHORT STORY

Cute Kids in Children\'s Costumes


''ए ...अदिति ...कहाँ चली तू ? ढंग से चला -फिरा कर ...बारहवे साल में लग चुकी है तू ...ये ही ढंग रहे तो तुझे ब्याहना मुश्किल हो जायेगा .कूदने -फांदने की उम्र नहीं है तेरी !..अब बड़ी हो गई तू .'' दादी के टोकते ही अदिति उदास होकर वापस घर के अन्दर चली गई .तभी अदिति की मम्मी उसके भाई सोनू  के साथ बाज़ार से शॉपिंग कर लौट आई . सोनू ने आते ही पानी पीने के लिए  काँच का गिलास उठाया और हवा में उछालने लगा .ठीक से लपक न पाने के कारण गिलास फर्श पर गिरा और चकनाचूर हो गया .सोनू पर नाराज़ होती हुई उसकी मम्मी बोली -'' कितना बड़ा हो गया पर अक्ल नहीं आई !'' दादी बीच में ही टोकते हुए बोली -'' ...अरे चुप कर बहू ...एक ही तो बेटा जना है तूने ...उसकी कुछ कदर कर लिया कर ....अभी सत्रहवे में ही तो लगा है ...खेलने -कूदने के दिन है इसके ..अदिति को आवाज़ लगा दे झाड़ू से बुहारकर साफ कर देगी यहाँ से काँच .'' कमरे की चौखट पर खड़ी अदिति दादी की ये बात सुनकर बस इतना ही समझ पाई कि ''लडकियाँ लडको से पहले बड़ी हो जाती है .''
शिखा कौशिक 'नूतन'

बुधवार, 17 जुलाई 2013

I COULD NOT LEAVE MY FREEDOM TRACK

                                                                            I COULD NOT LEAVE 
MY FREEDOM TRACK


CUT OF MY HEAD 
OR PUT TO DEATH 
BUT I COULD NOT LEAVE 
MY FREEDOM TRACK .

NONE IS SUPERIOR 
& NONE IS INFERIOR 
BUT YOU DON'T UNDERSTAND 
LIKE A HARD NUT TO CRACK .

I AM YOUR BETTER HALF 
YOU ARE MY LIFE 
WE HAVE DIFFERENT TALENTS 
SO DON'T KEEP YOURSELF IN DARK .

SHIKHA KAUSHIK 'NUTAN'


रविवार, 14 जुलाई 2013

यदि तुम मुझसे सच्चा प्रेम करते हो [IF YOU REALLY LOVE ME ]

special love vector
IF YOU REALLY LOVE ME

DO NOT SAY ME BEAUTIFUL      मुझे सुन्दर मत कहो 
IF YOU REALLY LOVE ME           यदि तुम मुझसे सच्चा प्रेम करते हो 
BECAUSE IT MEANS                    क्योंकि इसका तात्पर्य यह हुआ कि 
YOU LOVE MY BEAUTY                तुम मेरी सुन्दरता से प्रेम करते हो !


DO NOT SAY ME FAIRY                        मुझे परी  मत कहो 
IF YOU REALLY LOVE ME                    यदि तुम मुझसे सच्चा प्रेम करते हो 
BECAUSE IT MEANS YOU                      क्योंकि इसका तात्पर्य यह हुआ कि 
COMPARE ME WITH SOMEONE ELSE    तुम मेरी तुलना किसी अन्य  से कर रहे हो !

DO NOT SAY ME LUCKY                            मुझे भाग्यशाली  मत कहो 
IF YOU REALLY LOVE ME                           यदि तुम मुझसे सच्चा प्रेम करते हो 
BECAUSE IT MEANS                                       क्योंकि इसका तात्पर्य यह हुआ कि 
YOU LOVE MY LUCK                                     तुम मेरे भाग्य से प्रेम करते हो !

YOU MUST SAY THREE WORDS              तुम केवल तीन शब्द कहो 
IF YOU REALLY LOVE ME                        यदि तुम मुझसे सच्चा प्रेम करते हो 
''YOU ARE YOU ''                                            ''तुम केवल तुम '' हो 
NOTHING ELSE !!                                        और कुछ नहीं  !!

