शुक्रवार, 25 जनवरी 2013

प्रेम

चित्र गूगल से साभार 

किससे पूछूं,
तुम्ही से ही पूछता हूँ,
क्यूँ प्रेम करती हो तुम मुझसे?
कितना आसान है पूछना,
है न?
प्रेम, एक शब्द,
और,
उसके हजारों व्याख्यान, अनेकों अर्थ,
है क्या भला यह,
पूछने से पहले मेरे मन में कुछ ना था,
पर पूछने के बाद सोचता हूँ,
तो समझ नहीं आता,
कि इस शब्द के मायने क्या हैं,
तुम्हे तो मैं जानता भी ना था,
ना ही तुम मुझे,
फिर भला यह प्रेम,
हमारे और तुम्हारे बीच,
कहाँ से आ गया,
सच कहूँ तो भावनाएं भी नहीं कहती,
कि यह कुछ है,
है तो बस एक आकर्षण,
जो तुम्हे देखते ही,
मुझे परेशान करती है,
तुम जो पहनती हो,चलती हो,
और जो भी कहती हो,
सबमे होना चाहता हूँ मैं,
और होना चाहता हूँ,
तुम्हारे साथ उन क्षणों में भी,
जब तुम सिर्फ तुम होती हो,
सिर्फ तुम,
हुआ भी, 
कितन ही अंतरंग क्षणों में हम साथ थे,
जब हमारे बीच कुछ भी नहीं था,
शायद हवा भी,
थे तो सिर्फ मैं और तुम/हम,
फिर भी मैं तुमसे आज पूछता हूँ,
तो सोचता हूँ,
कि क्या वाकई प्रेम होता है,
या फिर प्रेम सिर्फ प्रणय है,
या है दोस्तों के बीच बैठ कर,
सीना चौड़ा करने का विषय,
परेशान होता हूँ,
पर समझ नही पा रहा,
कि क्या प्रेम है या नहीं,
अक्सर कुछ लोग अपने प्रेम करने की चर्चा करते मिल जाते हैं,
कैसे किया, कहाँ किया,
पार्क में या फिर मंदिर के अहाते में,
अकेले घर में, या फिर सिनेमा हॉल में,
और मैं चौंक जाता हूँ,
विस्मित भी होता हूँ,
की भला प्रेम करने का विषय है,
या फिर संवेदनाओं के मिलने का,
और दुनिया घुमने लगती है,
दिसम्बर डराने लगता है,
सब रसातल में जा रहे हैं, रसातल में,
लेकिन मैं तुम्हारे पास आता हूँ,
और पूछता हूँ,
की क्या बिना प्रणय के,
प्रेम नहीं हो सकता,
या फिर अस्तित्व ही प्रणय में है,
अगर ऐसा है,
तो जाओ,
नहीं करता मैं प्रणय निवेदन,
जब प्रेम प्रणय से होगा परे,
तब आना,
तब भी पूछूँगा,
क्यूँ प्रेम करती हो तुम मुझसे?

-नीरज 

8 टिप्‍पणियां:

Shikha Kaushik ने कहा…

सार्थक व् सुन्दर प्रस्तुति . हार्दिक आभार गणतंत्र दिवस की शुभकामनायें .
हम हिंदी चिट्ठाकार हैं

डा श्याम गुप्त ने कहा…

  प्रेम को भौतिक रूप में पा लेना कोई इतनी बड़ी बात या उपलब्धि नहीं है, हाँ, प्राप्ति के अहं की तुष्टि अवश्य होती है ।  यह अशरीरी प्रेम एक उत्कृष्ट भाव है, परकीया होते हुए भी व्यक्ति को जीवन भर प्रफुल्लित रख सकता है, भक्त -भगवान के भाव की तरह

विभूति" ने कहा…

ek niruttar sawal.... behtreen abhivaykti.....

Niraj Pal ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
Unknown ने कहा…

बढ़िया रचना | बहुत खूब |

रविकर ने कहा…

बढ़िया प्रस्तुति |
आभार -

गणतंत्र दिवस की शुभकामनायें-

Pratibha Verma ने कहा…

बहुत सुन्दर ...गड्तंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें

Niraj Pal ने कहा…

आभार आप सभी का, आप सबको गणतंत्र दिवस की हार्दिक सुभकामनायें।