शुक्रवार, 21 दिसंबर 2012

ऐसे समाज को फांसी पर लटका दिया जाये -लघु कथा

 aise Seagull collects a puffin

अस्पताल के बाहर मीडियाकर्मियों व् जनता की भीड़ लगी थी .अन्दर इमरजेंसी में गैंगरेप  की शिकार युवती जिंदगी व् मौत से जूझ रही थी .मीडियाकर्मी आपस में बातचीत कर रहे थे -''अरे भाई लड़की का नाम व् पता बदलकर छापना ....बेचारी अगर जिंदा बच गयी तो इस समाज का सामना कैसे करेगी ?''जनता का मुख्य उद्देश्य भी युवती का नाम -पता जानना था .तभी अस्पताल के भीतर से एक प्रौढ़ महिला हाथ में एक फोटो लिए बाहर आई . और अस्पताल  के सामने एकत्रित भीड़ को मजबूत स्वर में संबोधित करते हुए बोली -''मैं उस पीडिता की माँ हूँ [ ये कहकर फोटो लिए हाथ को ऊपर उठा दिया ] ये मेरी बेटी अस्किनी का फोटो है जो भीतर जिंदगी व् मौत से जूझ रही है .हम इसी शहर के स्थानीय निवासी हैं और हमारा घर करोड़ी मौहल्ले में है .हमारा मकान नंबर २/४१ है .अस्किनी के पिता जी अध्यापक हैं और छोटा भाई पीयूष दसवी कक्षा का छात्र है .
.....आप सोच रहे होंगें कि मैं ये सब जानकारियां स्वयं आप को क्यों दे रही हूँ .मैं ये सब इसलिए बता रही हूँ कि मेरी बेटी ने कोई अपराध नहीं किया है जो उसका नाम व् पता छिपाया जाये .यदि वो जिंदा बच गयी तो हमारे परिवार में उसका वही लाड   होगा जो इस हादसे से पहले होता था .मुंह तो उन कुकर्मी कुत्तों का छिपाया जाना चाहिए जिन्होंने मेरी बेटी के साथ दुष्कर्म किया है .नाम व् पता वे छिपाते फिरे और उनके परिवार वाले .मेरी बेटी के साथ यदि यह समाज इस हादसे के बाद कोई गलत व्यवहार करता है तो निश्चित रूप से उन दुराचारी कुत्तों के साथ इस समाज को भी खुलेआम फांसी पर लटका दिया जाना चाहिए .'' ये कहकर वे मुड़ी और तेज़ क़दमों से अस्पताल के भीतर पुन:  चली गयी

                     शिखा कौशिक ''नूतन''


6 टिप्‍पणियां:

संतोष त्रिवेदी ने कहा…

....मानसिकता बदलनी होगी !

Dinesh pareek ने कहा…

बहुत सही बात कही है आपने .ऐसा ही होना चाहिए
मेरी नई रचना पर जरुर नजर रखें
खूब पहचानती हूँ मैं तुम को
http://dineshpareek19.blogspot.in/

vandana gupta ने कहा…

्बिल्कुल यही होना चाहिये।

kavita verma ने कहा…

sahi kaha aapne bina apradh ke vah kyon apradhi mahsoos kare..

प्रवीण ने कहा…

.
.
.
वाह, क्या बात कही है, काश ऐसा ही होता भी हकीकत में...


...

डा श्याम गुप्त ने कहा…

----बात अपने आप में सही है ...पर जहां तक समाज की बात है उसमें सभी नहीं कुछ गलत लोग होते हैं उन्हीं को फांसी चढ़ाया जाए ...
----उस समाज में तो स्वयं आप भी हैं हम भी हैं ..किस समाज ने कहा कि रेप करना चाहिए ....अतः हर बात में समाज को कोसना अनियमित सोच एवं अपनी कमजोरी को व्यक्त करना है ...