SHIKHA KAUSHIK 'NUTAN'

शनिवार, 13 जुलाई 2013

पावस गीत ---क्या हो गया....डा श्याम गुप्त......

पावस गीत ---क्या हो गया..

इस प्रीति की बरसात में ,
भीगा हुआ तन मन मेरा |
कैसे कहें, क्या होगया,
क्या ना हुआ, कैसे कहें ||

चिटखीं हैं कलियाँ कुञ्ज में ,
फूलों से महका आशियाँ |
मन का पखेरू उड़ चला,
नव गगन पंख पसार कर ||

इस प्रीति स्वर के सुखद से,
स्पर्श मन के गहन तल में |
छेड़  वंसी के स्वरों को,
सुर लय बने उर में बहे ||

बस गए हैं  हृदय-तल  में,
बन, छंद बृहद साम के |
रच-बस गए हैं प्राण में
बन करके अनहद नाद से ||

कुछ न अब कह पांयगे,
सब भाव मन के खोगये |
शब्द, स्वर, रस, छंद सारे-
सब तुम्हारे ही  होगये ||

अब हम कहैं या तुम कहो,
कुछ कहैं या कुछ ना कहैं |
प्रश्न उत्तर भाव सारे,
प्रीति रस में ही खोगये ||
 

शुक्रवार, 12 जुलाई 2013

तोल तराजू इस दुनिया में औरत बेचीं जाती है

Indian_bride : Portrait of young beautiful  woman in traditional indian costume
do not copy 

तोल तराजू  इस  दुनिया  में औरत बेचीं जाती है ,
आग लगे सारी  दुनिया में औरत बेचीजाती है !

गोरी- काली,लंगड़ी -लूली ,लम्बी- छोटी कैसी भी ,
तय कीमत पर बाज़ारों में औरत  बेची जाती है !

हाय गरीबी तेरे कारण बापों ने बेची बिटिया  ,
उस ही घर में जलता चूल्हा जिसमे औरत बेची जाती है !

नेता अभिनेता व्यापारी सब को होता सप्लाई ,
माल बनाकर कोठी बंगलों में औरत बेची जाती है !

डूब मरे 'नूतन' चुल्लू भर पानी में वे मर्द सभी ,
जिनके रहते इस दुनिया में औरत बेची जाती है !


शिखा कौशिक  'नूतन' 

गुरुवार, 11 जुलाई 2013

ऐसी सुहागन से विधवा ही भली .'' -लघु- कथा

ऐसी सुहागन से विधवा  ही  भली .'' -लघु- कथा  
Poverty Woes Royalty Free Stock Photography
google se sabhar 

पति के शव के पास बैठी ,मैली धोती के पल्लू से मुंह ढककर ,छाती पीटती ,गला  फाड़कर चिल्लाती सुमन को बस्ती की अन्य महिलाएं ढाढस  बंधा रही थी  पल्लू के भीतर  सुमन की आँखों से एक  भी  आंसू  नहीं  बह  रहा था  और  उसका दिल  कह  रहा था  -''अच्छा   हुआ हरामजादा ट्रक  के नीचे  कुचलकर मारा  गया  . मैं  मर  मर  कर  घर  घर  काम करके  कमाकर   लाती   और  ये   सूअर   की औलाद  शराब में  उड़ा   देता .मैं  रोकती  तो  लातों -घूसों से  इतनी   कुटाई   करता   कि हड्डी- हड्डी  टीसने  लगती  . जब चाहता  बदन नोचने    लग  जाता  और अब  तो जवान  होती  बेटी  पर भी ख़राब  नज़र  रखने  लगा  था  .कुत्ता  कहीं  का  ....ठीक  टाइम  से  निपट  गया  .ऐसी  सुहागन  से  तो मैं विधवा  ही  भली .'' सुमन  मन  में ये सब सोच  ही  रही  थी  कि  आस  पास  के मर्द  उसके  पति  की  अर्थी  उठाने  लगे  तो सुमन  बेसुध  होकर बड़बड़ाने लगी -  ''   हाय ...इब मैं किसके लिए सजूँ सवरूंगी ......हाय मुझे भी ले चलो ..मैं भी इनकी चिता पर जल मरूंगी ....'' ये कहते कहते वो उठने लगी तो इकठ्ठी  हुई महिलाओं ने उसे कस कर पकड़ लिया .उसने चूड़ी पहनी कलाई ज़मीन पर दे मारी
सारी चूड़ियाँ चकनाचूर हो गयी और सुमन  दिल ही दिल में सुकून   की साँस लेते हुए बोली  -'' तावली ले जाकर फूंक दो इसे ...और बर्दाश्त नहीं कर सकती मैं .''

