मंगलवार, 1 अक्टूबर 2013

तेरी तो हर बात ग़ज़ल... ग़ज़ल ...डा श्याम गुप्त .....

तेरे दिन और रात ग़ज़ल,
तेरी तो हर बात ग़ज़ल |

प्रेम-प्रीति  की रीति ग़ज़ल,
मुलाक़ात की बात ग़ज़ल |

मेरे यदि नग्मात ग़ज़ल,
तेरी हर आवाज़ ग़ज़ल |

तेरे दर का फूल ग़ज़ल,
पात पात हर पात ग़ज़ल |

हमें भुलादो बने ग़ज़ल,
यादों की बरात ग़ज़ल |

तू हंसदे होजाय  ग़ज़ल,
अश्क अश्क हर अश्क ग़ज़ल |

तेरी शह की बात ग़ज़ल,
मुझको तेरी मात ग़ज़ल |

तू हारे तो क़यामत हो,
तेरी जीत की बात ग़ज़ल |

हंस देख कर शरमाये,
चाल तेरी क्या बात ग़ज़ल |

मेरी बात पे मुस्काना,
तेरे ये ज़ज्बात ग़ज़ल |

इठलाकर लट खुल जाना ,
तेरा  हर अंदाज़ ग़ज़ल |

तेरी ग़ज़लों पर मरते ,
कैसी सुन्दर घात ग़ज़ल |

श्याम' सुहानी ग़ज़लों पर ,
तुझको देती दाद ग़ज़ल ||







5 टिप्‍पणियां:

रविकर ने कहा…

बढ़िया प्रस्तुति-
आभार आदरणीय-

Unknown ने कहा…

आपका भी हर शेर ग़ज़ल
आभार

डा श्याम गुप्त ने कहा…

धन्यवाद रविकर एवं सावन कुमार जी .....क्या बात है ...

प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' ने कहा…

वाह...वाह...वाह...सुन्दर भाव... बधाई...

डा श्याम गुप्त ने कहा…

धन्यवाद चतुर्वेदी जी......