शिखा कौशिक 'नूतन' 

बुधवार, 10 जुलाई 2013

कथनी और करनी....डा श्याम गुप्त ....



कथनी और करनी....
कह रहे हैं हम सभी विविध बातें,
हाँ हाँ भी कह रहे हैं,
और ..
भोग भी करते जारहे हैं हम सभी इसका|
कौन नहीं कर रहा उपयोग -
मार्बल, ग्रेनाईट, बहुमूल्य लकड़ी का
घर सजाने हेतु,
भूजल का दोहन, कार धोने हेतु ;
और कौन नहीं कर रहा उपयोग-
पर्यटन की सुख-सुविधाओं का ,
प्रकृति के विनाश के कारखानों, कृतित्वों में
सेवा करके धन कमाने का|
कौन नहीं कर रहा उपयोग-
प्लास्टिक, इलेक्ट्रोनिक उपकरण का
जो कारण हैं अंधाधुंध प्रकृति-दोहन के |  
इसे कहते हैं
कथनी और
करनी और ......
मैं तो करूं,पर-
तू यह न कर |
             

मंगलवार, 9 जुलाई 2013

घिनौनी सोच -लघु कथा

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घिनौनी सोच -लघु कथा
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आज  हिंदी की अध्यपिका माधुरी  मैडम स्कूल नहीं आई तो सांतवी की छात्राओं को तीसरे वादन में बातें बनाने  के लिए खाली समय मिल गया .दिव्या सुमन के कान के पास अपना मुंह लाकर धीरे से बोली -'' जानती  है ये जो बिलकुल तेरे बराबर में बैठी हैं ना मीता ...   ..इसकी   मम्मी    हमारे   यहाँ   पखाना   साफ़   करती  हैं .छि: मुझे  तो घिन्न आती है इससे !'' सुमन उसकी  बात  सुनकर  एकाएक  खड़ी  हुई  और  उसका  हाथ  पकड़कर  उसे  कक्षा  से बहार  खींच  कर  बरामदे  में ले  आई और गुस्सा होते हुए बोली - ''कभी खुद किया है पाखाना साफ ? कितना कठिन काम है और जो तुम्हारी गंदगी साफ कर तुम्हे सफाई  में रखता है उससे घिन्न आती है तुम्हे ? सच कहूँ मुझे तुम्हारे विचारों से घिन्न आ रही है .ईट- पत्थर से बना पाखाना तो चलो मीता की मम्मी साफ कर जाती है पर ये जो तुम्हारे दिमाग में बसी गंदगी है इसे कोई साफ नहीं कर सकता .आज से मैं तुम्हारे पास कक्षा में नहीं बैठूँगी !'' ये कहकर सुमन अपनी सीट पलटने के लिए कक्षा में भीतर चली गयी .

शिखा कौशिक 'नूतन '

सोमवार, 8 जुलाई 2013

'भारतीय नारी '' ब्लॉग प्रतियोगिता -3

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''भारतीय नारी '' ब्लॉग प्रतियोगिता -3

एक नारी होकर आपने कैसे किया पुरुष समाज का सामना ?क्या आप दे पाई किसी कुप्रथा को चुनौती  ?और यदि आप हैं पुरुष तो आपने कैसे दिया किसी नारी का साथ किसी कुप्रथा से लड़ने में ? दो सौ शब्दों की सीमा में लिख दीजिये अपना संस्मरण .यही है -''भारतीय नारी '' ब्लॉग प्रतियोगिता -3

    नियम व् शर्ते
*अपनी प्रविष्टि  केवल इस इ मेल पर प्रेषित करें [shikhakaushik666@hotmail.com].अन्यत्र प्रेषित प्रविष्टि प्रतियोगिता का हिस्सा न बन सकेंगी .प्रविष्टि  के साथ अपना पूरा पता सही सही भेंजे .
* प्रतियोगिता आयोजक का निर्णय ही अंतिम माना जायेगा .इसे किसी भी रूप में चुनौती नहीं दी जा सकेगी .
*प्रतियोगिता किसी भी समय ,बिना कोई कारण बताये  रद्द की जा सकती है .
* विजेता को ''चन्दन का सौरभ '' पुस्तक  की एक प्रति पुरस्कार  स्वरुप प्रदान की जाएगी .
*उत्तर भेजने की अंतिम तिथि ३१ अगस्त   २०१३ है .
*प्रतियोगिता परिणाम के विषय में अंतिम तिथि के बाद इसी ब्लॉग पर सूचित कर दिया जायेगा .

शिखा कौशिक 'नूतन'
[व्यवस्थापक -भारतीय नारी ब्लॉग ]

शुक्रवार, 5 जुलाई 2013

क़त्ल करेंगें कहकर वर्ना अल्लाह की ये मर्ज़ी है !!!

middle eastern culture: belly dancer with traditional veil - stock photo
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मिला मर्द को ऊँचा रुतबा अल्लाह की ये मर्जी है ,
औरत से बढ़कर है ओहदा अल्लाह की ये मर्ज़ी  है !
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करें हिफाज़त औरत की हम सख्त करें पहरेदारी ,
फ़र्ज़ है उसका करना पर्दा अल्लाह की ये मर्ज़ी है !
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जब तक दम में दम है बेग़म खिदमत कर तू शौहर की ,
करो बगावत से तुम तौबा अल्लाह की ये मर्ज़ी है !
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नज़र झुका और सिल ले लब तू , शौहर पर हो जा कुर्बान ,
शौहर के सब जुल्म सहे जा अल्लाह की ये मर्ज़ी है !
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'नूतन' हद में रहना बेहतर पाबन्दी के बुर्कों में ,
क़त्ल करेंगें कहकर वर्ना अल्लाह की ये मर्ज़ी है !!!



शिखा कौशिक 'नूतन' 

क्या माता को कोई हसीना कह सकता है ?तुरंत इस पोस्ट को हटाये albela khatri

सिर शर्म से झुक गया कि क्या कोई किसी महिला के लिए इतने अभद्र तरीके से लिख सकता है जबकि अब तक ये साफ नहीं है   कि इशरत एक आतंकी थी या नहीं .यदि थी भी तो किसी पुरुष को यह नहीं भूलना चाहिए ये भारत की संस्कृति नहीं .हमारी संस्कृति में तो शत्रु की स्त्री को भी ''देवी'' कहकर संबोधित किया जाता है .अलबेला खत्री जी इस पंक्ति में तो आपने ऐसा लिख डाला-    ''तुम थी एक हसीना, सुन्दर अरु नमकीनतुमको खोकर होगए, सब लम्पट गमगीन----------हाय जय इशरत माता ''   कि सम्पूर्ण नारी जाति इसे पढ़कर डूब मरे .क्या माता को कोई हसीना  कह सकता है ?तुरंत इस पोस्ट को हटाये व् आगे से नारी के लिए लिखते समय दस बार सोचकर लिखें !




albela khatri on line

Author hasyakavi albela khatri 
अथ श्री इशरत माँ की आरती जय इशरत माता, बोलो जय इशरत मातातुम क्यों मर गयी मैया, समझ नहीं आता ----------भोली जय इशरत मातातुम थी एक हसीना, सुन्दर अरु नमकीनतुमको खोकर होगए, सब लम्पट गमगीन ----------हाय ..
अलबेला जी ने इस पोस्ट को हटा लिया है .उनका शुक्रिया ..पर इसके बाद जो अभद्र भाषा में उन्होंने मुझे गाली देते हुए पोस्ट लिखी है उसका कोई औचित्य नहीं था ....बहरहाल ये उनके संस्कार होंगे .मैंने यहाँ उनकी पोस्ट कॉपी कर इसलिए लगाई थी कि मेरे विरोध का कारण क्या है इसलिए नहीं कि मेरे पास पोस्ट की कमी है .

ये है अलबेला जी भाषा -शैली -

 नारी के नाम 

पर शब्दविलास करके टाईमपास करने वाली एक नारी [ ब्लॉग ] ने मेरी एक पोस्ट 

का विरोध करते हुए उसे हटाने  का निवेदन किया जिसे मैंने  तुरंत हटा दिया ........

क्योंकि मैं उसे वैसे भी हटाने वाला ही था . .........................................

मतलब  समझ गए न ..........हाँ ........ इनकी दुकान में खुद का सामान नहीं है ..लोगों 

का माल उठा उठा  कर लाते हैं और  बेचते हैं . इनके ब्लॉग पर प्रकाशित सामग्री का  

उपयोग कोई दूसरा नहीं कर सकता,लेकिन  औरों का माल  इनको  पिताजी  का घर 

दिखता  है ......टहलते हुए गए और उठा के ले आये ......दोगलेपन की पराकाष्ठा के 

चरमोत्कर्ष का चरम बिंदु तो यह है कि जिस थाली में खाते हैं  उसी में मूतते हैं 



आपसे यही आशा थी अलबेला जी 

जय सियाराम जी की !

बुरी और अच्छी लड़कियां

वो सारी लड़कियां हाँ वो सब की सब
जेसी हैं वेसी थी नहीं 
वो बनाई गई वैसी ,गढ़ा गया उन्हें 
धीरे धीरे  जैसे जहर दिया जाता है ठीक वैसे ही 

उनमे से कई को दिया गया 
पढने लिखने का अधुरा सा हक 
दूध के आधे ग्लास की तरह 
जिसमे बची हुई आधी जगह 
में ठूस ठूस कर भरा था 
एक अहसान का भाव 
और इस तरह उन्हें सिखाया गया 
की कैसे भेद भाव किया जाता है 
ताकि वो अपनी अगली पीढ़ी को सिखा सके 
ठीक उसी तरह जैसे उन्हें सिखाया गया 

उन्हें बचपन से इस्तेमाल किया गया 
चाची ,बुआ ,मामियों की बातें 
चुपके से सुन लेने के लिए 
बनाया गया उन्हें छोटे छोटे 
षडयंत्रो का हिस्सा 
ताकि वो बड़ी होकर 
बेझिझक होकर रच सके एसे ही छोटे मोटे षडयंत्र 
और उलझ जाए ताउम्र इस सब षडयंत्रो में 

उन्हें सिखाई गई चुगलियाँ 
बताई गई उनकी बेबसी 
दिया गया एक परमेश्वर 
जिसे पति कहा गया 
और दी  गई संस्कारों की एक पोटली 
जिसमे पत्नी धरम, बहु धर्म 
स्त्री धर्म ,माँ धर्म न जाने कितने ग्रन्थ 
बांधे  गए और लाद  दी गई ये पोटली 
ताकि तो धर्म निभाते निभाते हो जाए भीरु 
और दे सके ये सब अपनी बेटियों को 

उन्हें कई बार दी गई शस्त्र शिक्षा 
पर वो दी गई सिर्फ आत्मरक्षा के लिए 
नहीं दी गई शत्रु संहार की शिक्षा 
ताकि वो अपने आप को समझ बैठे 
किसी की पूँजी या खजाना 
और बस इस पूँजी रक्षा को ही अपने जीवन का 
एकमात्र उद्देश्य समझ बैठे .......

पहले बनाया गया उन्हें अजीब सा 
और फिर बनाए गए उनपर चुटकुले
लिखे गए उनके लिए नए शब्द 
जैसे चुगलखोर, गृह राजनीतिज्ञ 
लड़ाया गया उन्हें एक दुसरे से 
ताकि वो खिचती रहे इक दुसरे की टांग 
बताया गया उन्हें की घर पर राज कर लिया 
तो दुनिया पर राज समझो 
अपने पति और बेटे को बस में किया 
तो सब कुछ पा  लिया 
और बस वो इन्ही संघर्षों में चुक गई 
और उनने चुका  दी अपनी बेटी और बहु की जिंदगी भी
इसी खीचतान में ............... 

उनमे से कुछ ने किया विरोध 
कुछ ने नहीं किया जिनने नहीं किया 
वो खुश है , सुगढ़,है अच्छी बहु बेटियां है 
जिनने विरोध किया वो चरित्रहीन ,असभ्य ,बेशरम कहलाई 
क्यूंकि उनने चुगलियों की जगह चुनौतियां अपनाई 
उनने ग्लास के दूध पर ध्यान दिया उसके वजन पर नहीं 
उन्होंने अपनी पारंपरिक छवियाँ तोड़ दी 
और परंपरा तोड़ने वालियां वो सब हो गई 
बुरी औरतें ...क्यूंकि वो वेसी अच्छी नहीं बनना 
चाहती  जेसी उन्हें सब बना देना चाहते थे ...
अब वो किसी की प्यारी नहीं पर खुद से प्यार करती है… 
क्यूंकि वो बुरी औरतें है अच्छी नहीं ,,,,,,,,,,,,,,,

गुरुवार, 4 जुलाई 2013

सोशल साइट्स पर महिलाओं के साथ वैचारिक बलात्कार


ये एक सच्चाई है भले ही कडवी क्यों न हो ! फेसबुक से लेकर ट्विटर तक हर सोशल साईट पर महिलाओं को अभद्र टिप्पणियों  का  सामना  करना  पड़  रहा  है .अलका  जी  ने  अपनी  ट्वीट  के   माध्यम  से ये ही मुद्दा  उठाया  है .सोशल साइट्स को यूँ तो पढ़े-लिखे लोगों का मंच माना जा सकता है पर यहाँ पर महिलाओं को शर्मिदा करने वाले पुरुष वर्ग की टिप्पणियों से ऐसा लगता है कि वे अपनी अहमवादी सोच को भी यहाँ साथ लेकर बैठे हैं .फेसबुक पर लड़कियों को कितने हल्के में लिया जाता है इससे कोई भी अनजान है .कुछ पुरुष फर्जी लड़की नाम से अकाउंट खोलकर मज़े लेने का काम करते हैं और लड़कियों की छवि मजे लेने वाली वस्तु की बना डालते हैं .महिला केवल मनोरंजन का साधन  है -ऐसी सोच रखने वाले कितनी गन्दी टिप्पणियां करते हैं इसका मुझे स्वयं अंदाजा है .''नवभारत टाइम्स '' पर मेरी ब्लॉग पोस्ट्स पर आने वाली अभद्र टिप्पणियों के कारण ही मैंने पिछले वर्ष अपनी १६० पोस्ट रात में जागकर एक घंटे में डिलीट कर डाली थी और तब से अब तक 'नवभारत टाइम्स ' की वेबसाईट पर बने अपने ब्लॉग पर मैं नहीं गयी .

Alka Lamba
Kuchh Twts Us Baltkario ki tarha hote hey,Jinki Mansikta Rape hone yani twt padne key baad hi pata chalti hey,No way2escape,Jst Killed,BLCKD

पर क्या महिलाओं को घबरा जाना चाहिए इससे ? नहीं .मैंने भी यही विचार रखे और क्या और ने भी -
woh toh hai par inko Roka ja saktA hai, complaint file kijiye

I THINK YOU'R RIGHT BUT WE HAVE TO FACE NOT NEGLECT

पर अलका जी इससे सहमत नहीं हैं -

can u face these Rapists or vulgar & abusive twts ? Sorry I can't .. I will prefer to block them than to face such cheep chepus

लेकिन एक मजबूत राजनैतिक पार्टी से सम्बद्ध योग्य कार्यकर्त्ता अलका जी को तो ऐसे मुद्दों पर आगे बढ़कर काम करना ही चाहिए -
as a public figure this is your responsibility to take strong action against these type twts .if you can't this is not good .


महिलाओं के साथ ऐसा वैचारिक बलात्कार इन सोशल साइट्स पर बंद होना ही चाहिए .सरकार को आवश्यक कदम उठाते हुए सोशल साइट्स को महिलाओं के खिलाफ शोषण का हथियार बनने से रोकना ही चाहिए !आपकी क्या राय है ? शिखा कौशिक 'नूतन'